अमेरिका की उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस इस वक्त दुनिया की एक सबसे चर्चित चेहरा हैं. भारत में भी उनको चाहने वालों की कमी नहीं है. वह भारतीय मूल की हैं. उनकी मां श्यामला गोपालन भारत के तमिलनाडु राज्य से थीं जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस जमैका मूल के हैं. कमला हैरिस का जन्म अमेरिका में हुआ था.
श्यामला गोपालन एक जानी-मानी कैंसर साइंटिस्ट थीं. वह मूल रूप से तमिलनाडु के सलेम जिले के कमलापुरम की रहने वाली थीं. श्यामला के गांव और कमला का नाम काफी मिलता-जुलता है. इस गांव में 1938 में श्यामला का जन्म हुआ था. यह वही गांव हैं जहां कभी इस हद तक छूआछूत था कि एक दलित समुदाय के व्यक्ति को सड़क पर चलने से रोक दिया गया. उस वक्त देश में ब्रिटिश शासन था. विरियन नामक एक पार्षद ने विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाया. फिर इस मुद्दे पर मद्रास सरकार के चीफ सेक्रेटरी को टेलीग्राम किया गया. इसमें कहा गया कि यह घटना नागरिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है. यहीं से देश में छुआछूत के खिलाफ जंग की शुरुआत हुई.
इस घटना के बारे में 16 अप्रैल 1924 को बंबई से प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस टेलीग्राम को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी. इसमें बताया गया कि कैसे एक दलित व्यक्ति जो पास के पोस्टऑफिस में एक पत्र डालने गए थे उन्होंने वहां निर्मित एक स्कूल को देख लिया तो गांव के एक ब्राह्मण व्यक्ति ने उनका रास्ता बंद करवा दिया.
इसके बाद इस तरह की घटनाओं की जानकारी खूब सामने आने लगी. इसके बाद 14 दिसंबर 1925 को ऐसी चीजों को रोकने के लिए सबसे पहले एक विधेयक पर चर्चा की गई. फिर इस विधेयक में काफी बदलाव के बाद इसे 31 अगस्त 1926 को परिषद से पास किया गया. इस तरह यह विधेयक देश में छुआछूत के खिलाफ लड़ाई का पहला हथियार बना. यानी करीब 100 साल पहले शुरू की गई यह क्रांति आज तक जारी है. इतना सब होने के बावजूद आज भी समाज से पूरी तरह छुआछूत खत्म नहीं हुआ है. देश आजाद हो चुका है. संविधान में इसे वर्जित किया गया है. बावजूद इसके समाज इस बुराई से आज भी लड़ रहा है. आज भी छुआछूत की खबरे आती रहती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
September 19, 2024, 22:37 IST