नई दिल्ली (Easiest Courses after 12th). विभिन्न बोर्ड्स ने 10वीं, 12वीं के रिजल्ट घोषित कर दिए हैं. सीबीएसई, एमपी और राजस्थान बोर्ड रिजल्ट भी जल्द ही जारी कर दिए जाएंगे. बोर्ड रिजल्ट घोषित होते ही टॉपर्स की कहानियां वायरल होने लगती हैं. कोई जज बनना चाहता है, कोई इंजीनियर-डॉक्टर तो कोई सरकारी अफसर. लेकिन इन्हीं के बीच कुछ ऐसे बच्चे भी होते हैं, जो किसी तरह से बोर्ड परीक्षा में पास होते हैं और आगे आसान कोर्स की पढ़ाई करके करियर बनाना चाहते हैं.
अगर बच्चा पढ़ाई में कमजोर है और 12वीं में मुश्किल से पास हुआ है तो ऐसे कोर्स चुनना जरूरी है जो सरल हों, कम समय में पूरे हो सकें और नौकरी या बिजनेस के अवसर भी प्रदान करें. जानिए 5 सबसे आसान कोर्स, जिनमें पढ़ाई का प्रेशर कम है और नौकरी या बिजनेस की संभावना भी रहती हैं. ये कोर्स आमतौर पर डिप्लोमा या सर्टिफिकेट स्तर के हैं और किसी भी स्ट्रीम (आर्ट्स, कॉमर्स, साइंस) के स्टूडेंट्स इनमें एडमिशन ले सकते हैं.
1. डिप्लोमा इन डिजिटल मार्केटिंग (Diploma in Digital Marketing)
इस कोर्स में कठिन गणित या थ्योरेटिकल पढ़ाई की जरूरत नहीं होती है. यह सोशल मीडिया मैनेजमेंट, SEO और ऑनलाइन विज्ञापन जैसी प्रैक्टिकल स्किल्स पर फोकस्ड है. इन्हें समझना आसान है. डिजिटल मार्केटिंग कोर्स में प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग होती है, जो कमजोर छात्रों के लिए मददगार है. इसकी अवधि आमतौर पर 6 महीने से 1 साल रहती है.
नौकरी: डिजिटल मार्केटिंग में फ्रेशर्स को जॉब्स आसानी से मिल सकती हैं, जैसे सोशल मीडिया मैनेजर, कंटेंट क्रिएटर या SEO असिस्टेंट. शुरुआती सैलरी 15,000-25,000 रुपये प्रति माह हो सकती है. डिमांड बढ़ रही है क्योंकि हर बिजनेस को ऑनलाइन प्रेजेंस चाहिए.
बिजनेस: फ्रीलांस डिजिटल मार्केटिंग सर्विसेज शुरू कर सकते हैं. छोटे व्यवसायों के लिए सोशल मीडिया हैंडल करना या विज्ञापन चलाना एक अच्छा बिजनेस मॉडल है. कम इनवेस्टमेंट (सिर्फ लैपटॉप और Wifi) से शुरुआत हो सकती है.
कहां से करें: कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Coursera, Udemy या स्थानीय इंस्टीट्यूट जैसे NIIT, Aptech या Digital Vidya ये कोर्स ऑफर करते हैं. कुछ इंस्टीट्यूट में 50% अंकों की न्यूनतम आवश्यकता भी नहीं होती है.
एडमिशन: 12वीं पास (किसी भी स्ट्रीम से), बिना प्रवेश परीक्षा के सीधा एडमिशन.
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2. डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (Diploma in Computer Application – DCA)
इस कोर्स में MS Office, टाइपिंग, इंटरनेट यूज और बेसिक प्रोग्रामिंग जैसी कंप्यूटर स्किल्स सीख सकते हैं. डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन के लिए गहरी तकनीकी समझ की जरूरत नहीं है. इसमें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर फोकस किया जाता है. पढ़ाई में कमजोर स्टूडेंट्स रोजमर्रा के कंप्यूटर इस्तेमाल से इसका डिप्लोमा हासिल कर सकते हैं. इसकी अवधि 6 महीने से 1 साल है.
नौकरी: डेटा एंट्री ऑपरेटर, ऑफिस असिस्टेंट या कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव जैसी नौकरियां आसानी से मिल सकती हैं. शुरुआती सैलरी 10,000-20,000 रुपये प्रति माह. छोटे शहरों में भी डिमांड है.
बिजनेस: कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर खोल सकते हैं या फ्रीलांस डेटा एंट्री वर्क ले सकते हैं. साइबर कैफे या प्रिंटिंग/स्कैनिंग सर्विसेज भी शुरू की जा सकती हैं.
कहां से करें: स्थानीय इंस्टीट्यूट जैसे Aptech, Jetking या सरकारी ITI सेंटर्स में भी उपलब्ध है. कई ऑनलाइन कोर्स भी हैं.
एडमिशन: 12वीं पास, बिना प्रवेश परीक्षा. कुछ संस्थानों में 45-50% (12वीं) अंक मांगे जा सकते हैं.
3. सर्टिफिकेट कोर्स इन टैली (Certificate Course in Tally)
टैली एक अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर है. इसे सीखना काफी सरल है. यह बेसिक अकाउंटिंग कॉन्सेप्ट्स और सॉफ्टवेयर ऑपरेशन पर फोकस करता है. सर्टिफिकेट कोर्स इन टैली के लिए कठिन गणित की जरूरत नहीं है. प्रैक्टिकल ट्रेनिंग से कमजोर स्टूडेंट्स भी इसे आसानी से सीख सकते हैं. इस कोर्स की अवधि भी आमतौर पर 3 से 6 महीने होती है.
नौकरी: छोटी-बड़ी कंपनियों में अकाउंटिंग असिस्टेंट, बिलिंग क्लर्क या टैली ऑपरेटर की नौकरियां मिल सकती हैं. शुरुआती सैलरी 12,000-20,000 रुपये प्रति माह. कॉमर्स स्टूडेंट्स को थोड़ा फायदा हो सकता है, लेकिन नॉन कॉमर्स बैकग्राउंड वाले भी इसे सीख सकते हैं.
बिजनेस: छोटे व्यवसायों के लिए टैली बेस्ड अकाउंटिंग सर्विसेज शुरू की जा सकती हैं, जैसे GST फाइलिंग या बहीखाता मैनेजमेंट (Bookkeeping Management). फ्रीलांस काम भी उपलब्ध है.
कहां से करें: Tally Education, NIIT या स्थानीय ट्रेनिंग सेंटर्स से. ऑनलाइन कोर्स भी उपलब्ध हैं.
एडमिशन: 12वीं पास, बिना प्रवेश परीक्षा. न्यूनतम अंक की कोई शर्त नहीं.
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4. डिप्लोमा इन रिटेल मैनेजमेंट (Diploma in Retail Management)
यह कोर्स रिटेल स्टोर मैनेजमेंट, कस्टमर सर्विस और सेल्स टेक्नीक्स सिखाता है, जो रोजमर्रा की स्किल्स पर आधारित हैं. इसमें थ्योरेटिकल पढ़ाई कम और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग ज्यादा होती है. कमजोर स्टूडेंट्स के लिए इसे समझना और फॉलो करना आसान है. कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर हों तो फायदा मिलेगा. इसकी अवधि 6 महीने से 1 वर्ष है.
नौकरी: रिटेल चेन, मॉल्स या शोरूम में सेल्स एग्जीक्यूटिव, स्टोर असिस्टेंट या कस्टमर सर्विस रिप्रेजेंटेटिव की नौकरियां. शुरुआती सैलरी 12,000-22,000 रुपये प्रति माह. रिटेल सेक्टर में जॉब्स की डिमांड हमेशा रहती है.
बिजनेस: खुद का छोटा रिटेल स्टोर (किराना, कपड़े या इलेक्ट्रॉनिक्स) शुरू कर सकते हैं. रिटेल मैनेजमेंट की समझ से बिजनेस को प्रॉफिटेबल बनाना आसान होता है.
कहां से करें: IGNOU, NIIT या स्थानीय मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट. कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी कोर्स ऑफर करते हैं.
एडमिशन: 12वीं पास, बिना प्रवेश परीक्षा. न्यूनतम 45% अंक पर्याप्त.
5. सर्टिफिकेट कोर्स इन इवेंट मैनेजमेंट (Certificate Course in Event Management)
इस कोर्स के जरिए इवेंट प्लानिंग, ऑर्गनाइजेशन और क्लाइंट हैंडलिंग जैसी प्रैक्टिकल स्किल्स सीख सकते हैं. इसमें जटिल एकेडमिक पढ़ाई नहीं होती है. इसमें क्रिएटिविटी और कम्युनिकेशन स्किल्स पर फोकस किया जाता है. कमजोर स्टूडेंट्स के लिए यह रोचक और प्रैक्टिकल होता है. अगर आप डिग्रीन कोर्स नहीं करना चाहते हैं तो 6 महीने से 1 साल में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं.
नौकरी: इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों, होटल्स या वेडिंग प्लानर्स के साथ जॉब्स, जैसे इवेंट कोऑर्डिनेटर या असिस्टेंट प्लानर. शुरुआती सैलरी 15,000-25,000 रुपये प्रति माह. छोटे शहरों में भी शादियों और इवेंट्स के लिए डिमांड रहती है.
बिजनेस: खुद की इवेंट मैनेजमेंट कंपनी शुरू कर सकते हैं, जैसे वेडिंग प्लानिंग, बर्थडे पार्टी ऑर्गनाइजिंग या कॉरपोरेट इवेंट्स. कम निवेश से शुरुआत संभव है.
कहां से करें: Academy of Event Management & Development (NAEMD), Symbiosis या स्थानीय इंस्टीट्यूट. ऑनलाइन कोर्स भी उपलब्ध.
एडमिशन: 12वीं पास, बिना प्रवेश परीक्षा. न्यूनतम अंकों की शर्त नहीं.
काम की बात
इंस्टीट्यूट का चयन: कोर्स चुनने से पहले इंस्टीट्यूट की विश्वसनीयता, प्लेसमेंट रिकॉर्ड और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग की सुविधा जांच लें. सरकारी ITI या IGNOU जैसे संस्थान किफायती और भरोसेमंद हैं.
स्किल डेवलपमेंट: कोर्स के साथ-साथ बेसिक कम्युनिकेशन स्किल्स, टाइपिंग या इंग्लिश स्पीकिंग पर काम करें. इनसे जॉब ढूंढने में मदद मिलेगी.
फ्रीलांसिंग: डिजिटल मार्केटिंग, टैली या इवेंट मैनेजमेंट में फ्रीलांस काम शुरू करके अनुभव और आय दोनों बढ़ा सकते हैं.
छोटे शहरों में अवसर: ये कोर्स छोटे शहरों में भी नौकरी और बिजनेस के अवसर प्रदान करते हैं, जहां कॉम्पिटीशन कम होता है.
आगे की पढ़ाई: अगर आप भविष्य में डिग्री कोर्स करना चाहें तो इन डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स के बाद BBA, B.Com या BCA जैसे आसान ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं.
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