Why is Muhammad Yunus's power in Bangladesh threatened: बांग्लादेश के चीफ एडवाइर मोहम्मद यूनुस ने सत्ता पाने के लिए जिस कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया, अब वही उनकी कुरसी खींच सकते हैं. जानकारों का कहना है कि यूनुस को कुर्सी पर बैठाने वाले छात्र नेता उनकी सरकार से दूरी बना रहे हैं. बांग्लादे में उन्मादी भीड़ कट्टरपंथी छात्र नेता उस्मान हादी के हत्यारों पर जल्द और ठोस कार्रवाई चाहते हैं .
उस्मान हादी को 12 सितंबर को गोलियां मारी गई थीं. 6 दिन बाद यानी 18 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी. इस घटना के 15 दिन बाद भी उस्मान हादी को मारने वाले फैसल करीम और आलमगीर शेख तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है. इसी वजह से हादी के समर्थक यूनुस सरकार से नाराज हैं. इस नाराजगी की पहली तस्वीर हादी के जनाजे में सामने आई थी जब हजारों लोग उसके लिए आखिरी नमाज पढ़ने के लिए जमा हुए थे और हादी के हत्यारों को पकड़ने के लिए पहली मांग की थी.
यूनुस समझ नहीं पाए बदला हुआ माहौल
इतनी भारी भीड़ जमा होने से ही यूनुस को समझ जाना चाहिए था कि कथित छात्र आंदोलन की आड़ में उस्मान हादी बांग्लादेश के कट्टरपंथी हलकों में अपनी पैठ बना चुका है. यही वजह थी कि हादी के जनाजे में अंसार उल बांग्ला टीम जैसे आतंकी गुट के दहशतगर्द भी शामिल हुए थे. यूनुस इस माहौल को भांपने में चूक गए. इसी का नतीजा है कि ढाका के शाहबाग चौक पर हादी समर्थकों ने आंदोलित होकर यूनुस को सीधा चैलेंज दिया है. हादी समर्थकों ने उसकी मौत के बाद यूनुस सरकार पर संगीन इल्जाम भी लगाए हैं.
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— Zee News (@ZeeNews) December 27, 2025
यूनुस सरकार पर पहला बड़ा आरोप यही है कि फरवरी के चुनाव टालने के लिए सरकार ने ही हादी का मर्डर कराया ताकि देश में अस्थिरता फैल सके और उस अस्थिरता के नाम पर चुनाव टाले जा सकें. हादी का सगा भाई ये आरोप लगा चुका है कि हादी की मौत के पीछे जो तत्व हैं उनका यूनुस सरकार से सीधा संपर्क है. हादी के हत्यारों को पकड़ने की मांग करने वाले इंकलाबी मोर्चे का इल्जाम है कि पुलिस ने जांच में कोताही बरती है.
जमाते इस्लामी जैसे गुट दे रहे बढ़ावा
हादी समर्थकों का मोर्चा सिर्फ ऊपरी चेहरा है. दरअसल इस कथित आंदोलन के पीछे जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी गुट हैं जो आंदोलन की आड़ में यूनुस को बेदखल करके अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं.
हादी समर्थकों का ये कथित आंदोलन 26 दिसंबर की रात को शुरु हुआ था और ये 27 दिसंबर को भी जारी रहा. लगातार सड़क पर बैठकर कट्टरपंथी हादी के समर्थक यूनुस को सीधा संदेश दे रहे हैं. अगर हादी के हत्यारों को नहीं पकड़ा गया तो शेख हसीना के साथ जो हुआ था. वही मोहम्मद यूनुस के साथ भी हो सकता है.
शाहबाग चौक पर भीड़ का मतलब समझें
जिस शाहबाग चौक पर हादी समर्थकों का हुजूम जमा है. उसका अपना एक इतिहास है. यह इतिहास पैगाम देता है कि जब जब इस चौक पर भीड़तंत्र के कदम पड़े हैं तो बड़े बदलाव हुए हैं.
1971 में शेख मुजीब उर रहमान ने इसी चौक से स्वतंत्र बांग्लादेश के लिए अपील की थी. जिसका नतीजा हुआ कि पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और ईस्ट पाकिस्तान को बांग्लादेश के तौर पर नई पहचान मिली. साल 2013 में इसी चौक पर 1971 के युद्ध अपराधियों को सजा देने के लिए आंदोलन किया गया था जिसके बाद पूर्व रजाकारों को सलाखों के पीछे ठूंस दिया गया था. शेख हसीना का तख्तापलट करने वाले कथित छात्र आंदोलन का जनक भी यही शाहबाग चौक ही है.
एक बार फिर इसी शाहबाग चौक से सत्ता औऱ सिस्टम को चुनौती दी जा रही है और यही वजह है कि लोग मानकर चल रहे हैं कि शाहबाग चौक से ही यूनुस के तख्तापलट का सफर भी शुरु होगा.

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