DNA: क्या भारत-रूस-चीन अपना 'डॉलर' बनाएंगे? SCO समिट के नतीजों से घबराहट में क्यों है US और पश्चिमी देश

2 hours ago

Takeaway from SCO Summit 2025: चीन के तियानजिन में हुए SCO शिखर सम्मेलन से भारत को क्या मिला. SCO में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के मायने क्या हैं. ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच पीएम मोदी का चीन दौरा कितना अहम रहा. इन सभी पहलुओं को हम विस्तार से समझाएंगे. उससे पहले SCO से आई दुनिया की सबसे ताकतवर तस्वीर का विश्लेषण जरूरी है. तियानजिन शहर में दुनिया की तीन आर्थिक महाशक्तियों का महामिलन हुआ. वायरल तस्वीर में तीन वर्ल्ड लीडर दिख रहे हैं. इस वीडियो की चर्चा दुनियाभर में है. सबसे पहले आप यहां ये गौर कीजिए की पीएम मोदी..पुतिन और जिनपिंग कितनी गर्मजोशी से मिल रहे हैं.

पुतिन-जिनपिंग से गर्मजोशी से मिले मोदी

सबसे पहले पीएम मोदी और प्रेसिडेंट पुतिन. एक दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़े. थोड़ी दूर पर खड़े थे शी जिनपिंग. पीएम मोदी ने बड़ी ही गर्मजोशी से उनसे भी हाथ मिलाया. इसके बाद तीनों नेता एक दूसरे का हाथ पकड़कर बातें करते रहे. तीनों की बोली अलग है. भाषा अलग है. बावजूद इसके तीनों के बीच काफी लंबी बातचीत चलती रही. तीनों के बीच क्या बात हुई. ये तो सार्वजनिक नहीं की गई है. लेकिन ये तस्वीर पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा मैसेज है.

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भारत की स्वतंत्र विदेश नीति

इस मुलाकात से दुनिया को पहला संदेश है भारत की स्वतंत्र विदेश नीति. ये मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जब अमेरिका ने रूस के साथ व्यापारिक संबंधों की वजह से भारत पर 50% टैरिफ लगाया है. लेकिन पुतिन के साथ हाथ मिलाकर मोदी ने साफ कर दिया है कि भारत अपने फैसले किसी के दबाव में नहीं लेता है.

दूसरा मैसेज है नया वर्ल्ड ऑर्डर

ये मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जब अमेरिका भारत, चीन और रूस तीनों देशों पर दबाव डाल रहा है. ऐसे वक्त में तीनों नेताओं की एक मंच पर मौजूदगी अमेरिकी प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस मुलाकात से तीसरा संदेश है ग्लोबल साउथ की एकजुटता. भारत, रूस और चीन का साथ आना ट्रंप प्रशासन को संदेश है कि ये तीनों देश मिलकर वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं.

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SCO शिखर सम्मेलन से जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें से दूसरी सबसे अहम तस्वीर हैं आज हुई बैठक की. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच करीब 1 घंटे तक द्वीपक्षीय वार्ता हुई.. इस बैठक में रूस के साथ व्यापार से लेकर ऊर्जा और यूक्रेन युद्ध से लेकर स्पेस सेक्टर में सहयोग पर चर्चा हुई. 

पुतिन के साथ मुलाकात में पीएम मोदी ने क्या कहा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध को लेकर चिंता तो जताई ही लेकिन उन्होंने यहां एक अहम बात कही. उन्होंने कहा कि भारत और रूस कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं. जानकार मान रहे हैं कि मोदी ने ये बात भले ही पुतिन के सामने कही हो. लेकिन ये अमेरिका को एक सीधा संदेश है. इसी बैठक में रूसी राष्ट्रपति ने भी बातों बातों में पश्चिमी देशों को एक मैसेज दिया.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि मोदी-पुतिन की ये बैठक दोनों देशों के बीच आर्थिक और सैन्य सहयोग को और मजबूत करेगी. लेकिन इस बैठक से पहले भी एक दिलचस्प तस्वीर सामने आई. द्वीपक्षीय वार्ता से पहले मोदी और पुतिन एक साथ एक ही कार में रिट्ज-कार्लटन होटल पहुंचे थे. जहां दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय वार्ता होनी थी.

एक ही कार से बैठक स्थल पहुंचे दोनों नेता

इस फोटो को खुद पीएम मोदी ने शेयर करते हुए लिखा, SCO शिखर सम्मेलन के वेन्यू से द्वीपक्षीय वार्ता वाली जगह तक मैं और प्रेसिडेंट पुतिन साथ गए. उनके साथ बातचीत हमेशा ज्ञानवर्धक होती है. आपको यहां ये भी जानना जरूरी है कि दोनों नेताओं ने एक ही कार में 45 मिनट तक सफर किया.. इस तस्वीर पर कई रिएक्शन भी आ रहे हैं.. लेकिन उनकी चर्चा करने से पहले मोदी और पुतिन जिस कार में बैठे थे. उस कार की कहानी भी आज आपको जाननी चाहिए.'

जिस कार में मोदी और पुतिन साथ गए थे वो कार रूसी राष्ट्रपति की पसंदीदा सवारी है. जिसका नाम है ऑरस. इस कार को "रूसी रोल्स-रॉयस" भी कहा जाता है. पुतिन की कार मुख्य रूप से L-700 लिमोजिन मॉडल है, जो बुलेटप्रूफ और आर्मर्ड है.  इस कार का वजन करीब 7,200 किलोग्राम है, जो कि एक कॉमर्शियल बस के वजन के बराबर है. पुतिन के लिए खासतौर पर तैयार की गई इस कार की कीमत 15 लाख डॉलर यानी करीब 13.50 करोड़ रुपये है और इस कार को पुतिन अपने साथ रूस से लेकर आए हैं.

दोनों नेताओं की दोस्ती देख जल गया यूएस

इस कार में जब मोदी और पुतिन साथ सफर कर रहे थे. तब पूरी दुनिया सोच रही थी कि आखिर इन दोनों नेताओं के बीच पौने घंटे तक क्या बात हुई होगी. इसी बीच भारत में अमेरिकी दूतावास ने एक पोस्ट शेयर किया. इस पोस्ट में लिखा गया, 'अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है. जो 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है.'

अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया. अलग अलग मंचों से सीजफायर का क्रेडिट लिया.. भारत पर और टैरिफ लगाने की धमकियां दी जा रही हैं.  यूक्रेन के युद्ध को अमेरिका में मोदी का युद्ध बताया जा रहा है. लेकिन चीन में जब भारत, चीन और रूस साथ आ रहे हैं तो अमेरिका भारत से अपने रिश्तों की दुहाई दे रहा है. अब इसे क्या समझा जाए.

खैर समझ तो इस वक्त ट्रंप को नहीं आ रहा होगा कि बीते 48 घंटों में तियानजिन शहर में हुआ क्या. सात साल बाद चीन में मोदी और जिनपिंग की भी मुलाकात हुई. ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच दुनिया के सबसे बड़े मैन्यूफैक्चरर और सबसे बड़े मार्केट के लीडर ने हाथ मिलाया.

भारत-चीन के साथ आने से क्या बदल जाएगा?

कल मोदी और जिनपिंग की मुलाकात 55 मिनट तक चली थी. इस बैठक में यूं तो कई मुद्दों पर बात हुई. लेकिन यहां पीएम मोदी ने भारत और चीन के रिश्तों को लेकर जो कहा. आपको वो भी जानना चाहिए.

परस्पर विश्वास और सम्मान की बात कर पीएम मोदी ने ये साफ कर दिया कि चीन के साथ सालों से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों को ठीक करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है. इसके जवाब में जिनपिंग ने भी जो कहा वो काफी महत्वपूर्ण है.. शी जिनपिंग ने नारा दिया, 'हाथी और ड्रैगन साथ आ सकते हैं.' यहां हाथी का मतलब भारत और ड्रैगन का मतलब चीन. आपको ये समझना चाहिए की हाथी और ड्रैगन के साथ आने का असर क्या होगा.

पहला- सीमा पर स्थिरता होगी

लद्दाख जैसे क्षेत्रों में गश्त और डिसएंगेजमेंट पर प्रगति से भारत की सीमावर्ती सुरक्षा मजबूत होगी. यह सैन्य संसाधनों को अन्य क्षेत्रों में केंद्रित करने की अनुमति देगा.

दूसरा असर है आर्थिक लाभ

इस मुलाकात से भारत को कृषि, आयरन ओर, और आईटी सेवाओं में निर्यात बढ़ाने का मौका मिल सकता है. नई स्क्रीनिंग नीतियों और वीजा सुगमता से भारत में चीनी निवेश बढ़ सकता है, खासकर मैन्युफैक्चरिंग और तकनीक में.

तीसरा असर होगा वैश्विक प्रभाव

BRICS और SCO में भारत की स्थिति मजबूत होगी. यह ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत की छवि को बढ़ाएगा.

बड़ी बेइज्जती करवा बैठे शहबाज शरीफ!

SCO शिखर सम्मेलन में वैसे तो पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग की केमिस्ट्री दुनियाभर के अखबारों और न्यूज एजेंसियों की हेडलाइंस बनी हुई हैं. पुतिन और जिनपिंग के अलावा एक और नेता हैं जिनके साथ पीएम मोदी की मुलाकात की खूब चर्चा हो रही है. पुतिन के हनुमान यानी एलेग्जेंडर लुकाशेंको. बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको के साथ पीएम मोदी की मुलाकात की भी खूब चर्चा हो रही है. SCO शिखर सम्मेलन में शामिल हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी चीन पहुंचे थे.लेकिन यहां उनकी ऐसी अनदेखी हुई जिसे शायद शहबाज शरीफ जीवनभर नहीं भूलेंगे. पीएम मोदी और पुतिन एक साथ बातचीत करते हुए जा रहे थे और लाइन में लगे शहबाज पुतिन को देख रहे थे.

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