हाइलाइट्स
राजा परीक्षित को डंसने वाले सांप की प्रजाति बिहार के वीटीआर में मिलती है. वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के पास 30 दिन में दूसरी बार दिखा उड़ने वाला तक्षक. बिहार में राजा परीक्षित को डंसने वाले सांप की प्रजाति, काटने से नहीं होती मौत.
बगहा. रसेल वाइपर, कोबरा, करैत, स्केल्ड वाइपर… ये सांप की कुछ ऐसी प्रजातियां हैं जो काफी जहरीली होती हैं और इनके काटने से कोई भी प्राणी 5 मिनट से अधिक जीवित नहीं रह सकता है. ये सभी प्रजातियां बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व यानी वीटीआर (VTR) में पाई जाती है. दुर्लभ प्रजातियों के सांपों के इसी क्रम में एक है तक्षक सांप जिसे ओरिएंट फ्लाइंग स्नेक भी कहा जाता है. बेहद कम दिखने वाला यह सांप आजकल बहुत दिख रहे हैं. बीते 30 दिन में ही दो बार इस सांप को देखा गया है. खास बात यह कि 9 महीने के भीतर इस सांप को 6 बार देखा गया है. फ्लाइंग स्नेक से जाना जाने वाले इस सांप को हम तक्षक नाग, या फिर ओरिएंट फ्लाइंग स्नेक कहते हैं. हाल में यह एक निजी क्लीनिक में जा घुसा था. इसके पहले एक स्कूल में भी देखा गया था. हालांकि प्राइवेट क्लिनिक में घुस आए इस सांप को बाद में पकड़कर जंगल में छोड़ आया गया था. इसका वीडियो आप आगे देख सकते हैं.
बता दें कि इस उड़ते हुए सांप को देखकर क्लिनिक में मौजूद मरीज और स्टाफ के बीच अफरा-तफरी मच गई थी. घटना बीते 17 सितंबर की है. सांप को देखे जाने के बाद क्लिनिक के डॉक्टर ने तत्काल वन विभाग को इसकी सूचना दी, जिसके बाद रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची. रेस्क्यू वन विभाग की टीम ने स्नेक कैचर सुनील कुमार की मदद से आधे घंटे के भीतर तक्षक नाग को पकड़ लिया और उसे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में सुरक्षित छोड़ दिया गया.
सुनील कुमार ने बताया कि इस प्रजाति का सांप, जिसे तक्षक नाग या ओरिएंट फ्लाइंग स्नेक कहा जाता है, आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है. आमतौर पर उड़ने वाले सांप बहुत कम देखने को मिलते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह बहुत ज्यादा जहरीला नहीं होता है, लेकिन उड़ने के कारण इनका खौफ बहुत ज्यादा होता है. लेकिन, सवाल यह है कि पंख न होने के बावजूद यह सांप कैसे उड़ता है? इसका पता वैज्ञानिकों ने हाई स्पीड कैमरों की मदद से लगा लिया है.
उड़ता है यह सांप या देखने का भ्रम?
हाई स्पीड कैमरों से पता लगा है कि यह उड़ने वाला सांप पेड़ की एक शाखा से दूसरे शाखा तक छलांग लगा सकता है. इस दरमियान वह एस आकर की आवृत्ति तैयार करता है, जिससे जाहिर होता है कि यह सांप उड़ रहा है. इसके साथ ही कई बार उड़ कर जमीन और दीवारों पर भी जा सकता है. हालांकि, अब तक इस सांप से किसी तरह का किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है. विशेषज्ञों के अनुसार, वीटीआर में इस प्रजाति का मिलना इस बात का संकेत है कि आबोहवा अच्छी है.
सांप काटता तो जरूर है पर मौत नहीं होती
दरअसल, देश में तक्षक की संख्या बहुत अधिक नहीं है, लेकिन बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या देखने को मिलती है. तक्षक के साथ इनके परिवार की नई प्रजाति वाले सांप भी मिले हैं. साल 2024 में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में तक्षक को 6 बार देखा गया है. वहीं बताया जाता है कि जमुई से लेकर पटना में इनकी प्रजातियां मिली हैं. तक्षक नाग तीन से चार फीट तक का हो सकता है और इसमें जहर काफी कम होता है. इसके काटने से चक्कर आ सकता है, लेकिन मौत नहीं होती.
पुराणों में भी इस प्रजाति के सांपों का जिक्र
बता दें कि तक्षक नाग का जिक्र पुराणों से आया है. पुराणों में कहानी को लेकर बताते हैं, उस समय इस सांप को इसलिए जहरीला बताया गया था, क्योंकि उस समय एंटी वेनम नहीं था और सांप काटने के डर से ही लोग मर जाते थे. राजा परीक्षित की जैसी बंगाल में भी तक्षक नाग से जुड़ी कहानी है और इसे काल नागिन कहा जाता है. काल नागिन तक्षक ही है, लेकिन यह तब की कहानी है, जब इस सांप की प्रजाति पर कोई शोध नहीं हुआ था.
एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाता है सांप
विशेषज्ञ बताते हैं कि तक्षक पतला और लंबा होता है, यह काफी एक्टिव होता है, पेड़ों पर छलांग लगाता है. इसके उड़ने और जंप करने के बीच के फर्क को जानने के लिए भी बहुत स्टडी हुई. इसके बाद यह पता चला कि ये उड़ता नहीं है, बल्कि तेजी से जंप करता है. बता दें कि वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में 45 प्रकार के सांप की प्रजाति पाई जाती है. इसके साथ ही दुनिया के सबसे खतरनाक 5 सांप की प्रजातियों में से 2 भी देखे गए हैं. ओरियेंट फ्लाइंग स्नेक यानी तक्षक भी इसी कड़ी की लड़ी है.
Tags: Amazing facts, Bihar News, Bizarre news, Champawat News, Snake rescue operation, Snake Venom, Valmiki Tiger Reserve
FIRST PUBLISHED :
September 21, 2024, 15:51 IST