Tariff: सुप्रीम कोर्ट में हारे ट्रंप तो क्या होगा, SHT एक्ट बनेगा हथियार?

1 day ago

Last Updated:September 04, 2025, 12:04 IST

 सुप्रीम कोर्ट में हारे ट्रंप तो क्या होगा,  SHT एक्ट बनेगा हथियार?डोनाल्ड ट्रंप ने निचली अदालतों के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

Donald Trump In Supreme Court: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में निचली अदालत के एक विवादास्पद फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. यह मामला उनकी टैरिफ नीति से संबंधित है. अमेरिका की एक निचली अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति को खारिज कर दिया था. फेडरल सर्किट अपील्स कोर्ट ने 29 अगस्त 7-4 के बहुमत से फैसला सुनाया कि ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का दुरुपयोग करके लगाए गए अधिकांश टैरिफ अवैध हैं. ट्रंप ने भारत पर भी 25 फीसदी टैरिफ और 25 फीसदी का जुर्माना लगाया है. यानी भारत से अमेरिका में आयात होने वाली चीजों पर कुल 50 फीसदी का टैरिफ लगाया गया है. कोर्ट के इस फैसले को डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बड़ा झटका माना गया. अब ट्रंप ने कोर्ट के इस बहुमत वाले फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

अब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाती है. सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों में से छह को रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों ने नियुक्त किया है, जबकि तीन को डेमोक्रेटिक राष्ट्रपतियों ने. यह 6-3 का कंजर्वेटिव बहुमत ट्रंप के पक्ष में जाता है. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के पक्ष में फैसला लेते हुए निचली अदालत के फैसले को पलट देगी.

अपील खारिज हो तो क्या होगा?

लेकिन, यदि सुप्रीम कोर्ट अपील खारिज कर देता है, तो आगे क्या होगा? यह सवाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था, वैश्विक व्यापार और ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति के लिए निर्णायक साबित हो सकता है. इस संदर्भ में ऐतिहासिक स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट (Smoot-Hawley Tariff Act) की भूमिका को समझना जरूरी है, जो संरक्षणवाद के खतरों का प्रतीक है.

ट्रंप की अपील का केंद्र IEEPA है, जो 1977 का कानून है और राष्ट्रपति को असामान्य और असाधारण खतरे के समय आर्थिक प्रतिबंध लगाने की शक्ति देता है. ट्रंप ने इस साल फरवरी से तमाम देशों के खिलाफ चरणबद्ध तरीके से टैरिफ लगाए हैं, जिनमें 10 फीसदी का बेसलाइन टैरिफ सभी तरह के आयात पर लगाया गया. इसके साथ ही अलग-अलग देशों पर अलग-अलग रेट से टैरिफ लगाया गया. अपील्स कोर्ट ने तर्क दिया कि IEEPA में टैरिफ शब्द का जिक्र नहीं है और यह कांग्रेस की संवैधानिक शक्ति (आर्टिकल 1, सेक्शन 8) का उल्लंघन करता है, जो टैरिफ लगाने का अधिकार विधायिका को देता है.

क्या है मेजर क्वेश्चन डॉक्ट्रिन?

अमेरिका के ‘मेजर क्वेश्चन डॉक्ट्रिन’ के मुताबिक ऐसे बड़े आर्थिक फैसले के लिए स्पष्ट तौर पर कांग्रेस की स्वीकृति जरूरी है. ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापार घाटे के लिए जरूरी हैं, लेकिन कोर्ट ने इसे ‘अनबाउंडेड’ यानी बाध्यकारी नहीं होने की बात कही.

यदि सुप्रीम कोर्ट ट्रंप की अपील खारिज कर देता है तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं. सबसे पहले IEEPA के तहत लगाए गए अधिकांश टैरिफ (कुल $65.8 बिलियन राजस्व वाले) अमान्य हो जाएंगे और अमेरिकी सरकार को आयातकों को रिफंड चुकाना पड़ सकता है. यह ट्रंप प्रशासन की बहुत बड़ी हार होगी. हजारों कंपनियां रिफंड के लिए दावे दायर कर सकती हैं. वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ जाएगी. डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही चेतावनी दी कि इससे थर्ड वर्ल्ड कंट्री बनने का खतरा है. ट्रंप के हाल के व्यापार समझौते (यूरोपीय संघ, जापान, दक्षिण कोरिया के साथ) भी खतरे में पड़ जाएंगे, क्योंकि ये टैरिफ पर आधारित थे. वैश्विक स्तर पर WTO में विवाद बढ़ सकते हैं और साझेदार देश प्रतिशोधी टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार 66 फीसदी तक गिर सकता है.

स्मूट-हॉली कानून

स्मूट-हॉली टैरिफ एक्ट 1930 में बना था. इसे सीनेटर रीड स्मूट और प्रतिनिधिसभा के सदस्य विलिस हॉली ने पेश किया था. महामंदी के शुरुआती चरण में उस वक्त के प्रेसिडेंट हर्बर्ट हूवर ने इस पर 17 जून 1930 को साइन किया था. हालांकि उस वक्त इस कानून का 1,000 से अधिक अर्थशास्त्रियों ने विरोध किया था. इस एक्ट के तहत 20,000 से अधिक आयातित वस्तुओं पर औसत 60 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाए गए, जिसका उद्देश्य अमेरिकी किसानों और उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना था. इसके बाद अन्य देशों ने भी बदले की कार्रवाई की. टैरिफ बढ़ने के कारण अमेरिकी आयात 66 फीसदी और निर्यात 61 फीसदी गिर गए. यूरोप और कनाडा ने जवाबी टैरिफ बढ़ा दिए. इससे विश्व व्यापार 66 फीसदी सिकुड़ गया. बेरोजगारी 8 से बढ़कर 25 फीसदी हो गई और महामंदी और गहरी हो गई. माना जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट डोनाल्ड ट्रंप की अपील खारिज कर देती है तो राष्ट्रपति इस कानून को अपना हथियार बना सकते हैं. वह इस कानून के तहत भारत सहित दुनिया के अन्य तमाम दोशों के खिलाफ टैरिफ लगा सकते हैं.

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First Published :

September 04, 2025, 12:04 IST

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