Last Updated:May 24, 2025, 09:54 IST
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में 70 वर्षीय व्यक्ति के पेट से 8,125 गॉल स्टोन निकाले गए. ऑपरेशन 60 मिनट में हुआ, लेकिन पत्थर गिनने में 6 घंटे लगे. मरीज अब स्थिर है.

70 वर्षीय व्यक्ति के पेट से 8 हजार से अधिक पत्थर (गाल स्टोन) निकाले गए.
गुरुग्राम. 70 वर्षीय व्यक्ति के पेट से 8 हजार से अधिक पत्थर (गाल स्टोन) निकाले गए. डॉक्टरों की टीम ने ने गॉल स्टोन (पथरी) निकाले. यह अब तक का पहला मामला है, जिसमें इतनी बड़ी मात्रा में किसी व्यक्ति के पेट से पथरी निकाली गई हो. सबसे बड़ी बात यह है कि इस पूरे ऑपरेशन में 60 मिनट लगे, लेकिन पेट से निकली गॉल स्टोन (पथरी) को गिनने में 6 घंटे से ज्यादा का समय लग गया. मामला हरियाणा के गुरुग्राम का है.
जानकारी के अनुसार, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ सर्जरी कर 70 वर्षीय मरीज के पित्ताशय से 8,125 स्टोन्स (पथरियाँ) सफलतापूर्वक निकालकर मरीज को पिछले लंबे समय से हो रही पीड़ा और बेचैनी से राहत दिलाई. मरीज कई वर्षों से पेट के दर्द, बीच-बीच में बुखार आने, भूख न लगने और कमजोरी की शिकायत से जूझ रहे थे और उन्हें सीने में भी भारीपन महसूस हो रहा था. इस ऑपरेशन के दौरान 10 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने एक घंटे के अंदर इस ऑपरेशन को सफल बनाया.
मरीज शुरुआत में इलाज को लेकर अनिच्छुक थे. लेकिन जब उनका दर्द लगातार बढ़ता गया और उनके नियंत्रण से बाहर हो गया, तो उन्हें नाजुक हालत में फोर्टिस गुरुग्राम लाया गया. यहां भर्ती करवाने पर उनके पेट का तत्काल अल्ट्रासाउंड किया गया, जिसमें उनके पित्ताशय में काफी भारीपन दिखायी दिया. उनकी स्थिति को देखते हुए, डॉक्टरों ने तुरंत मिनिमली इनवेसिव लैपरोस्कोपिक सर्जरी कर गॉल ब्लैडर (पित्ताशय की थैली) में जमा हजारों गॉलस्टोन्स को निकाला. यह सर्जरी करीब एक घंटे चली और 2 दिन बाद ही स्थिर अवस्था में मरीज को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई.
वाइस प्रेसीडेंट एंड फैसिलिटी डायरेक्टर यश रावत ने बताया कि यहां पर चुनौतीपूर्ण मामले को संभाला गया और करीब घंटे भर चली सर्जरी के दौरान मरीज के पेट में पित्ताशय की थैली से पथरी निकालकर उनकी वर्षों पुरानी तकलीफ को दूर किया गया. लेकिन, सर्जरी के बाद और भी लंबा काम बाकी था क्योंकि सपोर्ट टीम को मरीज के पित्ताशय से निकाली गईं गॉलस्टोन्स की गिनती करनी थी. सर्जरी के बाद घंटों बैठकर टीम ने इस गिनती में पाया कि यह आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से 8,125 था. उन्होंने बताया कि यह मामला वाकई दुर्लभ था, भले ही अभूतपूर्व न रहा हो. यदि पित्ताशय की पथरी का उपचार नहीं किया जाए, तो धीरे-धीरे पथरी बढ़ती रहती है. इस मामले में, मरीज द्वारा पिछले कई वर्षों तक उपेक्षा के कारण पथरी इस हद तक बढ़ गई थी. यदि और देरी होती, तो मरीज की हालत काफी बिगड़ सकती थी और पित्ताशय में संक्रमण, पेट दर्द जैसी गंभीर शिकायतें भी हो सकती थीं.
ऐसे में यदि इलाज न कराया जाए, तो गॉलब्लैडर में पस (मवाद) बनने लगता है, और गॉलब्लैडर की भीतरी सतह भी सख्त होने लगती है और इसमें फाइब्रॉसिस भी हो सकता है. यहां तक कि गॉलब्लैडर के कैंसर की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता. सर्जरी के बाद, मरीज की हालत स्थिर है और उन्हें कोई खास बेचैनी नहीं है. इस मामले को दुर्लभ बनाया मरीज के पित्ताशय में भारी संख्या में मौजूद स्टोन्स ने, जो आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल से बने होते हैं और प्रायः इनका संबंध मोटापे तथा अधिक कोलेस्ट्रॉल युक्त खुराक से होता है.
अपनी तरह का दुर्लभ मामला
वाइस प्रेसीडेंट एंड फैसिलिटी डायरेक्टर यश रावत ने बताया कि मरीज के गॉलस्टोन में बड़ी संख्या में मौजूद पथरियों ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीर और काफी दुर्लभ बना दिया. लेकिन इसके बावजूद, डॉ. अमित जावेद के नेतृत्व में हमारे डॉक्टरों की टीम ने असाधारण कुशलता का परिचय देते हुए इस मामले को सफलतापूर्वक संभाला. फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में ऐसे मामलों में उपचार के लिए क्लीनिकल उत्कृष्टता और बेस्ट-इन-क्लास केयर उपलब्ध है, और हम आगे भी लगातार मरीजों का जीवन बचाने तथा बेहतर परिणामों के लिए सर्वोच्च स्तर की देखभाल सुनिश्चित करते रहेंगे.
13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...और पढ़ें
13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...
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