Opinion: प्रधानमंत्री मोदी के मन के करीब क्यों है प्रोजेक्ट परी

1 month ago

केंद्र सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय की योजना ‘प्रोजेक्ट परी’, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन के कितना करीब है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि पीएम ने खुद इस योजना की तारीफ अपने मन के कार्यक्रम में की. प्रोजेक्ट परी के बारे में बताते हुए पीएम मोदी ने कहा को परी स्वर्गीय कल्पना से नहीं जुड़ी बल्कि धरती को स्वर्ग बना रही है एक योजना. सम्भवना है कि योजना की जानकारी देश के ज्यादातर लोगो को नहीं होगी. पीएम ने अपने कार्यक्रम में प्रोजेक्ट परी से देश को रूबरू करवाते हुए बताया कि परी का मतलब पब्लिक आर्ट ऑफ इंडिया है.

प्रधानमंत्री ने इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि प्रोजेक्ट परी, पब्लिक आर्ट को लोकप्रिय बनाने के लिए उभरते कलाकारों को एक मंच पर लाने का बड़ा माध्यम बन रहा है. सड़कों के किनारे, दीवारों पर अंडरपास में बहुत ही सुंदर पेटिंग्स बनी हुई दिखती हैं. ये पेटिंग्स और ये कलाकृतियां यही कलाकार बनाते हैं जो परी से जुड़े हैं.

पीएम ने कहा कि इससे जहां हमारे सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढ़ती है, वहीं हमारे कल्चर को और ज्यादा पॉपुलर बनाने में भी मदद मिलती है. उदाहरण के लिए दिल्ली के भारत मंडपम को ही लीजिए. यहां देश भर के अद्भुत ऑर्ट वर्क आपको देखने को मिल जाएंगे. दिल्ली में कुछ अंडरपास और फ्लाईओवर पर भी आप ऐसे खूबसूरत पब्लिक ऑर्ट देख सकते हैं. मैं कला और संस्कृति प्रेमियों से आग्रह करूंगा कि वे भी पब्लिक आर्ट पर और काम करें. ये हमें अपनी जड़ों पर गर्व करने की सुखद अनुभूति देगा.

प्रोजेक्ट परी
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की यह परियोजना संस्कृति मंत्रालय द्वारा विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के अवसर पर शुरू की गई थी. देश भर के 150 से अधिक दृश्य कलाकारों ने इस परियोजना में भाग लिया और विश्व धरोहर समिति की बैठक से पहले राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न स्थलों पर सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढ़ाने का काम किया. इन कलाकारों को ललित कला अकादमी द्वारा आमंत्रित किया गया था, जो संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है.

इस परियोजना में लगे कलाकारों ने पारंपरिक कला रूपों जैसे मूर्तियां, भित्ति चित्र और इंस्टॉलेशन बनाए हैं. यह कलाकृतियां राजस्थान की फड़ पेंटिंग्स, पश्चिम बंगाल की अल्पना कला, तेलंगाना की चेरियाल पेंटिंग्स, केरल की भित्ति चित्रकला और गुजरात की पिथोरा कला इत्यादि से प्रेरित हैं.

सांस्कृतिक मंत्रालय की बेहतरीन पहल
केंद्र सरकार की इस पहल की जितनी तारीफ़ की जाए वो कम है. क्यूंकि अपनी संस्कृति को चित्रित कर लोगो को इससे रूबरू कराई जाये वो भी देश की राजधानी के जरिये, ये सराहनीय है. सार्वजनिक स्थानों पर कला का प्रतिनिधित्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है. सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के माध्यम से कला का लोकतंत्रीकरण शहरी परिदृश्यों को सुलभ दीर्घाओं में बदल देता है, जहाँ कला संग्रहालयों और दीर्घाओं जैसे पारंपरिक स्थानों की सीमाओं को पार कर जाती है. सड़कों, पार्कों और पारगमन केंद्रों में कला को एकीकृत करके, ये पहल सुनिश्चित करती हैं कि कलात्मक अनुभव सभी के लिए उपलब्ध हों. यह समावेशी दृष्टिकोण एक साझा सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देता है और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाता है, नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में कला से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता है. परियोजना PARI का उद्देश्य संवाद, प्रतिबिंब और प्रेरणा को प्रोत्साहित करना है, जो देश के गतिशील सांस्कृतिक ताने-बाने में योगदान देता है.

इस सौंदर्यीकरण परियोजना के तहत पारंपरिक कला रूपों के साथ-साथ मूर्तियां, भित्ति चित्र और प्रतिष्ठान भी बनाए गए हैं. इस प्रोजेक्ट परी के माध्यम देश की राजधानी में देश के कोने कोने के संस्कृति को एक प्लेटफार्म में लायी गयी थी.

इसमें पेंटिंग हैं- 

राजस्थान की फड़ पेंटिंग सिक्किम/लद्दाख की थंगका पेंटिंग हिमाचल प्रदेश- लघु चित्रकला मध्य प्रदेश की गोंड कला तमिलनाडु की तंजौर पेंटिंग आंध्र प्रदेश की कलमकारी पश्चिम बंगाल की अल्पना कला पट्टचित्र राजस्थान की पिछवाई पेंटिंग बानी थानी पेंटिंग ओडिशा की लांजिया सौरा महाराष्ट्र की वारली गुजरात की पिथौरा कला उत्तराखंड की ऐपण केरल की भित्ति चित्र त्रिपुरा की अल्पना कला

Tags: PM Modi

FIRST PUBLISHED :

July 29, 2024, 10:58 IST

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