नई दिल्ली1 मिनट पहले
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इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी IMF ने लोन की नई किश्त के लिए 11 शर्तें बढ़ाई थी।
पाकिस्तान सरकार अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंकों से 4.9 बिलियन डॉलर (करीब 41,000 करोड़ रुपए) का कर्ज लेने की प्लानिंग कर रही है।
ये कर्ज इसी महीने इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड यानी IMF से 1 बिलियन डॉलर (₹12 हजार करोड़) का कर्ज मंजूर होने के बाद लिया जा रहा है।
इस कर्ज का इस्तेमाल वित्तीय जरूरतों को पूरा करने और विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। कर्ज के लिए पाकिस्तान चार बड़े अंतरराष्ट्रीय बैंकों से बातचीत कर रहा है।
चीन के बैंक से मांग रही लोन
पाकिस्तान चाइना के ICBC बैंक से 1.1 अरब डॉलर और स्टैंडर्ड चार्टर्ड और दुबई इस्लामिक बैंक से 500 -500 मिलियन डॉलर लोन मांगे के लिए बात कर रहा है।
इसी के साथ एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) से भी 500 डॉलर के लिए गारंटी मांगी जा रही है। पाकिस्तान ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने आर्थिक विकास का लक्ष्य 3.6% रखा था। लेकिन 2.68% की दर से ही विकास हो पाया।
7-8% ब्याज पर ₹22,000 करोड़ का लोन लेने की तैयारी
पकिस्तान के ARY न्यूज के मुताबिक सरकार 2.64 बिलियन डॉलर (22,000 करोड़ रुपए) का शॉर्ट-टर्म कर्ज लेगा। जिस पर 7-8% सालाना ब्याज देना होगा।
इसके अलावा सरकार 2.27 बिलियन डॉलर (18,900 करोड़ रुपए) लंबी अवधि के लिए कर्ज लेने की योजना है।

लोन के पैसे से रक्षा बजट बढ़ाना चाहता है पाकिस्तान
इससे पहले IMF ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को बेलआउट प्रोग्राम के लिए खतरा बताया है। इसके साथ ही, लोन की अगली किश्त जारी करने के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लगाई गई हैं। अब लोन के लिए पाकिस्तान पर कुल शर्तें 50 हो गई हैं।
बेलआउट प्रोग्राम की पहली रिव्यू मीटिंग में IMF ने कहा कि अगर तनाव जारी रहा या और बढ़ा, तो पाकिस्तान का रक्षा बजट लोन पर बोझ बन सकता है। ये पहले ही 12% बढ़कर 2.414 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपया हो चुका है।
पाकिस्तानी सरकार इसे 18% बढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपया करने पर अड़ी है। IMF इसे फंड के दुरुपयोग होने का संकेत मान रहा है।
9 मई को ₹12 हजार करोड़ का लोन दिया
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने 9 मई को क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को 1.4 बिलियन डॉलर (करीब ₹12 हजार करोड़) का नया लोन दिया था। साथ ही, एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत मिल रहे 7 बिलियन डॉलर (करीब ₹60 हजार करोड़) की मदद की पहली समीक्षा को भी मंजूरी दी है। इससे पाकिस्तान को अगली किस्त के 1 बिलियन डॉलर (करीब ₹8,542 करोड़) मिलेंगे।
इस रिव्यू अप्रूवल से 7 बिलियन डॉलर के सहायता प्रोग्राम के तहत कुल 2 बिलियन डॉलर का डिस्बर्समेंट हो गया है। रेजिलिएंस लोन से पाकिस्तान को तत्काल कोई राशि नहीं मिलेगी।
भारत ने कहा- आतंकवाद को फंडिंग करना खतरनाक
IMF की एग्जीक्यूटिव बोर्ड की मीटिंग में भारत ने पाकिस्तान को दी जा रही फंडिंग पर चिंता जताई और कहा कि इसका इस्तेमाल पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद फैलाने के लिए करता है। भारत समीक्षा पर वोटिंग का विरोध करते हुए उसमें शामिल नहीं हुआ। भारत ने एक बयान जारी कर कहा-
सीमा पार आतंकवाद को लगातार स्पॉन्सरशिप देना ग्लोबल कम्युनिटी को एक खतरनाक संदेश भेजता है। यह फंडिंग एजेंसियों और डोनर्स की प्रतिष्ठा को जोखिम में डालता है और वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ाता है। हमारी चिंता यह है कि IMF जैसे इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से आने वाले फंड का दुरुपयोग सैन्य और राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवादी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
भारत ने कहा था- पाक को सहायता देने से पहले IMF अपने अंदर गहराई से झांके

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने गुरुवार को कहा था- मुझे लगता है कि यह एक ऐसा निर्णय है जिसे (IMF) बोर्ड के सदस्यों को अपने भीतर गहराई से देखकर और तथ्यों को देखकर लेना चाहिए।
IMF की मीटिंग से एक दिन पहले गुरुवार (8 मई) को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि पाकिस्तान को राहत देने से पहले IMF के बोर्ड को अपने अंदर गहराई से देखना चाहिए और तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए। पिछले तीन दशकों में IMF ने पाकिस्तान को कई बड़ी सहायता दी है। उससे चलाए गए कोई भी कार्यक्रम सफल नतीजे तक नहीं पहुंच पाए हैं।
क्या करता है IMF का एग्जीक्यूटिव बोर्ड?
IMF एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो देशों को आर्थिक मदद करती है, सलाह देती है और उनकी अर्थव्यवस्था पर नजर रखती है। इस संस्था की कोर टीम एग्जीक्यूटिव बोर्ड होता है। यह टीम देखती है कि किस देश को लोन देना है, किन नीतियों को लागू करना है और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कैसे काम करना है।
इसमें 24 सदस्य होते हैं जिन्हें कार्यकारी निदेशक कहा जाता है। हर एक सदस्य किसी देश या देश के समूह का प्रतिनिधित्व करता है। भारत का एक अलग (स्वतंत्र) प्रतिनिधि होता है। जो भारत की तरफ से IMF में अपनी बात रखता है। साथ ही यह देखता है कि IMF की नीतियां देश को नुकसान न पहुंचाएं। संस्था किसी देश को लोन देने वाली हो, तो उस पर भारत की तरफ से राय देना।
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पाकिस्तान का हर बच्चा इस वक्त अपने सिर 86.5 हजार रुपए कर्ज लेकर पैदा होता है। तेल और गैस का इम्पोर्ट बिल हो या सैलरी और सब्सिडी जैसे रोजमर्रा के खर्च, पाकिस्तान की पूरी इकोनॉमी ही कर्ज पर चल रही है। लेकिन अब भारत IMF से पाकिस्तान को मिलने वाले लोन के खिलाफ वोट कर सकता है।