30 की उम्र के बाद MBA कर सकते हैं? फीस भरने से पहले जानें चुनौतियां और फायदे

1 hour ago

नई दिल्ली (MBA After 30). ‘सेटल’ होने की उम्र में ‘स्ट्रगल’ का रिस्क! उदाहरण- आपकी उम्र 32 साल है, सिर पर होम लोन की EMI है, घर में बच्चों की जिम्मेदारी है और अचानक एक दिन ऑफिस में आपको लगता है कि आपका करियर ‘वेंटिलेटर’ पर है. इसी मोड़ को दुनिया ‘मिड-लाइफ क्राइसिस’ कहती है. इस घुटन से निकलने के लिए आज-कल के प्रोफेशनल्स के पास एक ही मंत्र है- MBA! लेकिन क्या 30 की उम्र पार करने के बाद दोबारा कॉलेज बैग उठाना मास्टरस्ट्रोक है या डूबते हुए करियर को बचाने की हताश कोशिश?

यह फैसला किसी ‘थ्रिलर फिल्म’ के क्लाइमेक्स जैसा होता है. एक तरफ लाखों का पैकेज और ऊंचे पद का सपना है तो दूसरी तरफ अपनी जमा-पूंजी दांव पर लगाने का डर. क्या 10 साल तक ‘बॉस’ की तरह हुक्म चलाने के बाद कॉलेज की कैंटीन में एमबीए कोर्स के असाइनमेंट के लिए गिड़गिड़ाना आपके आत्मसम्मान और बैंक बैलेंस के लिए सही सौदा है? आइए, इस मिड-लाइफ एडवेंचर की परतें खोलते हैं और देखते हैं कि यह रिस्क आपको अर्श पर ले जाएगा या फर्श पर.

करियर का ‘रीस्टार्ट’ बटन: 30 के बाद MBA

30 साल की उम्र के आस-पास करियर में अक्सर ‘सैचुरेशन पॉइंट’ आ जाता है. आपको लगने लगता है कि बिना किसी बड़ी डिग्री के आप कॉर्पोरेट की इस ऊंची दीवार को फांद नहीं पाएंगे. ऐसे में एमबीए (MBA) एक ‘करियर लॉन्चर’ की तरह नजर आता है. यह केवल डिग्री नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए ‘एग्जिट गेट’ है, जो अपनी पुरानी फील्ड से तंग आ चुके हैं और एक नई पहचान तलाश रहे हैं.

तिजोरी पर वार और ROI का हिसाब

30 की उम्र के बाद एमबीए कोर्स करना अपनी तिजोरी में खुद ही सेंध लगाने जैसा है. आप न केवल अपनी हर महीने आने वाली मोटी सैलरी को लात मारते हैं, बल्कि बरसों की सेविंग्स को भी कॉलेज की फीस में झोंक देते हैं. यहां सवाल केवल पढ़ाई का नहीं, बल्कि ‘रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट’ (ROI) का भी है. अगर आप टॉप-5 मैनेजमेंट कॉलेज में नहीं पहुंचे तो 35 की उम्र में 25 साल के युवाओं के साथ कतार में खड़े होकर इंटरव्यू देना किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा.

EMI, बच्चे और क्लासरूम: तालमेल का तनाव

22 साल के लड़के के पास खोने के लिए कुछ नहीं होता, लेकिन 30+ प्रोफेशनल के कंधों पर जिम्मेदारियों का पहाड़ होता है. जब आपके दोस्त फेसबुक पर अपनी नई कार की फोटो डाल रहे होंगे, तब आप शायद लाइब्रेरी में बैठकर ‘मार्केटिंग स्ट्रैटेजी’ रट रहे होंगे. घर पर परिवार या घूमने-फिरने का समय काटकर पढ़ाई में लगाना एक ऐसा मानसिक बोझ है, जो अक्सर डिप्रेशन की वजह बन जाता है. इस उम्र में आप केवल स्टूडेंट नहीं होते, बल्कि एक ‘फुल-टाइम जुआरी’ होते हैं, जो अपने भविष्य के साथ दांव लगा रहा होता है.

मार्केट की बेरहमी: क्या कंपनियां आपको भाव देंगी?

कॉर्पोरेट जगत बहुत बेरहम माना जाता है. क्या कोई कंपनी 34 साल के ‘एमबीए फ्रेशर’ को वो इज्जत और पैकेज देगी, जिसकी उसने उम्मीद की थी? अगर आप अपने पुराने वर्क-एक्सपीरियंस को एमबीए के साथ सही ढंग से ‘ब्लेंड’ कर पाए तो आप गोल्ड माइन हैं. लेकिन अगर आप पूरी तरह से रास्ता बदलना चाहते हैं तो याद रखिए, मार्केट में आपसे आधी उम्र के लड़के आपसे आधी सैलरी पर काम करने को तैयार बैठे हैं.. और शायद ज्यादातर कंपनियां उन्हीं को महत्व भी देंगी.

30+ की उम्र में एमबीए का रिस्क किसे लेना चाहिए?

30 की उम्र के बाद एमबीए की पढ़ाई हर किसी के लिए नहीं है. यह रिस्क केवल उन्हें लेना चाहिए, जो इन कैटेगरीज में आते हैं:

करियर स्टैग्नेशन (ठहराव) वाले: अगर आप पिछले 3-4 साल से एक ही रोल पर हैं और आपकी सैलरी में ‘हल्दी-नमक’ जितनी ही बढ़ोतरी हो रही है तो आपको इस बूस्टर की जरूरत है. डोमेन स्विच करने वाले: अगर आप सेल्स से तंग आ चुके हैं और फाइनेंस में जाना चाहते हैं या कोडिंग छोड़कर स्ट्रैटेजी और मैनेजमेंट में बैठना चाहते हैं तो एमबीए ‘पासपोर्ट’ की तरह काम करेगा. लीडरशिप की चाहत रखने वाले: अगर आप तकनीकी रूप से बहुत मजबूत हैं, लेकिन टीम मैनेज करना या बिजनेस चलाना नहीं आता तो यह डिग्री ‘मैनेजर’ से ‘लीडर’ बनाने में मदद करेगी. नेटवर्किंग के शौकीन: अगर आपकी पहुंच केवल अपने ऑफिस के केबिन तक है तो एक टॉप एमबीए कॉलेज आपको देश के सबसे प्रभावशाली लोगों के नेटवर्क में शामिल कर देगा.

30 के बाद एमबीए करने के 5 बड़े फायदे

30 की उम्र के बाद एमबीए कोर्स में एडमिशन लेने के नुकसान हैं तो कुछ फायदे भी हैं. आप दोनों को अपनी जरूरतों के तराजू में तौलकर फाइनल निर्णय ले सकते हैं.

1. करियर की ‘सेकंड इनिंग’ में उछाल

सबसे बड़ा फायदा है सैलरी हाइक. 30 के बाद एमबीए करने पर आपका पुराना वर्क एक्सपीरियंस बेकार नहीं जाता. कंपनियां आपको ‘एग्जीक्यूटिव’ की तरह देखती हैं और आपको मिड-लेवल या सीनियर मैनेजमेंट के रोल मिलते हैं, जहां पैकेज सीधे दोगुना या तिगुना हो सकता है.

2. ग्लोबल नेटवर्किंग और एलुमनाई पावर

इस उम्र तक आप दुनिया को बेहतर तरीके से समझने लगते हैं. एमबीए कॉलेज में आपके साथ पढ़ने वाले लोग कल के सीईओ और स्टार्टअप फाउंडर्स होंगे. यह नेटवर्क जीवनभर काम आता है, चाहे आपको जॉब बदलनी हो या खुद का बिजनेस शुरू करना हो.

3. सॉफ्ट स्किल्स और पर्सनैलिटी मेकओवर

30 की उम्र तक हम एक खास ढर्रे में ढल जाते हैं. एमबीए आपको वापस ‘लर्निंग मोड’ में लाता है. यह आपकी बातचीत करने का तरीका, प्रेजेंटेशन स्किल्स और क्रिटिकल थिंकिंग को इस कदर निखार देता है कि आप किसी भी बोर्डरूम मीटिंग को लीड कर सकें.

4. स्टार्टअप और एंटरप्रेन्योरशिप के लिए तैयारी

अगर आप खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं तो एमबीए आपको बिजनेस के हर पहलू (मार्केटिंग, फाइनेंस, ऑपरेशन्स) की बेसिक समझ दे देता है. 30 की उम्र में आपके पास अनुभव और डिग्री, दोनों का कॉम्बो होता है, जिस पर इन्वेस्टर्स ज्यादा भरोसा करते हैं.

5. क्रेडिबिलिटी और ब्रांड वैल्यू

अगर आपने किसी टॉप मैनेजमेंट कॉलेज (जैसे आईआईएम या अन्य टॉप बी स्कूल) से एमबीए कर लिया तो समाज और मार्केट में आपकी साख अपने आप बढ़ जाएगी. यह एक ‘सर्टिफिकेशन’ है कि आप मुश्किल चुनौतियों को संभालने के लिए तैयार हैं.

क्या करें, ‘एग्जीक्यूटिव’ या ‘फुल टाइम’ एमबीए?

30 पार कर चुके लोगों के लिए 1 साल का एग्जीक्यूटिव एमबीए (Executive MBA) बेस्ट होता है. इसमें आप कम समय में डिग्री हासिल कर लेते हैं और आपके साथ आपकी ही उम्र और अनुभव वाले लोग होते हैं, जिससे नेटवर्किंग ज्यादा मजबूत होती है.

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