जगदीप धनखड़ का किठाना गांव से दिल्ली तक का सफर, बेटे की मौत का लग चुका है सदमा

8 hours ago

Last Updated:July 23, 2025, 16:45 IST

Jagdeep Dhankhar : उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ पर इस समय देशभर में बहस छिड़ी हुई है. क्या आप जानते हैं उनके परिवार में कौन-कौन हैं. उनका सियासी सफर कैसा रहा है. जगदीप धनखड़ के बा...और पढ़ें

जगदीप धनखड़ का किठाना गांव से दिल्ली तक का सफर, बेटे की मौत का लग चुका है सदमाजगदीप धनखड़ ने किठाना गांव से दिल्ली तक का सियासी सफर कई टेढ़े मेढ़े मोड़ को पार करके पूरा किया है.

हाइलाइट्स

जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया.धनखड़ का बेटा दीपक का बचपन में निधन हुआ.धनखड़ के भाई रणदीप कांग्रेस से जुड़े हैं.

झुंझुनूं. शौर्य और सैनिकों की धरा झुंझुनूं जिले के सपूत पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस समय देशभर में चर्चा का विषय बने हुए हैं. साधारण किसान परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ ने झुंझुनूं के छोटे से किठाना गांव से दिल्ली तक का सियासी सफर कई टेढ़े मेढ़े मोड़ को पार करके पूरा किया है. उनके अप्रत्याशित रूप से उपराष्ट्रपति का पद छोड़ने के कारण देशभर में बहस छिड़ी हुई है. वहीं उनके भविष्य को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. उनके इस कदम से किठाना गांव के भी लोग हैरान हैं. दो दिन पहले जिस किठाना गांव के लोग जोश से लबरेज थे वहां आज सुस्ती छाई हुई है.

जगदीप धनखड़ किठाना के किसान गोकुलचंद के तीन बेटों में सबसे बड़े हैं. उनके परिवार में पत्नी सुदेश धनखड़ के अलावा उनकी बेटी कामना धनखड़ है. हालांकि जगदीप धनखड़ के एक बेटा दीपक भी था. लेकिन दीपक का महज 14-15 साल की उम्र में ब्रेन हेम्ब्रेज के कारण बचपन में ही निधन हो गया था. उनकी बेटी कामना की शादी झुंझुनूं जिले से सटी हरियाणा राज्य में हुई है. धनखड़ के दामाद कार्तिककेय वाजपेयी ठेकेदारी के पेशे से जुड़े हुए हैं. कामना अपने पति के साथ गुरुग्राम में ही रहती हैं.

सेहत, सियासत और इस्तीफा: राजस्थान की राजनीति में जगदीप धनखड़ फैक्टर कितना दिखाएगा असर?

भाई रणदीप धनखड़ कांग्रेस से जुड़े हुए हैं
जगदीप धनखड़ के दो भाई रणदीप धनखड़ और कुलदीप धनखड़ हैं. रणदीप धनखड़ कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. वे कांग्रेस राज में राजस्थान टूरिज्म डवलपमेंट कॉरपोरेशन (RTDC) के चैयरमेन रह चुके हैं. वे पूर्व सीएम अशोक गहलोत के नजदीकी माने जाते हैं. वहीं कुलदीप धनखड़ भी ठेकेदारी के पेशे से जुड़े हुए हैं. ये दोनों भाई जयपुर रहते हैं. जगदीप धनखड़ भले ही राजनीति के चलते देशभर में घूमते रहे हों लेकिन वे कभी अपने गांव को नहीं भूले. उनके गांव के चक्कर अक्सर लगते रहते हैं.

Rajasthan Politics: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से राजस्थान की जाट राजनीति गरमाई, जानें क्या होगा असर?

पहली बार झुंझुनूं से सांसद बने धनखड़
यहां तक कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी वे बीते तीन साल में तीन बार अपने गांव आ चुके हैं. जगदीप धरखड़ की स्कूली शिक्षा दीक्षा किठाना गांव में हुई. बाद में उन्होंने कानून की पढ़ाई कर वकालत का पेशा अपनाया. राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर नाम कमाया. फिर राजनीति में कदम रखा. जगदीप धनखड़ ने नौंवीं लोकसभा (1989 से 1991) के लिए राजस्थान में झुंझुनूं संसदीय सीट से जनता दल उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे. उसी दौरान कुछ समय के लिए वे वीपी सिंह की सरकार में संसदीय कार्य मंत्रालय में उपमंत्री बने. लेकिन वे ज्यादा समय तक इस पार्टी में नहीं रहे.

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे धनखड़
जगदीप धनखड़ ने 1991 में जनता दल छोड़ कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली. उन्होंने 1991 में कांग्रेस के टिकट पर अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन बीजेपी रासा सिंह रावत से हार गए. बाद में 1993 वे अजमेर जिले की किशनगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस से चुनाव लड़कर विजयी हुए. उन्होंने भाजपा के जगजीत सिंह को हराया. 1998 में उन्होंने झुंझुनूं से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन तीसरे स्थान पर रहे. उसके बाद धनखड़ का कांग्रेस से भी मन ऊब गया. 2003 में जब वसुंधरा राजे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनी तो धनखड़ उनके साथ आ गए. बीजेपी में आने के बाद वे उपराष्ट्रपति बनने से पहले ममता बनर्जी के गढ़ पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल भी रहे.

Sandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

Location :

Jhunjhunu,Jhunjhunu,Rajasthan

homerajasthan

जगदीप धनखड़ का किठाना गांव से दिल्ली तक का सफर, बेटे की मौत का लग चुका है सदमा

Read Full Article at Source