नई दिल्ली/करहल. करहल एक बार फिर से राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र बिंदु में आ गया है. साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी करहल राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र बिंदु में था. यूपी के मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट राज्य की उन 10 विधासनसभा सीटों में से एक है, जहां अगले कुछ दिनों में उपचुनाव होने वाले हैं. करहल सीट इसलिए भी खास है कि क्योंकि यह सीट सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है. करहल में कई दशकों से किसी भी पार्टी की दाल नहीं गली है. क्योंकि, यह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का अभेद्य दुर्ग है. अब, बीजेपी ने इसे चुनौती के रुप में ले लिया है. हरियाणा जीत से उत्साहित सीएम योगी और बीजेपी दोनों इस सीट को लेकर प्लान तैयार कर लिया है.
करहल सीट पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार का आधिपत्य वर्षों से रहा है. एसपी के इस अभेद्य दुर्ग को 20 साल से कोई भी पार्टी भेद नहीं सका है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली हार गम सीएम योगी करहल सीट जीतकर आलाकमान को देना चाहते हैं. विजयादशमी के दिन अपने संबोधन में सीएम योगी करहल जीतने का प्लान साझा कर सकते हैं.
बीते दो दशकों से करहल सीट पर सपा को छोड़ कर किसी भी दूसरी पार्टियों की दाल नहीं गली. लेकिन, हरियाण जीत से उत्साहित बीजेपी करहल को जीतने का अभी से ही प्लान तैयार कर लिया है. बीजेपी यहां भी वही फॉर्मूला अपनाने जा रही है, जो हरियाणा में अपनाई थी. अगर यह फॉर्मूला करहल में भी कामयाब रहती है तो बीजेपी साल 2027 के विधानसभा चुनाव में यही फॉर्मूला एसपी के सभी जीते हुए सीटों पर आजमा सकती है. बीजेपी इस फॉर्मूले को करहल से शुरुआत करने जा रही है.
अखिलेश ने अपने भतीजे और लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा है. (फाइल फोटो-मुलायम के साथ तेज प्रताप)
अखिलेश के गढ़ में बीजेपी का नया प्लान
आपको बता दें कि साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी मीडिया में खूब चर्चा शुरू हो गई थी कि अखिलेश यादव की नैया करहल में डगमगा रही है. मीडिया में खूब चर्चा हो रही थी कि बीजेपी इस अभेद्य किले में सेंध लगा देगी. हालांकि मीडिया में प्रचार का नतीजा हुआ कि चुनाव प्रचार के अंतिम दिन मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और खुद अखिलेश यादव एक बस में करहल में रोड शो करना पड़ा.
पिछली कैसे बाजी पलट गई थी
अखिलेश के सामने मोदी सरकार के मंत्री एसपी सिंह बघेल खड़े थे. 20 फरवरी 2022 को जब इस सीट पर तीसरे फेज में वोटिंग खत्म हुई तो तरह-तरह के कयास लगने लगे. लेकिन, जैसे ही नतीजा आया पता चल गया कि एसपी का यह किला कितना मजबूत है. अखिलेश यादव भारी मार्जिन से चुनाव जीत गए.
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश, मुलायम और शिवपाल साथ-साथ करहल में रोड- शो करते हुए.
मुलायम, अखिलेश और शिवपाल यहीं साथ आए थे
ऐसे में इस बार करहल सीट पर परिवार का आधिपत्य स्थापित करने के लिए अखिलेश ने अपने भतीजे और लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा है. तेज प्रताप यादव समाजवादी पार्टी ने संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अपने सगे बड़े भाई के पोते हैं. मुलायम सिंह यादव ने साल 2014 में तेज प्रताप यादव को मैनपुरी से टिकट देकर संसद में भेजा था. हालांकि, बाद में दूसरी सीटों पर तेज प्रताप ने चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.
आपको बता दें कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप यादव पर ही अखिलेश यादव की चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी की कमान थी. तेज प्रताप यादव करहल में ही कई दिनों तक कैंप करते रहे. इसलिए माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने बड़ा दांव खेला है. एक ऐसे चेहरे को मैदान में उतारा है, जो परिवार के साथ-साथ स्थानीय लोगों से भी काफी घरेलू संबंध रखता है. ऐसे में बीजेपी को इतना आसान नहीं होगा तेज प्रताप यादव के कद जैसा कोई चेहरा उतराना. इस सीट पर 40 प्रतिशत यादव और तकरीबन 5 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 12:05 IST