Philippines, India hold first joint naval drill: बरसों तक एक सॉफ्ट स्टेट बनकर दुनिया की धौंस झेलने वाला भारत अब धीरे-धीरे अपने तेवर और क्लेवर दोनों बदल रहा है. अब उसकी रणनीति स्पष्ट रूप से सॉफ्ट से हार्ड स्टेट के रूप में परिवर्तित हो रही है और वह अपनी इस बदली रणनीति का इजहार करने में भी कोई संकोच नहीं कर रहा है. एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी और दुश्मन चीन को सबक सिखाने के लिए अब वह उसकी आंगन में जा पहुंचा है.
फिलीपींस के साथ पहली बार नेवल ड्रिल
भारतीय नौसेना ने फिलीपींस नेवी के साथ साउथ चाइना सी में पहली बार नेवल ड्रिल की. इस ड्रिल के दौरान दोनों नौसेनाओं ने जॉइंट पेट्रोलिंग और नौसैनिक अभ्यास किया. रविवार से शुरु हुआ यह सैन्य अभ्यास दो दिनों तक चला. यह ड्रिल ऐसे वक्त में की गई, जब फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस अपनी 5 दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे हुए हैं. ऐसा करके भारत ने ड्रैगन को खामोशी के साथ बड़ा संदेश दे दिया कि वह उसकी धौंसपट्टी की परवाह नहीं करता है.
फिलीपींस के चीफ ऑफ स्टाफ रोमियो ब्राउनर जूनियर ने सोमवार को कहा कि यह नेवल ड्रिल फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर हुई. इस दोनों देशों के युद्धपोतों ने भाग लिया. ड्रिल के दौरान दोनों देशों ने समंदर में मिलिट्री ऑपरेशन चलाने, हमले का जवाब देने और बचाव अभियान चलाने पर ध्यान केंद्रित किया.
दक्षिण चीन सागर में दिखी भारत की पावर
इस ड्रिल में भारतीय नौसेना केमिसाइल विध्वंसक INS दिल्ली, टैंकर आईएनएस शक्ति और कोरवेट आईएनएस किल्टन शामिल थे. फिलीपींस ने दो फ्रिगेट, बीआरपी मिगुएल मालवर और बीआरपी जोस रिज़ल तैनात किए थे.
फिलीपीन सेना के अनुसार, जब दोनों देशों की यह मिलिट्री ड्रिल चल रही थी, तब चीनी नौसेना और तटरक्षक जहाजों ने दूर से इस अभ्यास पर नजर रखी. ब्रॉउनर ने उम्मीद जताई कि भविष्य में फिलिपिनो सेनाएं भारत की मिलिट्री के साथ और ज्यादा संयुक्त युद्धाभ्यास कर सकेंगी.
भारत के दखल से बौखला उठा चीन
साउथ चाइना में भारत के मजबूत लेकिन खामोश दखल से चीन बौखला उठा है. उसकी यह झल्लाहट तब सामने आई, जब उसके विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि क्षेत्रीय और समुद्री विवादों को सीधे तौर पर शामिल देशों के बीच सुलझाया जाना चाहिए और इसमें किसी तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
चीन की सेना भी इंडियन नेवी के साउथ चाइना सी में आने से परेशान दिखी. चीन की दक्षिणी थिएटर कमान के प्रवक्ता ने कहा कि चीन की सेना ने 3 से 4 अगस्त तक विवादित जलमार्ग में गश्त की. उसकी यह गश्त नियमित थी लेकिन फिलीपींस की तथाकथित 'जॉइंट पेट्रोलिंग' से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बाधित हुई".
ड्रैगन ने फिलीपींस को दी गीदड़भभकी
इससे पहले पिछले हफ्ते भी चीन का इस मुद्दे पर बयान सामने आआ था. जब चीनी रक्षा मंत्रालय ने फ़िलीपींस को एक "उपद्रवी" देश बताते हुए आरोप लगाया कि उसने चीन के जलक्षेत्र में विदेशी ताकतों के साथ मिलकर परेशानी खड़ी की है.चीन ने धमकी देते हुए कहा था कि चीन अपने संकल्प से कभी नहीं डगमगाएगा और फ़िलीपींस की ओर से किसी भी उकसावे के ख़िलाफ़ कड़े जवाबी कदम उठाएगा."
बताते चलें कि चीन और फिलीपींस के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर लंबे समय से विवाद चला रहा है. चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना आधिपत्य जमाता है और इसके किनारे पर बसे दूसरे किसी भी देश को इसमें दखल नहीं देना चाहता. उसकी धौंसपट्टी के खिलाफ फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे लगातार आवाज उठाते रहे हैं.
चीन-फिलीपींस में किस बात को लेकर है विवाद?
फिलीपींस ने इस मुद्दे पर चीन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में केस भी दायर किया था, जिसने लंबी सुनवाई के बाद फैसला दिया कि साउथ चाइना सी पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत चीन का कोई वैध दावा नहीं बनता है. उसके इस फैसले को बीजिंग ने खारिज कर दिया था. तब से दोनों देशों में लगातार तनातनी चली आ रही है.
चूंकि यह एक रणनीतिक नौवहन मार्ग है, जहां सालाना 3 ट्रिलियन डॉलर का जहाज़ी व्यापार होता है. इसलिए भारत समेत सभी देश दक्षिण चीन सागर में नौवहन आजादी और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन की मांग करते आ रहे हैं. उनकी यह मांग चीन को अखरती है और वह इसे अपने आंतरिक मामलों में दखल बताकर खारिज करने की कोशिश करता है.
चीन और फिलीपींस के बीच दक्षिण चीन सागर विवाद: FAQs
Q1: चीन और फिलीपींस के बीच विवाद का मुख्य कारण क्या है?
A: विवाद दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय दावों, समुद्री सीमाओं, और प्राकृतिक संसाधनों (तेल, गैस, मत्स्य) के नियंत्रण को लेकर है. चीन अपनी "नाइन डैश लाइन" के आधार पर सागर के 90% हिस्से पर दावा करता है, जबकि फिलीपींस इसे अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) का हिस्सा मानता है.
Q2: दक्षिण चीन सागर इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
A: यह क्षेत्र वैश्विक व्यापार का प्रमुख मार्ग है, जहां से 3.37 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होता है. इसमें तेल, गैस, और मत्स्य संसाधनों के विशाल भंडार हैं, और यह हिंद व प्रशांत महासागर को जोड़ता है.
Q3: चीन का दावा किस आधार पर है?
A: चीन अपनी ऐतिहासिक "नाइन डैश लाइन" के आधार पर दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर दावा करता है, जिसमें स्प्रैटली, पार्सल द्वीप समूह, और स्कारबोरो शोल शामिल हैं.
Q4: फिलीपींस का दावा क्या है?
A: फिलीपींस का कहना है कि स्कारबोरो शोल और स्प्रैटली द्वीप उसके EEZ के अंतर्गत आते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून (UNCLOS) के तहत मान्य है.
Q5: इस विवाद में अन्य देशों की क्या भूमिका है?
A: वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई, और ताइवान भी इस क्षेत्र के हिस्सों पर दावा करते हैं. अमेरिका, जापान और भारत जैसे देश फिलीपींस का समर्थन करते हैं और नौवहन की स्वतंत्रता की वकालत करते हैं.
Q6: क्या कोई अंतरराष्ट्रीय फैसला हुआ है?
A: हां, 2016 में हेग के स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) ने फैसला दिया कि चीन का नाइन डैश लाइन दावा अवैध है. लेकिन चीन ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया.
Q7: हाल के तनाव का कारण क्या है?
A: चीन ने कृत्रिम द्वीप बनाए और सैन्य अड्डे स्थापित किए हैं. चीनी तटरक्षक बलों ने फिलीपीनी जहाजों पर टक्कर और वाटर कैनन का उपयोग किया, जैसे 2024 में सेकंड थॉमस शोल के पास हुई घटना.
Q8: फिलीपींस ने इस विवाद में क्या कदम उठाए हैं?
A: फिलीपींस ने अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांगा, अमेरिका और जापान के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाया और भारत से ब्रह्मोस मिसाइलें हासिल कीं. राष्ट्रपति मार्कोस ने सख्त रुख अपनाया है.
Q9: भारत इस विवाद में कहां खड़ा है?
A: भारत दक्षिण चीन सागर को तटस्थ क्षेत्र मानता है और UNCLOS के पालन पर जोर देता है. भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें दी हैं और संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया है.
Q10: क्या इस विवाद से युद्ध का खतरा है?
A: फिलीपींस के राष्ट्रपति मार्कोस ने कहा है कि यदि चीनी कार्रवाइयों से किसी फिलीपीनी की मृत्यु होती है, तो इसे "युद्ध का कृत्य" माना जाएगा.