Fight in Parliament: यूक्रेन शरणार्थियों को लेकर नाटो देश की संसद में महाभारत, कैमरे के सामने जमकर हुई तू-तू-मैं-मैं

2 hours ago

Parliament Fight : नाटो समर्थित देश जर्मनी के सांसदों के बीच बुंडेस्टाग में तब कैमरे के सामने संसद में झड़प हो गई, जब वहां की एक और सियासी पार्टी एएफडी के सांसदों ने शरणार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं को लाभ अधिनियम के तहत एनालॉग को खत्म करने के प्रस्ताव को संसद में आगे बढ़ाया था.

नाटो समर्थित जर्मनी के सांसदों के बीच यूक्रेन से आए शरणार्थियों को लेकर मतभेद चरम पर हैं. शरणार्थियों को दी जा रही मुफ्त सुविधाएं जर्मनी के कुछ सांसदों की नजरों में चुभ रहीं हैं. इन सांसदों का तर्क है कि यूक्रेन से आए वाले नए शरणार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं और पैसों को कम किया जाना चाहिए. इसके पीछे की वजह है कि ये सांसद चाहते हैं कि यूक्रेन से आने वाले शरणार्थी खुद से रोजगार खोजें और उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित किया जा सके. वहीं दूसरी ओर जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार और उनके सहयोगी पार्टियों ने इस तर्क को खारिज कर दिया है. शुक्रवार (14 नवंबर) को जर्मनी के सांसदों के बीच बुंडेस्टाग में तब कैमरे के सामने संसद में झड़प हो गई, जब वहां की एक और सियासी पार्टी एएफडी के सांसदों ने शरणार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं को लाभ अधिनियम के तहत एनालॉग को खत्म करने के प्रस्ताव को संसद में आगे बढ़ाया था. इस प्रस्ताव का उद्देश्य जर्मनी की सहिष्णुता को कम करना है. इस प्रस्ताव को लेकर जर्मनी की सांसद क्लारा बंगर (डी लिंके) ने शरणार्थियों के प्रति सहिष्णुता की बात को परी कथा बताते हुए उस तर्क को खारिज कर दिया. जर्मन सांसद क्लारा ने दी एएफडी को चेतावनी
क्लारा ने आगे कहा कि यूक्रेन के शरणार्थी युद्ध से भागते हैं निर्वाह स्तर से नीचे रहने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने साथ ये चेतावनी भी दी है कि हमारे पास पहले से ही कम समर्थन है और ऐसे में एएफडी इसे और खराब कर देगी. वहीं जर्मन सांसद टिमोन ड्ज़िएनस (ग्रीन्स) ने CDU/CSU के यूक्रेनियनों को शरण चाहने वालों की प्रणाली में वापस ले जाने के प्रस्तावों की आलोचना की, इसे अमानवीय और एकीकरण के लिए हानिकारक बताया. AfD का प्रस्ताव, जो 36 महीनों के बाद समर्थन को प्रभावित करता है, अब समिति समीक्षा के लिए आगे बढ़ गया है. यूक्रेनी शरणार्थियों के समर्थन में जर्मन सांसदों का तर्क आर्थिक दबाव: कई सांसद मानते हैं कि यूक्रेन के शरणार्थियों पर भारी कल्याणकारी खर्च का बोझ जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रहा है. रोजगार को बढ़ावा: कुछ का मानना है कि कम वित्तीय सहायता से शरणार्थी श्रम बाजार में तेजी से एकीकृत होंगे, क्योंकि उन्हें अपनी आर्थिक आवश्यकताएं पूरी करनी होंगी. अन्य यूरोपीय देशों से समानता: कुछ तर्क देते हैं कि जर्मनी अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में यूक्रेनी शरणार्थियों को अधिक भुगतान करता है, जिससे जर्मनी एक आकर्षक गंतव्य बन जाता है.
यूक्रेनी शरणार्थियों के विरोध में जर्मन सांसदों का तर्क मानवीय सहायता: कुछ लोगों का तर्क है कि यूक्रेन युद्ध से पीड़ित लोगों की सहायता करना एक नैतिक दायित्व है और उन्हें कम वित्तीय सहायता देना अमानवीय है. एकता का संदेश: सरकार और उसके सहयोगी पार्टियां इस विचार को अस्वीकार करती हैं, उनका कहना है कि यूक्रेन को समर्थन देना महत्वपूर्ण है, और वे मौजूदा कल्याणकारी लाभों को कम करने का कोई इरादा नहीं रखते हैं. रोजगार की कमी: कुछ सांसदों का तर्क है कि बच्चों की देखभाल की कमी और अन्य सामाजिक कारकों के कारण यूक्रेनी शरणार्थियों का रोजगार बाज़ार में एकीकरण मुश्किल हो रहा है, और सिर्फ लाभ कम करने से यह समस्या हल नहीं होगी. यह भी पढ़ेंः  तालिबान के खिलाफ प्रतिबंधों को लेकर भारत ने पाकिस्तान की लगाई क्लास

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