Last Updated:September 28, 2025, 11:09 IST
Indian Railways General Knowledge-उत्तर रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय बताते हैं कि मौजूदा समय भारतीय रेलवे की 13000 से अधिक ट्रेनें चल रही हैं. इनके लिए 70000 कोचों की जरूरत पड़ती है. इन कोचों की एक लाइफ तय होती है. इस वजह से बनने की डेट दर्ज होती है.

Know Coach Manufacturing Date. ट्रेन में सफर के दौरान लोग कोच के बाहर से यह देखने हैं कि उनकी सीट किस गेट से करीब पड़ रही है या खाली सीट कहां है और झट से उसी गेट से चढ़ते हैं. इसके बाद सीट में बैठ जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग कोच में दर्ज एक कोड पर ध्यान नहीं देते हैं. यह कोड किस चीज का होता है? 99 फीसदी लोगों को पता नहीं होगा. कोई बात नहीं, अब जब अगली बार ट्रेन से यात्रा करना तो जरूर इस कोड देखना और इस कोड का मतलब क्या होता है, आइए जानते हैं.
उत्तर रेलवे के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय बताते हैं कि मौजूदा समय भारतीय रेलवे की 13000 से अधिक ट्रेनें चल रही हैं. इनके लिए 70000 कोचों की जरूरत पड़ती है. इनमें से 67 फीसदी नॉन एसी यानी स्लीपर और जनरल होते हैं 33 फीसदी कोच एसी होते हैं. इन कोचों की एक लाइफ तय होती है. इसके बाद इन्हें चलन से बाहर किया जाता है.
कोच में दर्ज होती है निर्माण की डेट
सीपीआरओ बताते हैं कि सभी कोचों में उनके बनने की डेट लिखी होती है. जिसके अनुसार रेलवे उनके मेंटीनेंस या चलन से बाहर करने की प्रकिया को अपनाया जाता है. हालांकि यह डेट सीधी नहीं लिखी होती है. केवल साल लिखा होता है. साथ ही संबंधित कोच किस श्रेणी का है, यह भी इस कोड में दर्ज होता है.
इस तरह आप जान सकते हैं बनने का साल
कोच के पांच पांच अंक दर्ज होते हैं, जिसमें से पहले दो अंकों से साल का पता चलता है और अंतिम के तीन से कोच की श्रेणी का पता चलता है. उदाहरण के लिए किसी कोच के बाहर 05052 दर्ज है. इसका मतलब होता है कि कोच का निर्माण वर्ष 2005 है. 052 एसी कोच का पता चलता है. अंतिम के 1 से 200 नंबर तक एसी का कोड होता है.
स्लीपर कोच की पहचान
अगर किसी कोच में अंतिम में 200 से 400 अंक दर्ज है तो इसका मतलब है कि यह कोच स्लीपर क्लास का है. उदाहरण के लिए 99327 लिखा है. तो यह कोच 99 में बना है और स्लीपर कोच है.
जनरल कोच का भी नंबर
अगर किसी कोच के अंतिम तीन अंक 400 से 600 के बीच के हैं तो इसका मतलब है कि यह कोच जनरल है. उदाहरण के लिए 02615 दर्ज है तो मतलब कोच 2002 में बना है, संख्या 615 सामान्य कोच को दर्शाती है.
इस तरह पहचाने चेयरकार
चेयरकार के लिए 600 से 700 के अंक निश्चित किए गए हैं. इस तह अंतिम में इन अंकों के बीच का अंक दर्ज हो तो आप समझ जाएं कि यह चेयरकार है.
700 से 800 अंकों का मतलब भी जानें
किसी कोच में 01734 दर्ज है. इसका मतलब हुआ यह कोच 2001 में बना है और दिव्यांगों के लिए है. हालांकि बार ऐसे कोच में आधे में सामान या गार्ड का और आधा दिव्यांगों के लिए होता है.
25 साल होती है कोचों की लाइफ
भारतीय रेलवे के कोचों की लाइफ 25 साल होती है. इसके बाद इन कोचों को दोबारा से अपग्रेड किया जाता है, जिसके बाद 10 से 15 साल की लाइफ और बढ़ जाती है.
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Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
September 28, 2025, 11:09 IST