Last Updated:May 21, 2025, 20:27 IST
भारत बायोटेक ने हैजा के लिए हिलकोल नामक असरदार टीका तैयार किया है, जो मुंह के जरिए दिया जाता है. यह टीका सस्ता, सुरक्षित और बच्चों-बड़ों दोनों के लिए फायदेमंद है.

हैजा से बचाव के लिए भारत ने मुंह से दिया जाने वाला टीका बनाया है.(Image:News18)
हाइलाइट्स
भारत बायोटेक ने हैजा के लिए हिलकोल टीका तैयार किया.हिलकोल टीका बच्चों और बड़ों दोनों के लिए असरदार है.हिलकोल टीका सस्ता, सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है.नई दिल्ली. अब हैजा से डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि भारत में इसका एक असरदार टीका तैयार कर लिया गया है. यह टीका मुंह के जरिए दिया जाता है और इसका नाम है हिलकोल. इसे भारत बायोटेक ने तैयार किया है और यह टीका बच्चों और बड़ों दोनों के लिए फायदेमंद है. देश में हर साल बड़ी संख्या में लोग हैजा से बीमार पड़ते हैं. खासकर गांवों और गरीब इलाकों में. पहले के जमाने में तो हैजा से कई लोगों की जान भी चली जाती थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हैजा से मरने वालों की दर लगभग 1% है. इसी को देखते हुए काफी समय से इस बीमारी के लिए एक अच्छा और सस्ता टीका बनाने की कोशिश की जा रही थी.
भारत बायोटेक की ये नई वैक्सीन हिलकोल अब पूरी तरह तैयार है. इसका ट्रायल देश के 10 अलग-अलग अस्पतालों और हेल्थ सेंटर्स में किया गया. जहां इसमें 1,800 लोगों को शामिल किया गया. इनमें छोटे बच्चों से लेकर बड़े तक शामिल थे. ट्रायल के लिए लोगों को तीन अलग-अलग उम्र के समूहों में बांटा गया. 1 से 5 साल तक के छोटे बच्चे, 5 से 18 साल तक के बच्चे और 18 साल से ऊपर के वयस्क.
टीका असरदार
इस ट्रायल में कुछ लोगों को हिलकोल टीका दिया गया और कुछ को तुलना के लिए कोई दूसरा टीका. जब नतीजे सामने आए तो देखा गया कि हिलकोल ने हैजा के दोनों मुख्य प्रकार ओगावा (68.3%) और इनाबा (69.5%) के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी को चार गुना से ज्यादा बढ़ा दिया. इसका मतलब है कि यह टीका शरीर को हैजा से बचाने की ताकत देता है.
टीका सस्ता, सुरक्षित और असरदार
भारत बायोटेक के मुताबिक यह टीका सस्ता, सुरक्षित और असरदार है. उन्होंने कहा कि हैजा एक ऐसी बीमारी है जिससे टीके के जरिए बचा जा सकता है लेकिन अभी भी दुनिया में इसकी काफी कमी है. अनुमान है कि हर साल दुनिया में करीब 28.6 लाख लोग हैजा से बीमार होते हैं और 95,000 लोगों की मौत हो जाती है. वहीं हर साल 10 करोड़ टीकों की जरूरत होती है. इस वैक्सीन के ट्रायल और उसके नतीजे दुनिया के भरोसेमंद मेडिकल जर्नल साइंसडायरेक्ट के वैक्सीन जर्नल में छपे हैं. जिससे ये साफ होता है कि ये टीका पूरी तरह वैज्ञानिक और प्रमाणित है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें
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