प्रियदर्शिनी मट्टू केस: परिवार ने की मांग- 'कातिल को रिहा न किया जाए'

11 hours ago

Last Updated:July 23, 2025, 19:42 IST

 परिवार ने की मांग- 'कातिल को रिहा न किया जाए'प्रियदर्शिनी मट्टू के दोषी की रिहाई रोकने को लिखा पत्र.

नई दिल्ली: बहुचर्चित प्रियदर्शिनी मट्टू बलात्कार और हत्या मामले में नया मोड़ आया है. पीड़िता के परिवार ने दिल्ली के गृहमंत्री अशिष सूद से मुलाकात कर दोषी संतोष कुमार सिंह की सजा माफ कर रिहा किए जाने की संभावनाओं पर कड़ा ऐतराज़ जताया है. परिवार ने मंत्री को एक औपचारिक पत्र सौंपते हुए कहा कि ऐसे जघन्य अपराध के दोषी को किसी भी हालत में जेल से रिहा नहीं किया जाना चाहिए. यह मामला सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे समाज की न्याय प्रणाली और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल है.

‘रिहाई का पुनर्विचार न्याय प्रणाली की गरिमा को ठेस’

संतोष कुमार सिंह की रिहाई की याचिका पहले ही सजा पुनरीक्षण बोर्ड द्वारा खारिज की जा चुकी थी. लेकिन अब दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद बोर्ड दोबारा इस पर विचार कर रहा है. परिवार और ‘जस्टिस फॉर प्रियदर्शिनी मट्टू’ अभियान से जुड़े सदस्यों ने कहा कि ऐसा फैसला न्याय की आत्मा के खिलाफ होगा और समाज को गलत संदेश देगा.

संतोष की पुरानी हरकतें और ‘अच्छे आचरण’ का मिथक

प्रियदर्शिनी के साथ हुए अपराध से पहले ही संतोष कुमार सिंह ने उसे बार-बार पीछा किया, डराया और उत्पीड़न किया था. पुलिस में कई बार शिकायतें दी गईं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. आखिरकार, 1996 में उसने उसकी बलात्कार कर हत्या कर दी. यह अपराध क्षणिक गुस्से में नहीं बल्कि पूर्व नियोजित था. परिवार ने कहा कि जेल में कथित अच्छे आचरण के आधार पर रिहाई का दावा खोखला है, क्योंकि बाहर उसकी प्रवृत्ति पहले से ही खतरनाक थी.

दोबारा अपराध की आशंका और कानूनी प्रावधान

परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया, जिनमें कहा गया है कि सजा में माफी कोई अधिकार नहीं, बल्कि विशेष परिस्थितियों में दी जाने वाली छूट है. बलात्कार के दोषियों में दोबारा अपराध की प्रवृत्ति भी स्पष्ट रूप से सामने आई है. ऐसे कई उदाहरण पत्र में शामिल किए गए हैं, जहां रिहा होने के बाद अपराधियों ने फिर से महिलाओं को निशाना बनाया.

‘यदि वह छूट गया, तो न्याय की उम्मीद बेमानी हो जाएगी’

प्रियदर्शिनी के परिवार ने कहा कि अगर संतोष कुमार सिंह को रिहा किया गया, तो यह उन हज़ारों पीड़िताओं और उनके परिवारों के लिए गहरा आघात होगा, जो न्याय की उम्मीद में संघर्ष कर रहे हैं. इससे बलात्कार पीड़िताएं और भी हतोत्साहित होंगी और अपराधियों का हौसला बढ़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह फैसला दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय की साख पर प्रश्नचिन्ह बन जाएगा.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

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