Last Updated:December 10, 2025, 23:25 IST
Urea Production Cost : यूरिया की प्रोडक्शन लागत साल 2000 से नहीं बढ़ाई गई और अब सरकार ने इसमें बढ़ोतरी करने का मन बनाया है. उर्वरक सचिव ने कहा है कि साल के आखिर तक उत्पादन लागत पर फैसला हो सकता है.
सरकार ने यूरिया उत्पादन की लागत बढ़ाने का मन बना लिया है.नई दिल्ली. देश में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले उर्वरक यूरिया और उससे जुड़े उत्पादों की लागत में सरकार जल्द ही बदलाव करने वाली है. उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा ने कहा कि सरकार इस साल के आखिर तक 30 गैस-आधारित यूरिया उत्पादकों को निर्धारित लागत भुगतान बढ़ाने की योजना बना रही है. उन्होंने उर्वरक उद्योग की उन चिंताओं को भी दूर किया जिनमें लगभग 25 सालों से लागत में बदलाव नहीं किया गया है.
भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) के एक कार्यक्रम में मिश्रा ने कहा कि निर्धारित लागत, जिसमें वेतन और संयंत्र रखरखाव सहित कार्यशील पूंजी की जरूरतें शामिल हैं, वर्ष 2000 से तेज महंगाई के बावजूद जस की तस बनी रही हैं. लिहाजा करीब 25 साल बाद उत्पादों की लागत में बढ़ोरी की योजना बना रहे हैं. हम बहुत जल्द फैसला करने वाले हैं. मुझे ऐसा बहुत जल्द होने की उम्मीद है और माना जा रहा है कि साल का अंत से पहले ही हम इसका फैसला कर सकेंगे. वैसे तो मंत्रालय यह फैसला अपने स्तर पर ही लेगा और इसके लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी.
क्या होगा फैसले का असर
वैसे तो अभी यह क्लीयर नहीं है कि यूरिया आधारित उर्वरकों की उत्पादन लागत बढ़ने का असर किसानों पर भी पड़ेगा या नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि लागत बढ़ने से इसका बाजार मूल्य भी जरूर बढ़ जाएगा. इससे किसानों को बचाने के लिए सरकार को अपनी सब्सिडी का दायरा बढ़ाना पड़ सकता है. जाहिर है कि अगर बढ़ी कीमत के असर से किसानों को बचाया जाता है तो इसकी भरपाई सरकार को अपने खजाने से करनी पड़ेगी.
अभी यूरिया पर कितनी सब्सिडी
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत सरकार देश में यूरिया पर बंपर सब्सिडी देती है, तभी किसानों को इतनी सस्ती कीमत पर मिलता है. वास्तव में यूरिया की प्रति बोरी की निर्माण लागत 1,635 रुपये है, जबकि किसानों को यह महज 266 रुपये में मिल जाता है. इसका मतलब है कि एक बोरी यूरिया के पीछे सरकार 1,369 रुपये की सब्सिडी देती है. सीधे तौर पर देखा जाए तो यूरिया की कुल लागत का 80 फीसदी हिस्सा तो सरकार ही वहन करती है, ताकि किसानों पर इसका बोझ न पड़े. सरकार ने चालू वित्तवर्ष के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी की बात कही है.
कुछ उर्वरक का 60 फीसदी यूरिया ही
देश में यूरिया से किसानों का हित सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. किसानों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले कुल उर्वरक का 50 से 60 फीसदी सिर्फ यूरिया ही होता है. अगर इसकी बोरी की कीमत 400 से 500 रुपये भी हो जाती है तो प्रति एकड़ खेती की लागत भी 2.5 हजार रुपये तक बढ़ जाएगी. इससे 85 फीसदी सीमांत अथवा छोटे किसान प्रभावित होंगे. फसलों की उत्पादकता भी 8 से 15 फीसदी तक कम हो सकती है.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 10, 2025, 23:25 IST

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