जब शुरू में पृथ्वी थी गर्म और बिल्कुल सूखी तो समुद्र में इतना पानी आया कहां से

7 hours ago

जब पृथ्वी बनी तो वो गर्म गोला थी. इसमें लावा और गैसें थीं. फिर ये ठंडी होती गई. ये बिल्कुल सूखी थी. इस पर पानी की एक बूंद भी नहीं थी तो फिर कैसे समुद्र बने. कैसे उनमें इतना अथाह पानी आया कि दुनिया के 71 फीसदी इलाके में केवल समुद्र के पानी से भरे हुए हैं. है ना हैरानी और ताज्जुब की बात.

समुद्रों की विशालता और उनमें मौजूद अथाह पानी को देखकर ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर इतना पानी आया कहां से? पृथ्वी के 71% हिस्से को ढकने वाले इस पानी की उत्पत्ति एक रहस्यमयी और वैज्ञानिक सवाल. वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक इस बारे में शोध किया.

कैसे हुई पृथ्वी की शुरुआत, कैसे आया पानी

पृथ्वी की उम्र लगभग 4.6 अरब साल है. जब पृथ्वी बनी थी, तब यह एक गर्म, पिघला हुआ गोला थी, जिसमें लावा और गैसें थीं. उस समय पृथ्वी की सतह इतनी गर्म थी कि कोई भी पानी तरल रूप में मौजूद था ही नहीं और ना रह सकता था. वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के ठंडा होने के बाद ही पानी की उत्पत्ति संभव हुई होगी. सवाल यही है कि इतना ज्यादा पानी आया कहां से?

जब पृथ्वी अरबों साल पहले बनी तो गर्म लावों और गैसों से भरी हुई थी. ये बहुत गर्म थी. ( news18)

क्या ये पृथ्वी के अंदर से आया

वैज्ञानिकों का एक समूह मानता है कि पृथ्वी के बनने के दौरान इसके अंदर पानी मौजूद था. जब पृथ्वी एक गर्म गोला थी, तब इसमें कई रासायनिक तत्व और यौगिक मौजूद थे. इनमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन जैसे तत्व शामिल थे, जो पानी (H₂O) बनाने के लिए जरूरी हैं. जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी हुई, ये तत्व आपस में मिलकर पानी बनाने लगे.

पृथ्वी की सतह के नीचे, मेंटल नामक परत में आज भी पानी मौजूद है. यह पानी खनिजों के अंदर बंधा हुआ है. वैज्ञानिकों ने पाया कि कुछ खास खनिज, जैसे रिंगवुडाइट पानी को अपने अंदर सोख सकते हैं.

एक अनुमान के अनुसार, पृथ्वी के मेंटल में इतना पानी हो सकता है, जितना सभी समुद्रों में मिलाकर है. जब पृथ्वी के अंदर ज्वालामुखी विस्फोट और अन्य भूगर्भीय गतिविधियां हुईं, तो यह पानी भाप के रूप में सतह पर आया. फिर आकाश में ऊपर जाकर बारिश के रूप में जमीन पर गिरा. इस तरह धीरे-धीरे समुद्र बनने शुरू हुए.

पृथ्वी के काफी नीचे मेंटल नामक परत है, जिसमें बहुत पानी है. ये पानी खनिजों के अंदर बंधा हुआ है. रिंगवुडाइट जैसे इस सतह में पाए जाने वाले खनिज बहुत ज्यादा पानी को अपने अंदर सोख सकते हैं. ( news18)

क्या ये पानी अंतरिक्ष से आया

दूसरा सिद्धांत यह कहता है कि पृथ्वी का पानी अंतरिक्ष से आया. जब पृथ्वी बन रही थी, तब सौरमंडल में बहुत सारे उल्कापिंड, धूमकेतु और क्षुद्रग्रह मौजूद थे। इनमें से कुछ में बर्फ के रूप में पानी मौजूद था. वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के शुरुआती दौर में करीब 4 अरब साल पहले इन अंतरिक्षीय पिंडों से टकराने की वजह से पृथ्वी पर पानी आया.

इसे “लेट हेवी बॉम्बार्डमेंट” कहा जाता है. इस दौरान लाखों उल्कापिंड और धूमकेतु पृथ्वी से टकराए, जिससे पानी सतह पर जमा हुआ. धूमकेतुओं में बर्फ की मात्रा बहुत अधिक होती है. जब ये पृथ्वी की सतह से टकराते थे तो उनकी बर्फ पिघलकर पानी बनाती थी.

हालांकि कुछ शोध बताते हैं कि धूमकेतुओं का पानी पृथ्वी के पानी से थोड़ा अलग है, क्योंकि इसमें हाइड्रोजन के आइसोटोप की मात्रा अलग होती है. इस वजह से कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि क्षुद्रग्रहों ने पानी लाने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाई, क्योंकि उनके पानी की संरचना पृथ्वी के पानी से ज्यादा मिलती-जुलती है.

क्षुद्रग्रह से टकराने से उनमें होने वाले बर्फ और पानी पृथ्वी पर आते गए (news18)

फिर कैसे बनने लगे समुद्र

चाहे पानी पृथ्वी के अंदर से आया हो या अंतरिक्ष से, इसका जमाव एक लंबी प्रक्रिया थी। पृथ्वी के ठंडा होने के बाद, सतह का तापमान इतना कम हुआ कि पानी तरल रूप में रह सकता था. तब ये पानी बारिश के रूप में सतह पर जमा होने लगा. शुरुआत में पृथ्वी की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे और बेसिन थे, जो उल्कापिंडों के टकराने से बने थे. इन गड्ढों में पानी भरने लगा. फिर धीरे-धीरे ये समुद्रों में बदल गया.

वैज्ञानिक रिसर्च ये भी कहती है कि लाखों करोड़ों साल पहले एस्टेरायड्स और दूसरे ग्रहों की टक्कर से पृथ्वी पर बने बड़े और विशाल गड्ढे ही बड़े समुद्रों में तब्दील होने लगे. ( news18)

समुद्र कब बनने शुरू हुए

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी पर समुद्र लगभग 3.8 से 4 अरब साल पहले बनने शुरू हुए. उस समय पृथ्वी की जलवायु बहुत गर्म और अस्थिर थी, लेकिन जैसे-जैसे तापमान कम हुआ, समुद्रों का आकार बढ़ता गया. आज के समुद्र जैसे प्रशांत महासागर, हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर लाखों सालों की भूगर्भीय प्रक्रियाओं का नतीजा हैं.

वैज्ञानिक रिसर्च इस बारे में क्या कहती हैं

समुद्र के पानी की उत्पत्ति को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कई तरह के शोध किए हैं.

– 2014 में वैज्ञानिकों ने रिंगवुडाइट नामक खनिज में पानी की मौजूदगी की पुष्टि की. यह खनिज पृथ्वी के मेंटल में गहराई पर पाया जाता है. इस खोज ने यह साबित किया कि पृथ्वी के अंदर बहुत सारा पानी मौजूद हो सकता है, जो समुद्रों को बनाने में बहुत काम आया होगा.

– नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों के नमूने एकत्र किए हैं. उदाहरण के लिए, नासा के “ओसिरिस-रेक्स” मिशन के जरिए क्षुद्रग्रह बेन्नू से नमूने लाए गए, जिनमें पानी के अंश पाए गए. इसी तरह, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के “रोसेटा” मिशन ने धूमकेतु 67P/Churyumov-Gerasimenko का अध्ययन किया. उसमें बर्फ की मौजूदगी पाई गई.

– हाल के शोधों से पता चला है कि क्षुद्रग्रहों का पानी पृथ्वी के पानी से ज्यादा मिलता-जुलता है.

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