SIR का मुद्दा राहुल-तेजस्वी के लिए बनेगा मौका... या बिहार चुनाव में देगा झटका?

1 week ago

Last Updated:August 12, 2025, 13:25 IST

Bihar Chunav and SIR news: बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव से पहले SIR प्रक्रिया पर सियासी हंगामा मचा है. चुनाव आयोग ने 65 लाख नाम हटाए, विपक्ष ने इसे 'वोटबंदी' बताया. क्या राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के 'वोट अधि...और पढ़ें

SIR का मुद्दा राहुल-तेजस्वी के लिए बनेगा मौका... या बिहार चुनाव में देगा झटका?वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर राहुल और तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर कब तक हमला बोलेंगे? (फाइल फोटो)

पटना. बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सियासी हंगामा चरम पर है. चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई इस प्रक्रिया के तहत अबतक मतदाता सूची से करीब 65 लाख नाम हटाए गए हैं. इस प्रक्रिया ने विपक्षी महागठबंधन को एकजुट कर दिया है. कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व में महागठबंधन ने इसे ‘वोटबंदी’ करार देते हुए दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और गरीब वर्गों के मतदाताओं को हाशिए पर धकेलने की साजिश बताया है. इस मुद्दे पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की अगुवाई में 17 अगस्त से रोहतास से शुरू होने वाली ‘वोट अधिकार यात्रा’ और बिहार बंद जैसे कदम महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा हैं. लेकिन यह सवाल उठता है बिहार चुनाव में SIR का मुद्दा महागठबंधन को फायाद पहुंचाएगा? या फिर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को देगा झटका?

चुनाव आयोग ने SIR को मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए शुरू किया, जिसमें मरे, राज्य से बाहर गए और डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम हटाए गए. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में जानबूझकर दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के लाखों मतदाताओं के नाम काटे गए. तेजस्वी यादव ने एक खास वर्ग के 35 लाख नाम हटने का दावा किया, जबकि राहुल गांधी ने इसे संविधान और लोकतंत्र पर हमला बताया. विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया बेजीपी और जेडीयू की मिलीभगत से उनके वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश है.

SIR से किसको फायदा, किसको नुकसान?

जानकार बता रहे हैं कि जातीय समीकरण का तड़का से राजनीति करने वाले आरजेडी को मतदाता विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया से सबसे नुकसान होने का डर सता रहा है. बिहार की राजनीति में जातीय गणना और आरक्षण बड़ी भूमिका निभाते हैं. आरजेडी इसका पूरा श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, जबकि राहुल गांधी नए सर्वजातीय राजनीतिक ब्लॉक की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं, जिसमें दलित–ओबीसी–ईबीसी शामिल हैं. SIR पॉलिटिक्स बिहार की राजनीति में सिर्फ चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति और सामाजिक समीकरण बन चुकी है. महागठबंधन इस मुद्दे को लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की लड़ाई के रूप में पेश कर, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इसे राजनीतिक लाभ में बदलने की तैयारी कर रहे हैं. देखना यह है है कि क्या यह रणनीति उन्हें वोटों का बड़ा कट लेकर दे पाती है या NDA द्वारा जारी विकास-और-जमीन पर काम की बात भारी पड़ती है?

महागठबंधन की रणनीति

महागठबंधन इस मुद्दे को भुनाने के लिए सड़क से संसद तक आंदोलन तेज कर रहा है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोट अधिकार यात्रा’ 17 अगस्त से शुरू होकर 1 सितंबर को पटना में समाप्त होगी. इस दौरान 30 से अधिक जिलों में जनसभाएं और प्रदर्शन होंगे, जिनमें दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को लामबंद करने की कोशिश होगी. बिहार में MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण RJD का पारंपरिक वोट बैंक रहा है, और SIR विवाद को उठाकर महागठबंधन इस समीकरण को और मजबूत करना चाहता है. साथ ही, दलित और अति पिछड़े वर्गों को जोड़कर यह गठबंधन जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रहा है.

राहुल-तेजस्वी को फायदा?

राहुल गांधी के लिए SIR मुद्दा कांग्रेस को बिहार में पुनर्जनन का मौका देता है. जातीय जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर उनकी सक्रियता पहले से ही चर्चा में रही है. SIR को ‘वोट चोरी’ से जोड़कर वे दलित और पिछड़े वोटरों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं. वहीं, तेजस्वी यादव इस मुद्दे को उठाकर MY समीकरण को मजबूत करने के साथ-साथ युवा और बेरोजगार वोटरों को भी लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. महागठबंधन का संयुक्त घोषणापत्र, जिसमें ‘माई बहन योजना’, बेरोजगारी भत्ता और डिग्री कॉलेज जैसे वादे शामिल हैं, इन समुदायों को सीधे लक्षित करता है.

महागठबंधन इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने और संयुक्त रैलियों, नुक्कड़ सभाओं के जरिए जनता में जागरूकता फैलाने की योजना बना रहा है. यह गठबंधन SIR को संविधान और लोकतंत्र से जोड़कर भावनात्मक अपील कर रहा है, ताकि नीतीश कुमार और BJP के खिलाफ माहौल बनाया जा सके. हालांकि, तेजस्वी के चुनाव बहिष्कार के बयान पर कांग्रेस की असहमति से गठबंधन में दरार की आशंका भी है. फिर भी, SIR विवाद ने महागठबंधन को एक नया मुद्दा दिया है, जिसे वे बिहार के जातीय समीकरणों के साथ जोड़कर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश करेंगे.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

August 12, 2025, 13:25 IST

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