अन्नामलाई सब पर भारी: खुद देख‍िए, शाह के नाम लेते ही कैसे झूम उठे कार्यकर्ता

6 hours ago

Last Updated:June 09, 2025, 05:01 IST

तमिलनाडु में बीजेपी के अन्नामलाई ने पार्टी को नई पहचान दी है. अमित शाह ने मदुरै रैली में उनकी तारीफ की, जिससे कार्यकर्ता उत्साहित हुए.

 खुद देख‍िए, शाह के नाम लेते ही कैसे झूम उठे कार्यकर्ता

अन्‍नामलाई तमिलनाडु में बीजेपी का सबसे ताकतवर चेहरा हैं.

हाइलाइट्स

अमित शाह ने मदुरै रैली में अन्नामलाई की तारीफ की.अन्नामलाई ने तमिलनाडु में बीजेपी को नई पहचान दी.अन्नामलाई की पॉपुलैरिटी सोशल मीडिया पर बढ़ी.

तमिलनाडु में बीजेपी भले ही अब भी सत्ता से दूर हो, लेकिन एक नाम है जिसने पार्टी को पहचान दी, विचारधारा को धार दी और सड़क से सोशल मीडिया तक पार्टी का चेहरा बनकर उभरा, वो हैं के अन्नामलाई. रव‍िवार को मदुरै की रैली में जब गृह मंत्री अमित शाह ने अन्नामलाई का नाम लिया, तो मंच के सामने खड़े हजारों कार्यकर्ता खुशी से उछल पड़े. ऐसा लगा जैसे कोई पुराना नायक फिर से मंच पर आ गया हो. यह सिर्फ तालियों की गूंज नहीं थी, यह एक भावनात्मक समर्थन था. ये वो पल था, जो दिखाता है कि बीजेपी तमिलनाडु में चाहे जो भी रणनीति बनाए, जमीन पर पार्टी तो अन्नामलाई हैं.

हारकर भी नायक
2024 लोकसभा चुनाव में अन्नामलाई खुद अपनी सीट नहीं जीत पाए. फिर भी उन्होंने जो किया, वो शायद जीतने वालों ने भी नहीं किया. तमिलनाडु में बीजेपी का वोट प्रतिशत करीब 11.2% पहुंचा, जो पार्टी के लिए रिकॉर्ड है. एक दशक पहले तक जिस बीजेपी को उत्तर भारतीय पार्टी कहा जाता था, उसी का झंडा अब दक्षिण के गांवों में लहराने लगा है. इसका श्रेय सबसे ज्‍यादा अन्नामलाई को जाता है.

जब अमित शाह ने पुकारा नाम…
मदुरै की रैली में जब अमित शाह ने कहा, ‘मैं तमिलनाडु बीजेपी के पूर्व अध्‍यक्ष अन्नामलाई को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने पार्टी को गांव-गांव पहुंचाया’, तो भीड़ में मौजूद बीजेपी समर्थकों के चेहरों पर जो मुस्कान थी, वो कैमरे से छिपी नहीं रह सकी. कुछ कार्यकर्ता तो झूम उठे, नारे लगने लगे, ‘अन्नामलाई वापस लाओ’. एक पल के ल‍िए यह देखकर अमित शाह भी अवाक रह गए. खुशी उनके चेहरे पर साफ तौर पर देखी जा सकती थी. कार्यकर्ताओं की इच्‍छा का सम्‍मान करते हुए, वे कुछ पल के ल‍िए ठहर गए. इस एक पल ने दिखा दिया कि अन्नामलाई आज भी बीजेपी के लिए चेहरा नहीं, भावना हैं.

@BJP4TamilNadu முன்னாள் மாநில தலைவர் திரு . @annamalai_k ஜி அவர்களின் பெயரை மத்திய உள்துறை அமைச்சர் திரு. @AmitShah ஜி அவர்கள் சொன்னதும் சந்தோஷத்தில் துள்ளிக் குதித்தனர் #annamalaifortn#annamalai #BJP #tnbjp pic.twitter.com/k1dKkbV8T9

— Dinesh Kumar (@dineshmaha15) June 8, 2025

बीजेपी की रणनीति: फ्रंट से बैकफुट?
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले अन्नामलाई को तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष पद से हटाया गया. ये फैसला पार्टी की कास्ट बैलेंसिंग और गठबंधन संभावनाओं के तहत लिया गया था. उनकी जगह नैनार नागेन्द्रन को लाया गया, जो AIADMK जैसी पार्टियों के लिए ज्यादा स्वीकार्य चेहरा माने गए. लेकिन इस रणनीति ने पार्टी के भीतर ही एक भावनात्मक गैप पैदा कर दिया. जो कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर ‘Annamalai 2.0’ के पोस्टर बना रहे थे, वो अचानक भ्रम में पड़ गए. कई ने इसे ‘अन्नामलाई को साइडलाइन करने की साजिश’ तक बता द‍िया. नाराजगी भी जताई.

योगी से होती है तुलना
अन्नामलाई की पॉपुलैर‍िटी इससे कम होने की बजाय बढ़ गई. सोशल मीडिया पर अन्नमलाई खूब ट्रेंड करते हैं. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, हर जगह उनके भाषणों की क्लिप्स, उनके ‘अग्रेसिव’ इंटरव्यू और उनकी Dravidian challenge की बातों को खूब शेयर किया जाता है. उनकी तुलना कभी योगी आदित्यनाथ से होती है, तो कभी उन्हें तमिल हिंदुत्व के पोस्टर बॉय कहा जाता है. उनकी छवि सिर्फ एक नेता की नहीं, बल्कि आउटसाइडर से इनसाइडर बनने की यात्रा की भी है, जो युवाओं को खास तौर पर प्रेरित करती है.

क्यों कहते हैं तमिलनाडु बीजेपी = अन्नामलाई?
बीजेपी को तमिलनाडु में अगर मेन प्‍लेयर के रूप में ग‍िना जा रहा है तो अन्‍नमलाई का नाम सबसे आगे है. क्योंकि उन्होंने पार्टी को सड़क पर उतारा. पहले जहां बीजेपी सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखती थी, अन्नामलाई ने पार्टी को जनता के बीच ले जाकर लड़ना सिखाया. क्योंकि उन्होंने विपक्ष को सीधे चुनौती दी. DMK सरकार को सवालों में घेरने की हिम्मत उन्होंने दिखाई. क्योंकि उन्होंने नई पीढ़ी को जोड़ा. उनके भाषणों और सोशल मीडिया स्ट्रैटेजी ने युवाओं को जोड़ा, खासकर शहरी इलाकों में, जिसका असर दिखा.

बीजेपी क्‍या सोचती है?
केंद्रीय नेतृत्व की मानें तो अन्नामलाई को हटाया नहीं गया है, उन्‍हें नई ज‍िम्‍मेदारी सौंपी गई है. कहा जा रहा है क‍ि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका दी जा सकती है. हो सकता है क‍ि उन्‍हें साउथ के राज्‍यों का प्रभारी बना द‍ि‍या जाए, जैसे नार्थ ईस्‍ट की ज‍िम्‍मेदारी हिमंत बिस्वा सरमा को सौंपी गई थी. लेकिन सवाल ये है कि क्या राज्य में उनकी अनुपस्थिति से जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा?

कार्यकर्ता क्या चाहते हैं?
न्यूज18तमिल के साथ बातचीत में कई बीजेपी कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि अगर 2026 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूती चाहिए, तो अन्नामलाई को फ्रंट पर लाना ही होगा. कुछ का कहना है कि चुनाव में चाहे सीटें मिलीं या नहीं, लेकिन दिल तो अन्नामलाई ने ही जीते हैं.

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Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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