स‍िब्‍बल-स‍िंघवी देंगे दलीलें... खत्‍म होगा परेशान करने वाला ED का ये कानून?

1 month ago

नई द‍िल्‍ली. अरविंद केजरीवाल और मनीष स‍िसोद‍िया समेत पूरा व‍िपक्ष प्रवर्तन न‍िदेशालय (ED) ज‍िस PMLA कानून का इस्‍तेमाल कर व‍िपक्ष के नेताओं को अरेस्‍ट क‍िया. अब उस कानून की पावर कम होगी या पीएमएलए कानून पर जमानत पाने के न‍ियमों में होगा बदलाव. अब इस पर एक बार फ‍िर से सुप्रीम कोर्ट में बहस शुरू होगी. कप‍िल स‍िब्‍बल और अभ‍िषेक मनु स‍िंघवी याच‍िकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने अपनी दलीलें रखेंगे. वहीं पीएमएलए कानून के पक्ष में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ईडी की तरफ से अपनी दलीलें रखेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी मामले में अपने 2022 के फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिकाओं की अंतिम सुनवाई 16 और 17 अक्टूबर को तय की है, जिसमें गिरफ्तारी, तलाशी, जब्ती, जमानत और अन्य संबंधित प्रक्रियाओं से संबंधित मनी लॉन्‍ड्र‍िंग कानून (पीएमएलए) के कई विवादास्पद प्रावधानों को बरकरार रखा गया था. जस्‍ट‍िस सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने बुधवार को ल‍िस्‍ट मामले में अंतिम सुनवाई की तारीखें तय कीं, लेकिन पीठ में शामिल अन्‍य जस्‍ट‍िस में से एक जस्‍ट‍िस सीटी रविकुमार की मौजूद नहीं रहने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी.

इस विशेष पीठ के तीसरे सदस्य न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां हैं. कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस मामले में मुख्य समीक्षा याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त, 2022 को चिदंबरम की याचिका पर नोटिस जारी किया, लेकिन तब से मामला प्रभावी सुनवाई तक नहीं पहुंच पाया है. 2022 के फैसले ने पीएमएलए के तहत ईडी को दी गई शक्तियों पर इसके दूरगामी प्रभाव के कारण एक गहन कानूनी और राजनीतिक बहस छेड़ दी थी. विजय मदनलाल चौधरी मामले में 2022 के फैसले ने ईडी की व्यापक शक्तियों की पुष्टि की, जिसमें व्यक्तियों को समन भेजना, गिरफ़्तारियां करना, संपत्तियों पर छापेमारी करना और मनी लॉन्ड्रिंग के संदिग्ध लोगों की संपत्ति जब्त करना शामिल है.

सुप्रीम कोर्ट ने प‍िछले आदेश में क्‍या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया था कि ये शक्तियां मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने और भारत की वित्तीय स्थिरता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण थीं. इस फैसले ने 200 से अधिक याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि कानून ने ईडी को अनियंत्रित और मनमाना अधिकार दिया है. इन चिंताओं के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने कड़े कानूनों को बरकरार रखा, इस बात पर जोर देते हुए कि मनी लॉन्ड्रिंग अपराधी एक अलग वर्ग के लोग होते हैं और उन्हें विशेष कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता होती है. फैसले के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक यह निर्णय था कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर), ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है. अभियुक्तों के साथ साझा करने की आवश्यकता नहीं है.

क्‍या है पीएमएलए कानून में सबसे बड़ा पेंच?
एक और विवादास्पद तत्व पीएमएलए मामलों में सबूत के रिवर्स बर्डन का न्यायालय द्वारा समर्थन था, जिसके तहत अभियुक्तों को जमानत कार्यवाही के दौरान भी अपनी बेगुनाही साबित करने की आवश्यकता होती है. 25 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई 2022 के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की समीक्षा याचिका के जवाब में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. उस समय कोर्ट ने संकेत दिया था कि ईसीआईआर की आपूर्ति और अपराध के विपरीत दायित्व से संबंधित केवल दो मुद्दों पर पुनर्विचार किया जाएगा. 2022 के पीएमएलए फैसले को संवैधानिक सुरक्षा उपायों को खत्म करने के लिए व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा है. आलोचकों का तर्क है कि इस फैसले ने ईडी को अत्यधिक स्वायत्तता के साथ काम करने की अनुमति दी है.

पिछली सुनवाई के दौरान, समीक्षा के दायरे को लेकर याचिकाकर्ताओं और ईडी के बीच स्पष्ट मतभेद था. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से 2022 के फैसले की व्यापक समीक्षा के लिए तर्क दिया था, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी की तरफ से दलीलें पेश की थीं.

Tags: Arvind kejriwal, Directorate of Enforcement, Manish sisodia, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

September 19, 2024, 19:22 IST

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