Last Updated:May 21, 2025, 21:15 IST
DRONE WARFARE: पाकिस्तान ने भारत के कई मिलिट्री ठिकानों और सिविल इलाकों पर ड्रोन से हमले की कोशिश की. ऐसिमेट्री वॉरफेयर के लिए ड्रोन सबसे बेहतर हथियार हैं. कम कीमत के ड्रोन से गहरी चोट पहुंचाई जा सकती है. पाकिस...और पढ़ें

नई तकनीक से लैस हो रही भारतीय सेना
हाइलाइट्स
भारतीय सेना ने ड्रोन युद्ध की तैयारियां तेज कीं.सेना ने FPV ड्रोन खुद विकसित किया और शामिल किया.भारतीय सेना ने टैंक के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदने की योजना बनाई.DRONE WARFARE: ड्रोन युद्ध के इस दौर में भारतीय सेना ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है. सैकड़ों ड्रोन खरीदे जा चुके हैं और कई और ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया जारी है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लॉन्ग रेंज वेपन और ड्रोन वारफेयर तक सीमित रह गया. भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, जिसमें पहली बार कामिकाजी सुसाइडल ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. अब भारतीय सेना के ड्रोन जखीरे में एक और नया ड्रोन जुड़ गया है, जिसका नाम है FPV यानी फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन. खास बात यह है कि सेना ने खुद इस ड्रोन को तैयार किया है.
भारतीय FPV ड्रोन की खासियत
भारतीय सेना की 9 कोर की फ्लूर-डी-लिस ब्रिगेड ने टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) चंडीगढ़ के साथ मिलकर इसे विकसित किया है. इसका सफल परीक्षण भी किया गया और अब इसे सेना में शामिल कर लिया गया है. यह ड्रोन कामिकाजी एंटी टैंक म्यूनिशन से लैस है. इस ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए किसी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की जरूरत नहीं होती. दुश्मन के इलाके के महज 3 से 5 किलोमीटर दूर किसी भी बंकर में बैठकर इसे ऑपरेट किया जा सकता है.इसे एक्टिवेट सिर्फ ड्रोन पायलट ही कर सकता है. इसके अलावा, एक लाइव फीडबैक रिले सिस्टम पायलट को FPV गॉगल्स के जरिए पेलोड की स्थिति के बारे में रियल टाइम अपडेट देता है, जिससे ड्रोन उड़ाने के दौरान सही और तेजी से फैसले लेने में मदद मिलती है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत अगस्त 2024 में की गई थी और मार्च 2025 तक 100 से ज्यादा ड्रोन तैयार किए गए हैं. अभी 5 FPV ड्रोन को सेना में शामिल किया जा चुका है, जबकि 95 और मिलने बाकी हैं.
दुश्मन के ड्रोन से टैंक का बचाव जरूरी
रूस और यूक्रेन में ड्रोन ने जिस तरह से टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को निशाना बनाया, वह सबने देखा. इसके बाद से दुनिया के तमाम देशों ने अपने मेन बैटल टैंक की सुरक्षा के लिए कई तरह के उपाय किए. मसलन, टैंक के ऊपरी हिस्से को लोहे की ग्रिल या जाल से कवर किया गया, ताकि कोई भी FPV ड्रोन, स्वार्म ड्रोन, लॉटिरिंग UAV या कामिकाज़े ड्रोन टैंक को ऊपर से सीधा हिट न कर सके. लेकिन 100 फीसदी सुरक्षा की गारंटी अभी तक नहीं मिली. सेना ने अपने T-90 और T-72 टैंक को एरियल अटैक से बचाने के लिए काउंटर अनमैंड एयरक्राफ्ट सिस्टम (C-UAS) यानी एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदने की योजना बनाई है. इसके लिए RFI भी जारी किया गया है. सेना के मुताबिक, उन्हें ऐसा एंटी ड्रोन सिस्टम चाहिए जो भारतीय टैंक पर आसानी से फिट हो सके और दुश्मन के FPV ड्रोन, स्वार्म ड्रोन, लॉटिरिंग UAV या कामिकाज़े ड्रोन को दूर से ही डिटेक्ट कर एंगेज कर सके. इसमें सॉफ्ट किल की क्षमता हो और टैंक पर पहले से लगी एंटी एयरक्राफ्ट मशीन गन के जरिए हार्ड किल के लिए अटैक की स्पीड, रेंज और जानकारी जुटा सके। यह सिस्टम इस तरह का हो कि T-90 और T-72 टैंकों में इस तरह इंटीग्रेट किया जा सके कि टैंक की युद्धक क्षमता पर कोई गलत असर न पड़े.
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