US President Election: हैरिस और ट्रंप ही नहीं, राष्‍ट्रपति बनने की रेस में ये भी... 7 स्विंग स्टेट तय करेंगे कौन होगा विजेता; 10 प्वाइंट्स

2 weeks ago

US President Election 2024: अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? 5 नवंबर 2024 से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. दुनिया के सबसे ताकतवर देश में सबसे बड़ी कुर्सी पाने के लिए दावेदार कई हैं. मुख्य मुकाबला रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक कमला हैरिस के बीच है, लेकिन चुनाव इन्हीं दो तक सीमित नहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में कई तीसरे पक्ष और निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं. अमेरिका में सीधे वोटर्स अपने राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते हैं, उसकी एक अलग प्रक्रिया है जिसे 'इलेक्टोरल कॉलेज' कहते हैं. 50 अमेरिकी राज्यों में से अधिकतर का झुकाव साफ है, लेकिन सात राज्य ऐसे हैं जहां कांटे की टक्कर रहती है. इन राज्यों को 'स्विंग स्टेट' कहते हैं. इन्हीं राज्यों के वोटर्स तय करेंगे कि व्हाइट हाउस में आगे कौन रहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी बातें.

अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव कब है?

5 नवंबर को होने वाले चुनाव का विजेता 33 करोड़ आबादी वाले अमेरिका पर शासन करेगा. अमेरिकी संविधान के अनुसार, नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को वोटिंग होती है. जीतने वाला व्यक्ति 20 जनवरी, 2025 को अपने शपथ ग्रहण से शुरू होकर चार साल तक व्हाइट हाउस में रहेगा.

कैसे होता है अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव?

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव लोकप्रिय वोट पर आधारित नहीं होते. यानी सीधे वोटर अपने राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते. इसके बजाय, वहां 'इलेक्टोरल कॉलेज' नाम का सिस्टम है. नवंबर में होने वाले चुनाव में वोटर इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के लिए मतदान करते हैं. फिर ये चुने हुए प्रतिनिधि आगे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. 

जीतने वाले उम्मीदवार को उस राज्य के चुनावी वोट मिलते हैं, जो काफी हद तक जनसंख्या पर आधारित होते हैं. 48 राज्यों में, जो उम्मीदवार लोकप्रिय वोट जीतता है, उसे उस राज्य के सभी चुनावी वोट मिलते हैं. मेन और नेब्रास्का अपवाद हैं और वे आनुपातिक प्रणाली का उपयोग करते हैं.

बहुमत का आंकड़ा

किसी भी उम्मीदवार को देश के 538 इलेक्टोरल वोटर्स में से बहुमत, या 270 वोट जीतने की जरूरत होती है.

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ज्यादा वोट पाने वाला भी हार सकता है!

एक उम्मीदवार को लोकप्रिय वोटों का बहुमत मिल सकता है, लेकिन फिर भी वह हार सकता है, अगर वह इसे इलेक्टोरल कॉलेज के बहुमत में तब्दील न कर पाए. 2016 में, डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन ने ट्रंप की तुलना में लगभग 3 मिलियन अधिक वोट जीते, लेकिन वह चुनाव से हार गईं क्योंकि ट्रंप ने 306 इलेक्टोरल कॉलेज जीत कर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024: कौन-कौन उम्मीदवार?

राष्ट्रपति जो बाइडेन के रेस से पीछे हटने के बाद कमला हैरिस (60) ने डेमोक्रेटिक पार्टी से नामांकन जीता. अगर वह जीतती हैं तो अमेरिका के 248 सालों के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति होंगी. उनका मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप (78) से हैं जो रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार हैं. वह 2020 में राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे.

I’m asking for your vote because as president, I will get up every day and fight for the American people. pic.twitter.com/lp4bj90zvn

— Kamala Harris (@KamalaHarris) November 2, 2024

pic.twitter.com/WdmEhpHDeA

— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 3, 2024

ट्रंप और हैरिस के अलावा, राष्ट्रपति बनने की रेस में लिबरटेरियन पार्टी के चेज ओलिवर और ग्रीन पार्टी की जिल स्टीन भी शामिल हैं. इसके अलावा, 71 साल के कॉर्नेल वेस्ट निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.

'स्विंग स्टेट' क्या हैं?

ये वे राज्य हैं जहां डेमोक्रेटिक या रिपब्लिकन, किसी भी पार्टी के पास निश्चित बहुमत नहीं है. वहां चुनाव किसी भी तरफ जा सकता है. इन राज्यों के पास कुल मिलाकर 93 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हैं.

ये सात राज्य हैं- मिशिगन, पेन्सिल्वेनिया, विस्कॉन्सिन, एरिजोना, जॉर्जिया, नेवादा और उत्तरी कैरोलिना. न्यूयॉर्क टाइम्स पब्लिक पोल ट्रैकर के अनुसार, रविवार तक सभी सात राज्य लगभग बराबरी की स्थिति में थे. पेन्सिल्वेनिया, सबसे अहम स्विंग स्टेट है क्योंकि उसके पास 19 इलेक्टोरल वोट हैं.

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US President Election Result: नतीजे कब तक?

वोटों की गिनती 5 नवंबर से ही शुरू हो जाएगी लेकिन अंतिम नतीजे आने में कई दिन लग सकते हैं. इस बार मुकाबला बेहद कड़ा है. कुछ सौ या उससे भी कम वोटों से विजेता का फैसला हो सकता है. चूंकि, पूरे देश में एक समान प्रक्रियाओं और नियमों का अभाव है, इसलिए, हर राज्य नतीजों को प्रमाणित करने के लिए अपनी प्रक्रियाओं का पालन करता है. 

कानूनी चुनौतियों के कारण कई राज्यों में आधिकारिक घोषणाओं में देरी होना निश्चित है. कोई भी पार्टी फिर से काउंटिंग की मांग कर सकती है, जिससे नतीजों में देरी हो सकती है. परंपरागत रूप से, चुनाव हारने वाला उम्मीदवार परिणाम की आधिकारिक घोषणा से पहले ही हार स्वीकार कर लेता है.

अगर टाई हुआ तो?

यदि दोनों उम्मीदवारों को 269-269 वोट मिलें या कोई तीसरा पक्ष या स्वतंत्र उम्मीदवार इलेक्टोरल कॉलेज में इतने वोट पा ले कि कोई जरूरी 270 वोट हासिल ही न कर पाए तो 'आकस्मिक चुनाव' की बारी आती है. इस दौरान, अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स विजेता तय करती है. हर राज्य के हाउस डेलिगेशन को एक वोट मिलता है. और जीत के लिए स्टेट डेलिगेशन के वोटों के बहुमत की जरूरत होती है.

12वां संशोधन यह प्रावधान करता है कि यदि किसी भी उम्मीदवार को इलेक्टोरल कॉलेज में बहुमत नहीं मिलता है, तो नवगठित कांग्रेस (3 जनवरी को शपथ ग्रहण) राष्ट्रपति का चयन करेगी, जबकि सीनेट उपराष्ट्रपति का चयन करेगी.

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20 जनवरी को शपथ लेते हैं नए राष्ट्रपति

दिसंबर में चुनावी बैठक होती है जिसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए अपने आधिकारिक वोट डालने के लिए निर्वाचक अपने राज्यों में जमा होते हैं. चुनावी वोटों की गिनती करने और आधिकारिक तौर पर विजेता की घोषणा करने के लिए कांग्रेस 6 जनवरी को बैठक करती है और नया राष्ट्रपति 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करता है.

भारत के लिए मायने

ट्रंप या हैरिस, जो भी अमेरिका का अगला राष्ट्रपति बने, भारत पर उसका गहरा प्रभाव होगा. ट्रंप के नेतृत्व वाली ग्लोबल जियोपोलिटिक्स, कच्चे तेल की कीमतों, रक्षा टेक्नोलॉजी और फार्मा के लिए अनुकूल हो सकती है. वहीं, हैरिस शायद बाइडेन प्रशासन की नीतियों पर ही आगे बढ़ेंगी. भारत को अमेरिका के चीन-विरोधी रवैये से भी लाभ उठाने की उम्मीद है.

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