30 MM चेन गन से लैस है अपाचे AH-64E, छिपे दुश्मन को कैसे मारने में माहिर?

6 hours ago

Last Updated:July 23, 2025, 05:01 IST

अपाचे AH-64E गार्डियन हेलीकॉप्टर थल सेना को मिल गए हैं. कुल छह में से अभी तीन हेलीकॉप्‍टर सेना को मिले हैं. इससे पहले वायुसेना के पहले पहले से ही यह हेलीकॉप्‍टर मौजूद हैं. इसकी ताकत जानकार पाकिस्‍तान और चीन जैस...और पढ़ें

30 MM चेन गन से लैस है अपाचे AH-64E, छिपे दुश्मन को कैसे मारने में माहिर?बढ़ गई थल सेना की ताकत. (File Photo)

हाइलाइट्स

3 अपाचे AH-64E गार्डियन हेलीकॉप्टर थल सेना को मिल गए हैं.इससे पहले वायुसेना के पास पहले पहले से ही यह हेलीकॉप्‍टर मौजूद हैं.भारतीय थलसेना को अपाचे हेलीकाप्‍टर से नई ताकत मिल गई है.

नई दिल्‍ली. आज गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर भारतीय थल सेना ने तीन अपाचे AH-64E गार्डियन हेलीकॉप्टरों की पहली डिलीवरी मिल गई. बोइंग द्वारा निर्मित यह विश्व का सबसे उन्नत अटैक हेलीकॉप्टर है, जिसे “आसमान का टैंक” कहा जाता है. साल 2020 में अमेरिका के साथ 600 मिलियन डॉलर का सौदा हुआ था. ये हेलीकॉप्टर जोधपुर के नगटालाओ में तैनात होंगे, जहां ये पश्चिमी सीमा पर भारत की सामरिक ताकत को अभूतपूर्व ऊंचाई देंगे. अपनी 30 मिमी चेन गन और लेजर-गाइडेड हेलफायर मिसाइलों के साथ अपाचे छिपे हुए दुश्मनों को नष्ट करने में माहिर है.

उन्नत इंजन और गतिशीलता
अपाचे में दो जनरल इलेक्ट्रिक T700-GE-701D टर्बोशाफ्ट इंजन हैं, जो 1,994 हॉर्स पावर की एनर्जी पैदा करते हैं. ये इसे 365 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार और 480 किमी की रेंज प्रदान करते हैं. इसकी चालाकी इसे पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाकों में तेजी से युद्धाभ्यास करने में सक्षम बनाती है. इन-फ्लाइट रीफ्यूलिंग क्षमता इसे लंबे मिशनों के लिए आदर्श बनाती है, खासकर भारत-पाक सीमा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में.

हथियारों का जखीरा
अपाचे की 30 मिमी M230 चेन गन 625 राउंड प्रति मिनट की दर से गोले दागती है, जो बख्तरबंद वाहनों और बंकरों को भेद सकती है. AGM-114 हेलफायर मिसाइलें, लेजर और रडार-गाइडेड, 8 किमी तक की रेंज में टैंकों को नष्ट करती हैं. इसके अतिरिक्त 70 मिमी हाइड्रा रॉकेट और AIM-92 स्टिंगर मिसाइलें इसे हवाई और जमीनी खतरों से निपटने में मल्‍टी-रोल वाला बनाती हैं. हथियारों का यह संयोजन अपाचे को हर परिस्थिति में घातक बनाता है.

लॉन्गबो रडार की ताकत
अपाचे का AN/APG-78 लॉन्गबो फायर कंट्रोल रडार 128 लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकता है और 16 को निशाना बना सकता है. यह रडार “फायर-एंड-फॉरगेट” क्षमता प्रदान करता है, जिससे हेलीकॉप्टर लक्ष्य साधने के बाद दुश्मन के रडार से बचते हुए छिप सकता है. यह पहाड़ों, जंगलों या शहरी क्षेत्रों में छिपे दुश्मनों को ढूंढने में माहिर है.

सेंसर और निगरानी
मॉडर्नाइज्ड टारगेट एक्विजिशन डेजिग्नेशन साइट यानी MTADS और नाइट विजन सेंसर रात, धुंध, या धूल भरे मौसम में भी सटीक निशाना सुनिश्चित करते हैं. थर्मल इमेजिंग और लेजर डिज़िग्नेटर दुश्मन के ठिकानों को बारीकी से स्कैन करते हैं. मैनड-अनमैन्ड टीमिंग (MUM-T) तकनीक अपाचे को ड्रोन जैसे MQ-1C ग्रे ईगल के साथ जोड़ती है, जो वास्तविक समय में खुफिया जानकारी प्रदान करता है.

सुरक्षा और डिजाइन
अपाचे का क्रैश-प्रतिरोधी डिजाइन और बख्तरबंद कॉकपिट पायलटों को 12.7 मिमी की गोलियों से बचाता है. इसका लो-ऑब्जर्वेबल डिजाइन रडार डिटेक्शन को कम करता है. स्वयं-रक्षा के लिए इसमें AN/ALQ-144 जैमर और चाफ-फ्लेयर सिस्टम हैं, जो दुश्मन की मिसाइलों को भटकाते हैं.

भारतीय सेना के लिए महत्व
ये हेलीकॉप्टर ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में क्लोज एयर सपोर्ट और टैंक-रोधी हमलों में गेम-चेंजर होंगे. भारतीय वायुसेना के पास पहले से 22 अपाचे हैं, लेकिन थल सेना के लिए ये छह हेलीकॉप्टर सामरिक स्वायत्तता बढ़ाएंगे. यह भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को भी मजबूत करता है.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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