भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत चिकित्सीय सलाह और बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया. उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से लागू हो गया, जिससे वे भारत की आज़ादी के बाद से कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए.
भारतीय संविधान के नियमों के अनुसार, भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव अगले 60 दिनों के भीतर होना है. क्या नए उपराष्ट्रपति के चुने जाने तक धनखड़ उपराष्ट्रपति के सरकारी आवास में ही रहेंगे? हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि धनखड़ कब सरकारी आवास खाली करेंगे, लेकिन नियम ये कहते हैं कि उन्हें जल्दी जल्दी इस आवास को खाली करना होगा.
धनखड़ कितने समय तक वीपी आवास में रह सकते हैं?
नई दिल्ली के 108, चर्च रोड पर स्थित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव वर्तमान उपराष्ट्रपति का आधिकारिक कार्यालय-निवास है. इस्तीफा देने के बाद धनखड़ की पात्रता अब आवास में रहने की नहीं रह गई है. आमतौर पर, उच्च पदस्थ अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पद छोड़ते ही सरकारी आवास तुरंत खाली कर दें.
उपराष्ट्रपति के एन्क्लेव में इस्तीफा देने के बाद कम समय के लिए भी नहीं रहा जा सकता. किसी भी अस्थायी विस्तार के लिए विशेष प्रशासनिक आदेशों की जरूरत होती है, जो मानक नियमों के तहत नहीं आते. 15 दिन या एक महीने की छूट की अवधि भी केवल प्रशासनिक आदेशों पर ही दी जा सकती है. लिहाजा उन्हें उप राष्ट्रपति भवन को जल्दी से जल्दी छोड़ना होगा. पद छोडऩे के बाद उपराष्ट्रपति को सरकारी आवास मिलने का प्रावधान नहीं है.
कैसा है उपराष्ट्रपति का सरकारी आवास
भारत में उपराष्ट्रपति का पद 1952 में अस्तित्व में आया लेकिन लंबे समय तक इस पद के लिए कोई समर्पित वाइस प्रेसीडेंट हाउस नहीं था. वर्ष 2024 में नई दिल्ली के 108, चर्च रोड पर पहली बार उप राष्ट्रपति पद पर आसीन शख्स के लिए समर्पित आवास बनाया गया. अब से उप राष्ट्रपति इसी आवास में रहा करेंगे. ये एक अत्याधुनिक परिसर है, जो फरवरी 2024 में पूरा हुआ. इसमें बहुत सी सुविधाएं हैं.
– ये तीन मंजिला भवन है. इसमें एक बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर और ऊपरी मंजिल वाला भवन है. इसी में सचिवालय भवन भी है, जिसमें उपराष्ट्रपति का आधिकारिक कामकाज होता है. परिसर में कर्मचारी आवास और संचार सुविधाएं भी हैं.
– इसमें गेस्ट‑हाउस, स्पोर्ट्स सुविधाएं जश्न-समारोह, साक्षात्कार और स्वास्थ्य व मनोरंजन से जुड़ी सुविधाएं शामिल हैं.
– ये परिसर लान सहित 15 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें लैंडस्केप गार्डन, वाटर फीचर्स और सुविधाजनक पार्किंग भी है. राष्ट्रपति भवन एवं संसद भवन की तरह इसे भी विशेष सुरक्षा मानकों के साथ बनाया गया है.
इस्तीफा देने के बाद जल्द खाली क्यों करना पड़ेगा?
क्योंकि अगले उप राष्ट्रपति के लिए पूरे भवन का रेनोवेशन और पुताई होती है. जिसमें समय लगता है, इसलिए इसे खाली करना पड़ता है. जिससे नया उपराष्ट्रपति तुरंत इसमें आकर रह सके.
भारत के उपराष्ट्रपति पहले कहां रहते थे?
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1952 से लेकर 1962 भारत के उपराष्ट्रपति रहे. वह देश के पहले और दो टर्म तक उपराष्ट्रपति रहने वाले शख्स भी थे. वह राष्ट्रपति भवन के एक हिस्से में रहते थे, जिसे गेस्ट विंग कहा जाता था. क्योंकि उस समय उनके लिए अलग आवास नहीं था. बाद में जब वे राष्ट्रपति बने, तब तक भी वाइस प्रेसिडेंट के लिए कोई स्थायी घर तय नहीं हुआ था. भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित किताब “Rashtrapati Bhavan: From Raj to Swaraj” में साफतौर पर इसका जिक्र किया गया है.
“भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन को राष्ट्रपति भवन में अतिथि कक्ष आवंटित किया गया था, क्योंकि उस समय उपराष्ट्रपति के लिए कोई अलग आधिकारिक आवास नहीं था.”
इसके अलावा एम. शिवरामकृष्णन की किताब एस. राधाकृष्णन: ए बॉयोग्राफी” में लिखा है, “वे राष्ट्रपति भवन में अतिथि कक्ष में ठहरे थे, क्योंकि उस समय उपराष्ट्रपति के लिए कोई अलग आवास निर्धारित नहीं था.
डॉ. ज़ाकिर हुसैन किराए के मकान में रहे
वर्ष 1962 से 1967 तक उपराष्ट्रपति रहे डॉक्टर जाकिर हुसैन को भी कोई समर्पित आवास नहीं मिला. वह पहले किराए के मकान में रहे. फिर उन्हें सरकारी गेस्ट हाउस में अस्थायी तौर पर रहने को मिला. उपराष्ट्रपति के पद के बावजूद वे एक तरह से “घुमंतू” शैली में रहते थे.
इसके बाद के उपराष्ट्रपति
1970 तक अधिकांश उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन के एक हिस्से में या फिर कुछ वीआईपी बंगले (जैसे 6-मार्केट रोड, 9-सरदार पटेल मार्ग आदि) में रहते थे. चूंकि राष्ट्रपति भवन बहुत विशाल है, इसलिए यह माना गया कि उपराष्ट्रपति को वहीं या आस-पास का बंगला आवंटित कर देना पर्याप्त है. कई बार उपराष्ट्रपति हाउस के लिए प्रस्ताव बने पर उन्हें फंड, जमीन या अनुमति के अभाव में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
इंदिरा गांधी और बाद की सरकारों के दौरान कुछ उपराष्ट्रपतियों ने मांग की लेकिन राजनीतिक प्राथमिकताओं में वह नीचे रहा. कम प्राथमिकता दी गई.
राज्यसभा सचिवालय की रिपोर्ट कहती है, “काफी समय बाद तक उपराष्ट्रपति के लिए कोई अलग आवास नहीं था. अधिकांश उपराष्ट्रपति अस्थायी रूप से राष्ट्रपति भवन के कुछ हिस्सों में रहते थे या उन्हें लुटियंस दिल्ली में आवास आवंटित किए जाते थे.”
जब उपराष्ट्रपति के लिए नया स्थायी भवन करीब बन ही गया था, तब वर्ष 2023 में द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट छापी, “सात दशकों से अधिक समय तक, भारत के उपराष्ट्रपति अस्थायी आवासों में रहते थे – या तो राष्ट्रपति भवन के अतिथि विंग में या अन्य सरकार द्वारा आवंटित घरों में.”
हालांकि ये सही है भारत के कई उपराष्ट्रपति 6, मौलाना आज़ाद रोड स्थित बंगले में रहे. तब इसे कई लोग भारत के उपराष्ट्रपति का आधिकारिक निवास के तौर पर बताते थे लेकिन वास्तव में ऐसा था नहीं.