1000 छात्राएं, बैठने के लिए 2 कमरें...इस बदहाल स्कूल में कैसे पढ़ेंगी बेटियां?

7 hours ago

Last Updated:July 22, 2025, 15:06 IST

नूंह के शाह चोखा गांव का राजकीय कन्या वरिष्ठ महाविद्यालय बेटियों की शिक्षा के लिए उम्मीद है, लेकिन बदहाल स्थिति उनकी पढ़ाई में बाधा बन रही है. स्कूल में केवल चार कमरे हैं, जिनमें से दो जर्जर हैं.

1000 छात्राएं, बैठने के लिए 2 कमरें...इस बदहाल स्कूल में कैसे पढ़ेंगी बेटियां?स्कूल में मात्र चार कमरे हैं, जिनमें से एक मिड-डे मील की रसोई और दूसरा स्टाफ रूम के लिए उपयोग होता है. स्कूल में मात्र चार कमरे हैं, जिनमें से एक मिड-डे मील की रसोई और दूसरा स्टाफ रूम के लिए उपयोग होता है.

हाइलाइट्स

स्कूल में 1000 छात्राओं के लिए केवल 2 कमरे हैंजर्जर भवन और टपकते टीन शेड से पढ़ाई में बाधाछात्राओं ने सरकार से नए भवन और खेल मैदान की मांग की

नूंह. हरियाणा के नूंह जिले के ऐतिहासिक गांव शाह चोखा का राजकीय कन्या वरिष्ठ महाविद्यालय बेटियों की शिक्षा के लिए एक उम्मीद की किरण है, लेकिन स्कूल की बदहाल स्थिति इस उम्मीद को धूमिल कर रही है. यहाँ करीब 1000 से अधिक छात्राएँ शिक्षा ग्रहण करने आती हैं, मगर स्कूल में सुविधाओं का अभाव उनकी पढ़ाई में सबसे बड़ी बाधा बन रहा है.

दरसअल, स्कूल में मात्र चार कमरे हैं, जिनमें से एक मिड-डे मील की रसोई और दूसरा स्टाफ रूम के लिए उपयोग होता है. बचे दो कमरे भी इतने जर्जर हैं कि बरसात में पानी भर जाता है, जिसके कारण अक्सर छुट्टी करनी पड़ती है. भीषण गर्मी में छात्राएँ टूटे-फूटे टीन शेड के नीचे या खुले आसमान तले जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

स्कूल भवन की स्थिति इतनी दयनीय है कि छत का पलस्तर गिर रहा है और सरिया गल चुके हैं, जो किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकते हैं. खेल के लिए कोई मैदान नहीं है, और मिड-डे मील कक्ष की बदबू पढ़ाई में व्यवधान पैदा करती है. हल्की बारिश में टीन शेड से पानी टपकता है, जिससे पढ़ाई और भी मुश्किल हो जाती है. गौर रहे कि स्कूल की स्थापना 1991 में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी, लेकिन तीन दशक बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग ने यहाँ मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराईं.

प्रिंसिपल आबिद हुसैन ने बताया कि स्कूल में शिक्षकों की कमी के साथ-साथ कमरों की भारी किल्लत है. एक हजार छात्राओं के लिए केवल दो कमरे उपलब्ध हैं, जिसके चलते सर्दी, गर्मी और बरसात में बेटियाँ खुले में पढ़ने को मजबूर हैं. उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी, उपायुक्त मेवात से लेकर चंडीगढ़ तक कई बार शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. कुछ महीने पहले डीसी और एसडीएम ने स्कूल का दौरा किया था और समस्याओं के समाधान का वादा किया था, मगर वह वादा अब तक हवा में है.

उधर, छात्राओं की पीड़ा और गहरी है. इमरान कहती हे कि सरकार का “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” नारा केवल कागजों तक सीमित है. एक छात्रा ने कहा, “हम बच तो रही हैं, लेकिन पढ़ नहीं पा रही हैं. गर्मी में टीन शेड के नीचे बैठना असहनीय है, और बरसात में स्कूल में पानी भर जाता है.” दूसरी छात्रा साबिया ने बताया कि मिड-डे मील कक्ष की बदबू और जर्जर भवन की स्थिति पढ़ाई को और मुश्किल बनाती है. छात्राओं ने सरकार से गुहार लगाई है कि स्कूल में पूर्ण शिक्षक स्टाफ, नए भवन और खेल का मैदान उपलब्ध कराया जाए ताकि वे सुरक्षित और बेहतर माहौल में पढ़ाई कर सकें.

शिक्षा विभाग की उदासीनता से लोग नाराज

गाँव के लोग भी शिक्षा विभाग की उदासीनता से नाराज हैं. टीचर यूसुफ खान उनका कहना है कि मेवात जैसे पिछड़े क्षेत्र में बेटियों की शिक्षा के लिए लोग जागरूक हो रहे हैं, लेकिन स्कूल की बदहाल स्थिति उनके उत्साह को तोड़ रही है. स्कूल की तस्वीरें साफ दर्शाती हैं कि जर्जर भवन और टूटे टीन शेड हादसों को दावत दे रहे हैं. दीवारों में दरारें, गल चुके सरिए और टपकते टीन शेड बेटियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं

Vinod Kumar Katwal

13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...और पढ़ें

13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...

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