Su-57 या F-35... 5th Gen की कमी दूर करने के लिए क्या कर रही वायुसेना

50 minutes ago

भारतीय वायुसेना के पास 30 स्क्वाड्रन लड़ाकू विमान होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 31 हैं, और इनमें से भी ज्यादातर चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट्स हैं. वहीं पड़ोसी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के पास 200 से ज्यादा J-20 जैसे स्टेल्थ फाइटर हैं, जबकि पाकिस्तान भी J-35 जैसे पांचवीं पीढ़ी के विमान खरीदने की दौड़ में है. ऐसे में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (5th Gen फाइटर जेट) के लिए भारत ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) प्रोग्रम स्टार्ट किया है. हालांकि इसके तहत पहला फाइटर जेट तैयार होने में कम से कम 10 साल लगने का अनुमान है.

ऐसे में इस 10 साल के अंतराल को भरने के लिए भारतीय वायुसेना नए विकल्प तलाश रही है. सेना की नजर दो फिफ्थ जेन फाइटर जेट्स पर है. इसमें से एक रूस का Su-57 है और अमेरिकी F-35 लड़ाकू विमान… एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित ने हाल ही में कहा कि सेना स्टॉपगैप सॉल्यूशन पर विचार कर रही है, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया.

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या रूस का स्टेल्थ फाइटर ‘फेलन’ भारत का रेस्क्यू पैकेज बनेगा, जिसमें किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल इंटीग्रेशन की योजना है? या अमेरिकी F-35 की चमक ज्यादा आकर्षित करेगी? आइए, इस रणनीतिक दुविधा को गहराई से समझते हैं…

AMCA का इंतजार: 2035 तक क्यों इतना लंबा सफर?

डीआरडीओ और एचएएल के नेतृत्व में भारत का पहला स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर प्रोग्राम एएमसीए विकसित हो रहा है. इसकी मैक-1 वैरिएंट में 25% स्टेल्थ, सुपरक्रूज क्षमता और इंटरनल वेपन्स बे होगी, जबकि मैक-2 में 30% स्टेल्थ और जी एफ-414 इंजन का इस्तेमाल होगा. लेकिन इस पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान में चुनौतियां कम नहीं.

आईडीआरडब्लू की रिपोर्ट के मुताबिक, एयर मार्शल दीक्षित ने हाल ही में एक सेमिनार में कहा, ‘एएमसीए का विकास प्रगति पर है, लेकिन मिड-2030s तक प्रोडक्शन शुरू नहीं होगा. तब तक पड़ोसी एयर फोर्सेज स्टेल्थ प्लेटफॉर्म्स और एडवांस्ड नेटवर्क्ड एसेट्स के साथ आगे निकल जाएंगी.’ वर्तमान में वायुसेना का रोडमैप तेजस Mk1A, तेजस Mk2 और Su-30MKI, मिराज-2000, MiG-29 के अपग्रेड पर केंद्रित है. लेकिन ये सभी लड़ाकू विमान चौथी पीढ़ी के हैं, जो स्टेल्थ के अभाव में रडार पर आसानी से पकड़े जाते हैं.

एएमसीए के देरी के पीछे इंजन टेक्नोलॉजी, स्टेल्थ मटेरियल्स और टेस्टिंग की चुनौतियां हैं. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि 2035 तक IAF की स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ 26 तक गिर सकती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. इसलिए, स्टॉपगैप सॉल्यूशन जरूरी है. लेकिन फिर बड़ा सवाल कौन सा विमान भारत के काम आएगा?

क्या भारत का पुराना दोस्त ही बनेगा नया साथी?

रूस का Su-57 ‘फेलन’ पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर है, जो 2019 से रूसी एयर फोर्स में है. 76 रडार क्रॉस-सेक्शन 0.1 वर्ग मीटर, सुपरक्रूज (मैक 2 बिना आफ्टरबर्नर), और AL-41F1 इंजन इसे बेहद घातक बना देते हैं. भारत ने 2018 में 114 विमान खरीदने पर विचार किया था, लेकिन 2020 में रद्द कर दिया. वजहें थीं Su-57 की स्टेल्थ कमजोरियां, सैंक्शंस का डर, और Su-30MKI लाइन्स के साथ इंटीग्रेशन की मुश्किलें. लेकिन अब हालात बदल गए.

डिफेंस फोरम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत दो स्क्वाड्रन (36 विमान) Su-57 पर पुनर्विचार कर रहा है. रूस ने एचएएल की नासिक फैक्टरी में प्रोडक्शन का ऑफर दिया है, जहां Su-30MKI बनते हैं. इसमें सबसे बड़ा आकर्षण Kh-47M2 किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल का इंटीग्रेशन है. मैक 10 स्पीड वाली किंजल 2,000 किमी रेंज में एयर डिफेंस को भेद सकती है, जो भारतीय वायुसेना को चीन के J-20 के खिलाफ एज देगी.

एयर मार्शल दीक्षित ने कहा, ‘हम रिक्वायरमेंट्स की लिस्ट बना रहे हैं, प्लेटफॉर्म्स पर बात नहीं कर रहे.” लेकिन फोरम यूजर्स का मानना है कि Su-57 ‘मैंडेटरी रिक्वायरमेंट’ है, क्योंकि एएमसीए देरी से आ रहा है. रूस ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का वादा किया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ को बूस्ट देगा, लेकिन इस खरीद की राह में भी कई चुनौतियां है. यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस की सप्लाई चेन कमजोर पड़ गई है और अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण इसके पार्ट्स लेने में भी अड़चनें हैं.

F-35 की खरीद में कैसी दीवार?

अमेरिका का F-35 लाइटनिंग II दुनिया का सबसे एडवांस्ड स्टेल्थ फाइटर है. भारत ने वर्ष 2016 में एफ-35 खरीदने में रुचि दिखाई थी. वायुसेना के लिए F-35 खरीदने के कई फायदे भी है, लेकिन इस एक लड़ाकू विमान की कीमत 80 से 10 मिलियन डॉलर यानी करीब 750 करोड़ और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कमी बड़ी बाधा है. वहीं कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि F-35 ‘मीडिया हाइप’ है, क्योंकि अमेरिका भारत को सिक्स्थ-जनरेशन NGAD पर फोकस करने को कह रहा है.

Su-57 और F-35 के अलावा क्या है विकल्प?

वैसे भारतीय वायुसेना की नजर सिर्फ Su-57 या F-35 तक सीमित नहीं. वह ‘ऑपरेशनल जरूरत’ पर भी फोकस कर रही है, जिसमें यूरोपीय FCAS (फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम) या GCAP (ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम) जैसे सिक्स्थ-जनरेशन पार्टनरशिप्स शामिल हैं. इसके अलावा घरेलू स्तर पर, Tejas Mk2 को स्टेल्थ फीचर्स से अपग्रेड करने का भी प्लान है. लेकिन ये शॉर्ट-टर्म सॉल्यूशन नहीं – एएमसीए ही लॉन्ग-टर्म बेडरॉक है.

भारतीय वायुसेना के लिए कैसा संकट

चीन की PLAAF के पास 300+ स्टेल्थ विमान हैं, जो लद्दाख-तिब्बत बॉर्डर पर खतरा हैं. उधर पाकिस्तान की JF-17 थंडर को J-35 से अपग्रेड करने की खबरें हैं. ऐसे में भारतीय वायुसेना को 2035 तक 114 AMCA चाहिए, लेकिन 10 बिलियन डॉलर के बजट और इतने कम वक्त इसके पूरे होने की संभावना काफी छीन है.

ऐसे में इस कमी को पूरा करने के लिए भारतीय वायुसेना अगले साल कोई बड़ा फैसला ले सकती है. एयर मार्शल दीक्षित का संदेश साफ है, ‘गैप भरना प्राथमिकता है, लेकिन एएमसीए ही फाइनल सॉल्यूशन.’ Su-57 किंजल के साथ आकर्षक लगता है, F-35 टेक्नोलॉजी का वादा करता है. लेकिन भारत को अपना एएमसीए तेज करना होगा, वरना 10 साल का गैप राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर देगा.

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