8वें वेतन आयोग से सैलरी तो बढ़ेगी ही, शेयर बाजार के भी लौट आएंगे अच्छे दिन!

43 minutes ago

Last Updated:November 28, 2025, 15:03 IST

आठवें वेतन आयोग से कर्मचारियों की सैलरी बढ़ेगी तो कर्मचारी अपना खर्च भी बढ़ाएंगे. इससे भारतीय शेयर बाजार में मजबूती आएगी. यह अनुमान JPMorgan ने लगाया है. उसका कहना है कि इससे कंपनियों की बिक्री और मुनाफ़ा बढ़ेगा, और निवेशकों के अच्छे दिन लौट आएंगे. वेतन वृद्धि से पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था को नई रफ़्तार मिलेगी.

8वें वेतन आयोग से सैलरी तो बढ़ेगी ही, शेयर बाजार के भी लौट आएंगे अच्छे दिन!

8th pay commission: अगर करोड़ों कर्मचारियों की जेब में एक साथ ज़्यादा पैसे आने लगें तो बाज़ार का माहौल कैसा बदलेगा? खर्च बढ़ेगा, दुकानों में भीड़ बढ़ेगी और कंपनियों की कमाई तेज़ी से ऊपर जाएगी. यही तस्वीर आठवां वेतन आयोग लागू होने के बाद दिखाई दे सकती है. ग्लोबल बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन (JPMorgan) का कहना है कि जितना ज़्यादा खर्च बढ़ेगा, उतना ही शेयर बाज़ार ऊपर जाएगा. सरकार की ये प्रक्रिया सिर्फ एक वेतन सुधार नहीं, बल्कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को नई रफ़्तार देने वाला इंजन बन सकती है.

आठवें वेतन आयोग को लेकर हलचल तेज़ है. रिटायर्ड जस्टिस रंजन देसाई की अध्यक्षता में बनी यह कमेटी अपनी प्रारंभिक बैठकों में सक्रिय हो गई है. सरकार ने इसकी टर्म ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference) घोषित कर दी हैं. अब कमेटी के पास अपनी रिपोर्ट देने के लिए लगभग 18 महीने का समय है. रिपोर्ट तैयार होने के बाद केंद्र सरकार इस पर अंतिम फैसला लेगी. अगर मंजूरी मिल गई, तो कर्मचारियों को नया वेतन और फायदों का भुगतान भले ही बाद में मिले, लेकिन 1 जनवरी 2026 से इसका असर पीछे की तारीख से लागू माना जाएगा. यानी बीच का सारा बकाया मिल जाएगा.

कंज्प्शन एक्सलेरेशन: तेजी से खर्च करेंगे लोग

JPMorgan ने एनडीटीवी प्रॉफिट के जरिए दिए गए अपने नोट में साफ कहा है कि आठवें वेतन आयोग लागू होने से होने वाली कंज्प्शन एक्सलेरेशन (consumption acceleration), यानी तेज़ी से बढ़ता खर्च, भारतीय शेयर बाज़ार को मजबूती देगा. बैंक का कहना है कि जब कर्मचारियों की जेब में ज़्यादा पैसा आएगा तो वे बड़े पैमाने पर खरीदारी करेंगे. घर, गाड़ी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर और रोज़मर्रा की चीज़ों पर अधिक खर्च होगा. इससे कंपनियों की बिक्री और मुनाफ़ा बढ़ेगा, और मजबूत नतीजे देखकर घरेलू व विदेशी निवेशक शेयर बाज़ार में ज़्यादा पैसा लगाएंगे.

फिटमेंट फैक्टर होगा बहुत अहम

कमेटी वेतन तय करते समय जिस अहम चीज़ को देखती है, वह है फिटमेंट फैक्टर. यह पुराने बेसिक वेतन को नए ढांचे में बदलने वाला गुणांक होता है. इसे तय करने में महंगाई, जीवन-यापन की लागत और डॉ. वैलेस आर आयक्रॉयड का फ़ॉर्मूला भी इस्तेमाल किया जाता है. यही कारक तय करते हैं कि सैलरी में कितनी वास्तविक बढ़ोतरी होगी.

जेपी मॉर्गन ने अपने विश्लेषण में छठे और 7वें वेतन आयोग के प्रभाव की तुलना भी की है. साल 2008 में जब छठा वेतन आयोग लागू हुआ, तब फिटमेंट फैक्टर लगभग 1.74 से 1.86 के बीच था. इसका असर यह हुआ कि वेतन में लगभग 40% तक की बढ़ोतरी मिल गई. कर्मचारियों को भारी भरकम एरियर भी मिले, जिसका सीधा असर बाजार में दिखा और नई कारें, घर, इलेक्ट्रॉनिक्स और बड़े ख़र्च काफी बढ़ गए.

7वें वेतन आयोग ने सैलरी ही बढ़ाई, लेकिन…

लेकिन 2016 के 7वें वेतन आयोग के बाद खरीदारी तो बढ़ी, लेकिन उतनी नहीं. भले ही फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया, लेकिन असल वेतन वृद्धि सिर्फ 23–25 फीसदी ही हुई. इसकी वजह थी कि उस समय डियरनेस अलांउस यानी DA, जो बेसिक सैलरी का 125 फीसदी पहुंच चुका था, उसे नए सिस्टम में शून्य कर दिया गया. कर्मचारियों को एरियर भी लगभग नहीं के बराबर मिले, इसलिए खर्च बढ़ने का असर सिर्फ रोज़मर्रा की चीज़ों तक सीमित रहा, बड़े ख़रीद कम देखने को मिले.

आठवें वेतन आयोग से उम्मीदें बड़ी हैं, क्योंकि वेतन बढ़ने पर कंज्प्शन साइकल दोबारा तेज़ हो सकता है. इससे सरकार को टैक्स के रूप में अधिक कमाई मिलेगी, कंपनियों के नतीजे मजबूत होंगे और भारतीय शेयर बाज़ार में सकारात्मक माहौल बन सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इस बार वेतन वृद्धि व्यावहारिक और संतुलित रही, तो इसका असर सिर्फ सरकारी कर्मचारियों तक नहीं, बल्कि पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिखाई देगा.

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Malkhan Singh

मलखान सिंह पिछले 17 वर्षों से ख़बरों और कॉन्टेंट की दुनिया में हैं. प्रिंट मीडिया से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई नामी संस्थानों का नाम प्रोफाइल में जुड़ा है. लगभग 4 साल से News18Hindi के साथ काम कर रहे ...और पढ़ें

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New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

November 28, 2025, 15:03 IST

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