DNA मित्रों, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिल्ली में भारत के साथ दोस्ती मज़बूत कर रहे हैं लेकिन दिल्ली आने से पहले वो अमेरिका को अपने जाल में फंसाकर आए हैं. पुतिन के दोस्त निकोलस मादुरो और ट्रंप के बीच तनातनी लगातार बढ़ रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप वेनेज़ुएला के मोर्चे पर फंसे हुए हैं. वेनेज़ुएला पर दबाव बढ़ाने के लिए अमेरिका ने प्यूर्टोरिको में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है. अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट, नौसैनिक जहाज़ और सैनिकों को भेजा है. साथ ही अपने नागरिकों को वेनेज़ुएला नहीं जाने की सलाह भी दी है. अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने वेनेज़ुएला की यात्रा को लेकर लेवल 4 की चेतावनी जारी की है.
जो ट्रंप दुनिया के सरपंच बने फिरते हैं, दुनिया भर में युद्ध रोकने का दावा करते हैं, वो ट्रंप वेनेज़ुएला और निकोलस मादुरो का नाम सुनते ही युद्ध की बात करने लगते हैं. यानी शांति के लिए नोबेल पुरस्कार का दावा करने वाले ट्रंप ख़ुद एक युद्ध में उलझ गए हैं और ट्रंप को वेनेज़ुएला के युद्ध में उलझाने में पुतिन की बड़ी भूमिका है. वेनेज़ुएला सिर्फ़ अपने दम पर अमेरिका जैसी महाशक्ति को आंख नहीं दिखा सकता है, उसे युद्ध के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. निकोलस मादुरो को पता है कि रूस उनके साथ है और इसी समर्थन की वजह से मादुरो पर ट्रंप की धमकी का कोई असर नहीं हो रहा है. पुतिन ने भी वेनेज़ुएला को सैन्य और कूटनीतिक मदद देकर मादुरो के विश्वास को पुख्ता किया है.
अमेरिका के खिलाफ क्यों आए वेनेजुएला और रूस?
पुतिन के लिए भी इससे बेहतर मौक़ा नहीं हो सकता था. यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने रूस के दुश्मन को हथियार दिया, आर्थिक मदद दी, नाटो से भी मदद दिलवाई. अब वेनेज़ुएला का साथ देकर पुतिन अमेरिका को 2022 से जारी इस युद्ध का जवाब दे रहे हैं. अमेरिका ने जिस तरह रूस को यूक्रेन में उलझाया, अब पुतिन ने अमेरिका के ख़िलाफ़ उसी अंदाज़ में जवाब दिया है. यहां आपको पुतिन और मादुरो के बीच की केमिस्ट्री भी समझनी चाहिए. दोनों देश अमेरिकी प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए लंबे समय से एक साथ खड़े हैं. वेनेज़ुएला के पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज के दौर से दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हैं. लेकिन मादुरो के सत्ता में आने के बाद ये रिश्ता और मज़बूत हुआ है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि दोनों नेता दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व का अंत चाहते हैं और इसी मक़सद के लिए पुतिन लगातार मादुरो का समर्थन करते रहे हैं.
रूस ने मादुरो को 2018 और 2024 के चुनावों में विजेता माना जबकि अमेरिका ने इन चुनावों के नतीजे को धोखाधड़ी कहा था.
मई 2025 में रूस और वेनेज़ुएला ने 25 वर्षीय रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए जो अक्टूबर में लागू हुआ है.
मादुरो दूसरे विश्व युद्ध की 80वीं वर्षगांठ पर रूस की परेड में भी शामिल हुए जो विशेष दोस्ती का प्रतीक था.
रूस तेल क्षेत्र में वेनेज़ुएला का बड़ा निवेशक है. नवंबर में वेनेज़ुएला की संसद ने रूस के साथ ज्वाइंट वेंचर को 15 साल बढ़ाने की मंज़ूरी दी.
नवंबर में एक रूसी सैन्य विमान वेनेज़ुएला की राजधानी काराकास पहुंचा जो मादुरो को रूस के सैन्य समर्थन का साफ संकेत है
नवंबर में मादुरो के जन्मदिन पर पुतिन ने मादुरो को बधाई देते हुए लिखा कि उनके नेतृत्व में वेनेजुएला चुनौतियों पर विजय पाएगा
मादुरो के खिलाफ चल रहा देश से भागने का प्रोपेगेंडा
वैसे मादुरो के मामले में अमेरिका की तरफ़ से प्रोपेगेंडा भी हो रहा है. अमेरिका की तरफ से पूरी दुनिया में फैलाया जा रहा है कि निकोलस मादुरो वेनेज़ुएला छोड़कर जाने के लिए तैयार हो गए हैं. इस दुष्प्रचार के मुताबिक़ मादुरो और उनका परिवार क़तर जा सकता है लेकिन इसके लिए शर्त ये रखी गई है कि अमेरिका मादुरो और उनके परिवार पर कोई कार्रवाई न करने का वादा करे, मादुरो पर लगे प्रतिबंध हटाए और अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में मादुरो के ख़िलाफ़ केस ख़त्म करे. हालांकि अभी तक के घटनाक्रम से ये दावा मादुरो के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार ही लगता है और इसका मक़सद वेनेज़ुएला की जनता और सेना को मादुरो के ख़िलाफ़ खड़ा करना है. अमेरिका को उम्मीद है कि इससे बिना लड़े ही वेनेज़ुएला पर उसका कब्ज़ा हो जाएगा.
मादुरो अमेरिका के सामने झुकने को तैयार नहीं
हालांकि अमेरिकी मीडिया ही इसका खंडन कर रहा है. फोर्ब्स मैगज़ीन के मुताबिक़ मादुरो ने झुकने से इनकार कर दिया है क्योंकि सेना उनके साथ है और रूस-चीन समर्थन दे रहे हैं. CNN के मुताबिक अमेरिकी हमलों से बेपरवाह मादुरो वेनेज़ुएला में रैली कर रहे हैं और अमेरिकी हमलों को साम्राज्यवादी बता रहे हैं. उधर अमेरिका की धमकी के ख़िलाफ़ न केवल रूस और चीन बल्कि ब्राज़ील और कोलंबिया जैसे देश भी खड़े हो गए हैं. वेनेज़ुएला के ख़िलाफ़ ट्रंप की धमकी को लेकर आपको ब्राज़ील और कोलंबिया की प्रतिक्रिया भी जाननी चाहिए.
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने अमेरिकी हमले को लेकर चेतावनी दी है. ब्राज़ील ने कहा है कि वेनेजुएला के ख़िलाफ़ अमेरिकी कार्रवाई पूरे दक्षिण अमेरिका में अस्थिरता पैदा कर सकती है.
कोलंबिया ने भी अमेरिका को चेतावनी दी है. कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने मादुरो को लेकर ट्रंप की धमकी के बाद कहा कि वो सोए हुए जगुआर को जगाने का ख़तरा उठा रहे हैं.
ये पहला मौका नहीं जब पुतिन ने अमेरिका को उलझाया है
एक थ्योरी ये भी है कि अगर मादुरो की विदेश भागने की तैयारी होती तो ब्राज़ील और कोलंबिया जैसे देश उनके साथ खड़े नहीं होते. अगर मादुरो को अपना देश छोड़ना होता तो वो डांस करते हुए नज़र नहीं आते. वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है जब पुतिन ने अमेरिका को उलझाया है. इससे पहले सीरिया में भी पुतिन अमेरिका को लंबे समय तक युद्ध में फंसा चुके हैं. अमेरिका समर्थित विद्रोहियों और ISIS के आतंकवादियों के ख़िलाफ़ पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद को पुतिन का समर्थन हासिल था.
एक आतंकी को सत्ता में बैठाना अमेरिकी की जीत नहीं मजबूरी थी
असद के समर्थन में पुतिन ने सितंबर 2015 में एक सैन्य अभियान शुरू किया. अमेरिका को ये सीधी चुनौती थी. इससे उबरने में अमेरिका को 9 साल लग गए. ये सच है कि आज सीरिया में अमेरिका के समर्थन वाली सरकार है लेकिन एक आतंकी को सत्ता में बैठाना अमेरिका की जीत नहीं मजबूरी थी. अब वेनेज़ुएला में एक बार फिर अमेरिका और रूस के बीच वही हालात बन रहे हैं. देखना होगा कि इस बार भी अमेरिका पुतिन के बिछाये जाल में फंसता है या ट्रंप अपने दावे के मुताबिक़ युद्ध के सहारे मादुरो को वेनेज़ुएला छोड़ने के लिए मजबूर कर देंगे.
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