अगर भारत और बांग्लादेश में युद्ध हुआ तो... सरमा ने 'चिकन नेक' को लेकर चेताया

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Last Updated:December 28, 2025, 01:37 IST

Bangladesh India War: हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम चुनाव स्वदेश, स्वजाति और असमिया पहचान की रक्षा की लड़ाई है. उन्होंने भाजपा को घुसपैठियों से राज्य को बचाने की आखिरी उम्मीद बताया. सरमा ने कहा, "मैंने अपने जीवनकाल में घुसपैठियों की आबादी 21 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत होते देखी है."

अगर भारत और बांग्लादेश में युद्ध हुआ तो... सरमा ने 'चिकन नेक' को लेकर चेतायाहिमंत बिस्वा सरमा ने असमिया पहचान के खतरे को लेकर आगाह किया. (फाइल फोटो)

गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव राज्य के लोगों की पहचान, भूमि और संस्कृति के साथ-साथ ‘स्वदेश’ (राष्ट्र) और ‘स्वजाति’ (स्वयं का समुदाय) की रक्षा की लड़ाई होगी. मुख्यमंत्री ने यहां पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि भाजपा उम्मीद की आखिरी रोशनी का प्रतिनिधित्व करती है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों की वजह से राज्य को अंधेरे की खाई में नहीं धकेला जाए.

सरमा ने कहा, “आगामी चुनाव आशाओं और आकांक्षाओं के बारे में नहीं हैं. यह ‘स्वदेश’ और ‘स्वजाति’ की रक्षा के लिए खुद को समर्पित करने के बारे में है. मुझे यकीन है कि लोग जानते हैं कि भाजपा उनकी आखिरी उम्मीद है. वे हमें वोट देंगे और हम यह चुनाव जीतेंगे.” उन्होंने आरोप लगाया कि ‘कांग्रेस की कमजोरी और उसकी ध्रुवीकरण की राजनीति’ के कारण धीरे-धीरे ‘एक और सभ्यता का निर्माण हुआ, जिसकी आबादी अब 1.5 करोड़’ है.

उन्होंने कहा, “वर्ष 2011 की जनगणना में, जब हम हिंदू और मुसलमानों के आंकड़ों पर गौर फरमाते हैं, तो हम पाते हैं कि मुस्लिम 34 प्रतिशत हैं, और अगर हम असमिया मूल के तीन प्रतिशत मुसलमानों को हटा दें, तो हम पाते हैं कि घुसपैठिये 31 प्रतिशत हैं.” वर्ष 2021 में कोई जनगणना नहीं हुई और जब 2027 में होगी तो बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों की आबादी लगभग 40 प्रतिशत होने का अनुमान है.

सरमा ने कहा, “कुछ लोग कह सकते हैं कि सभी सह-अस्तित्व के साथ रह सकते हैं, क्योंकि हमारा धर्म सभी का स्वागत करता है और इसमें सभी को शामिल करता है, लेकिन बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रम ने हमें दिखाया है कि वे विशिष्टता में विश्वास करते हैं.” मुख्यमंत्री ने कहा कि जब दीपू दास को बांग्लादेश में जिंदा जलाया जा सकता है, तो ‘असम के लोग अच्छी तरह कल्पना कर सकते हैं कि 20 साल बाद राज्य की स्थिति क्या होगी’.

उन्होंने कहा, “धुबरी में पिछली ईद के दौरान मुझे वहां जाना पड़ा था, जब लोगों के घरों के बाहर गोमांस फेंक दिया गया था और मांस खुलेआम खाया जा रहा था. निचले और मध्य असम में हिंदू लड़कियों के ‘लव जिहाद’ का शिकार होने के मामले सामने आए हैं. असम के मूल निवासी अपनी जमीनें बेच रहे हैं और कस्बों एवं शहरों में जा रहे हैं. ये ऐसे मुद्दे हैं जिसने असमिया पहचान को खतरे में डाल दिया है.”

पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाले सिलीगुड़ी के ‘चिकन नेक’ गलियारे का जिक्र करते हुए सरमा ने कहा, “वहां दोनों तरफ कौन है? वहां कोई हिंदू नहीं है, बल्कि केवल वे लोग हैं जो बांग्लादेश से आए हैं.” सरमा ने कहा, “वे कब आए, यह अप्रासंगिक है. अगर भारत और बांग्लादेश के बीच युद्ध होता है, तो ये बाशिंदे किसका समर्थन करेंगे? उनकी वफादारी कहां है?”

सरमा ने दावा किया कि ऐसा कोई अन्य स्थान नहीं है जहां मूल निवासियों की आबादी कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत रह गई हो. उन्होंने कहा, “मैंने अपने जीवनकाल में घुसपैठियों की आबादी 21 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत होते देखी है और मेरे बच्चे अपने जीवनकाल में पाएंगे कि असमिया समुदाय की आबादी घटकर 30 प्रतिशत रह गई है.”

उन्होंने वाम दलों पर यह दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया कि असम ‘संकर-अजान’ (वैष्णव संत शंकरदेव और सूफी संत अजान फकीर) की भूमि है, लेकिन यह गलत है क्योंकि यह ‘शंकर-माधव’ (शंकरदेव के प्रसिद्ध शिष्य माधवदेव का संदर्भ) की भूमि है. मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा असम के उन लोगों के लिए चमकदार रोशनी होगी, जिन्हें आगे अंधेरा दिखता है. उन्होंने कहा, “हमें अपनी ‘जाति, माटी और भेटी’ (समुदाय, भूमि और जड़) की रक्षा के लिए लगातार लड़ना होगा.”

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

Location :

Guwahati,Kamrup Metropolitan,Assam

First Published :

December 27, 2025, 23:23 IST

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