Last Updated:July 23, 2025, 10:55 IST
सांप अपनी ऊपरी त्वचा को अक्सर उतारते ही उतारते हैं. उनका शरीर ही ऐसा बना होता है कि उन्हें ऐसा करना पड़ता है लेकिन ये पूरा काम बहुत कष्टदायक होता है. ऐसा करते हुए वो बहुत कमजोर हो जाते हैं.

सांप अमूमन साल में एक बार अपनी केंचुली जरूर उतारते हैं. ये समय उनके लिए बहुत कष्ट और मुश्किल का होता है. केंचुल भी इसलिए उतारते हैं, क्योंकि उसको पहनना भी मुश्किल होने लगता है. उसमें गंदगी, कीड़े मकौड़े आकर चिपक जाते हैं. वैसे ये केंचुली बहुत शुभ मानी जाती है. कई चीजों में इसका इस्तेमाल होता है.

दुनियाभर में सांपों की हजारों प्रजातियां हैं. ज्यादातर सांप रंगीन ही और अलग पैटर्न के होते हैं. सांप अपनी पूरी त्वचा को एक साथ एक टुकड़े में निकालने के लिए जाने जाते हैं. हर सांप के जीवन में ये होता ही होता है. एक सांप साल में औसतन दो से चार बार अपनी केंचुल बदलते हैं, जबकि युवा सांप हर दो हफ्ते में ऐसा कर सकता है.

माना जाता है कि सांप के असल चमकीले रंग उसकी फिक्स त्वचा के भीतर होते हैं और ऊपर के शल्क आमतौर पर पारदर्शी होते हैं. इसी वजह से सांप जब अपनी शल्क यानि केंचुल उतारता है.(प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)

किंग कोबरा साल में करीब पांच बार अपनी त्वचा यानि केंचुली छोड़ते हैं. हालांकि, सांप कितनी बार अपनी केंचुली उतारता है. ये उसकी उम्र और प्रजाति पर भी निर्भर करता है. ये प्रक्रिया 6 से 10 दिनों तक चलती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

जैसे-जैसे सांप बढ़ता है, उसकी ऊपरी त्वचा उसके साथ नहीं बढ़ती है इसलिए उसे बढ़ी हुई त्वचा को छोड़ना पड़ता है. केंचुली उतारना, त्वचा छोड़ना या त्वचा का छिलना सांप की जिंदगी लगातार चलने वाला हिस्सा या चक्र है. ये काम आमतौर पर वह साल में कई बार करता है और जब भी करता है तब बहुत कष्ट और दर्द से गुजरता है. इसे एक्डिसिस के तौर पर जाना जाता है.ये सांप के जीवन चक्र का एक स्वाभाविक और जरूरी हिस्सा है.तब भी वो कई बार अपनी ऊपरी त्वचा यानि केंचुल बदलता है जबकि इस पर कीड़े-मकौड़े और गंदगी चिपक जाती है और इससे उसको बहुत दिक्कत होने लगती है.

केंचुली उतारने से पहले सांप को इसका पता लग जाता है कि उसकी केंचुली उतारने का समय आ गया है. क्योंकि उसको इससे परेशानी होने लगती है. आंख भी धुंधलाने लगती है. तब वह पहले किसी कड़ी चीज या पेड़ की छाल से सिर को रगड़ना शुरू करता है, जब तक की स्किन उखड़नी शुरू ना हो जाए. जब एक बार ऐसा होना शुरू हो जाता तो फिर अपने शरीर को हिला-डुला कर वो बाकी स्किन भी उतार लेता है.

बुजुर्ग सांपों के लिए ये प्रक्रिया बहुत दर्दनाक होती है. हालांकि स्वस्थ और युवा सांपों के लिए ये उतनी मुश्किल नहीं होती है. वो इससे इरिटेट होते हैं. कमजोर हो जाते हैं. कई बार इस प्रक्रिया में सांपों को घाव भी हो जाता है, जिससे उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं. जब वह ये कर रहे होते हैं तब उनकी त्वचा फीकी पड़ जाती है और उनका रंग गहरा हो जाता है. इन केंचुल को लेकर अंधविश्वास भी है कि ये अगर किसी को ये पूरी मिल जाए, तो वो बहुत भाग्यशाली समझा जाता है.

जब सांप अपनी केंचुल उतारता है तो उसकी खाने की इच्छा कम हो जाती है. आना-जाना बंद हो जाता है. वो आलसी सा हो जाता है और एक ही जगह पड़ा रहता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

केंचुली उतारने से एक तो सांप के शरीर की सफाई हो जाती है, दूसरी ओर त्वचा में फैल रहे संक्रमण से भी उसे मुक्ति मिल जाती है. तब वह फुर्तीला हो जाता है.. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

केंचुली उतारना कष्टदायक प्रक्रिया होती है. इस दौरान उसकी भूख तो कम होती ही है, साथ में पेटदर्द भी हो सकता है. जब वह पूरी तरह त्वचा को उतार देता है तभी फिर खाना शुरू कर देता है.

लोग केंचुल का इस्तेमाल कुछ तरह के चर्म रोगों में किया करते हैं. मध्य प्रदेश की कुछ खास जनजातियां चर्म रोगों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया करती हैं. सांप की केंचुली को स्किन पर लगाया जाता है. दवा के रूप में भी खाया जाता है. मान्यता है कि सांप की केंचुली घर में रखने से धन-धान्य की कमी नहीं होती. इसके अलावा, सांप की केंचुली घर में रखने से प्रेत बाधाओं और बुरी नज़र से भी बचाव होता है.

सांप की खाल का इस्तेमाल बनियान, बेल्ट, जूते, हैंडबैग और पर्स जैसे फैशन के सामान बनाने में किया जाता है. कुछ स्ट्रिंग संगीत वाद्ययंत्रों, जैसे बान्हु, सैंक्सियन या सैंशिन के साउंड बोर्ड को कवर करने में इसकी खाल इस्तेमाल होती है. सांप की खाल से बनी वस्तुएं महंगी होती हैं, क्योंकि वो दुर्लभ होती हैं. इस तरह की खासी महंगी और स्टाइलिश हैट बनाने भी सांप की खाल से बनाई जाती हैं. (Wiki Commons)