'अब तमिल सबसे आगे', CJI चंद्रचूड़ ने सुनवाई के बीच में ऐसा क्‍यों कहा?

1 month ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के फैसले अंग्रेजी भाषा में होते हैं. अन्‍य भाषा बोलने और समझने वालों को इन निर्णयों को पढ़ने में कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. देश की सबसे बड़ी अदालत सालों से इस प्रयास में जुटी है कि उसके फैसलों को पढ़ने और समझने में भाषा बाधा न बने. इसमें बड़ी सफलता मिली है. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने विभिन्‍न भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुवाद को लेकर बड़ी जानकारी दी है. उन्‍होंने कहा कि साल 1947 के बाद से अभी तक सुप्रीम कोर्ट के तकरीबन 37 हजार फैसलों का हिन्‍दी में अनुवाद किया जा चुका है. साथ ही उन्‍होंने बताया कि फिलहाल तमिल भाषा आगे है.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को बताया कि आजादी के बाद से सुप्रीम कोर्ट के लगभग 37 हजार फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया गया है. अब अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की प्रक्रिया चल रही है. सीजेआई ने यह बात एक मामले की सुनवाई के दौरान कही. उनके साथ पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी थे. CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि हिंदी के बाद अब तमिल भाषा सबसे आगे है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत अपने फैसलों का संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की प्रक्रिया में है. बता दें कि संविधान की आठवीं अनुसूची में हिंदी, असमिया, बंगाली, बोडो और डोगरी सहित 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है.

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इलेक्‍ट्रॉनिक सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट
CJI चंद्रचूड़ ने वकीलों को भी बड़े काम की सलाह दी है. CJI ने कहा कि सुनवाई के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (e-SCR) से निर्णयों के न्‍यूट्रल रेफरेंस देने का भी आग्रह किया. शीर्ष अदालत ने साल 2023 में वकीलों, कानून के छात्रों और आम जनता को अपने निर्णयों तक नि:शुल्क पहुंच प्रदान करने के लिए ई-एससीआर परियोजना शुरू की थी. वकील ई-एससीआर का उपयोग करते हुए सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों के समर्थन में पिछले निर्णयों का हवाला देते हैं. CJI ने कहा, ‘कृपया (मामलों के) न्‍यूट्रल रेफरेंस को के लिए हमारे ई-एससीआर का उपयोग करें.’

AI का इस्‍तेमाल
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अनुवाद अब AI की मदद से क्षेत्रीय भाषाओं में किया जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे देशभर की जिला अदालतों तक पहुंच सकें. CJI ने कहा कि अंतिम अनुवाद की समीक्षा मानवीय हस्तक्षेप के माध्यम से की जाती है. अनुवाद में मानवीय हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने एआई की सीमा का उल्लेख किया और कहा कि यह लीव ग्रांटेड का अनुवाद अवकाश प्राप्त हुआ के रूप में करती है. कानूनी भाषा में लीव का मतलब अकसर किसी वादी को किसी विशेष उपाय का सहारा लेने के लिए अदालत की अनुमति देना होता है.

Tags: News, Supreme Court

FIRST PUBLISHED :

September 19, 2024, 20:09 IST

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