अब अमेरिका में भारत की इन मेडिकल कंपनियों पर खतरा! वापस मंगाई गईं दवाइयां

1 day ago

Pharma companies: भारतीय फार्मा कंपनियों ग्लेनमार्क सन फार्मा और जाइडस ने अमेरिकी बाजार से कई दवाओं को रिकॉल किया है. इन कंपनियों के खिलाफ मैन्युफैक्चरिंग संबंधी समस्याओं के कारण यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन एफडीए ने यह कदम उठाया. असल में ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स मुंबई स्थित एक प्रमुख भारतीय कंपनी है. कंपनी ने अमेरिका में 25 से अधिक उत्पादों को रिकॉल किया. 

इन दवाओं में प्रोपेफेनोन हाइड्रोक्लोराइड एक्सटेंडेड-रिलीज कैप्सूल और सोलिफेनासिन सक्सीनेट टैबलेट शामिल हैं. कंपनी ने यह कार्रवाई करंट गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस सीजीएमपी का पालन न करने के कारण की. यह रिकॉल क्लास II में डाला गया है. जिसका मतलब है कि इन दवाओं के उपयोग से अस्थायी या चिकित्सकीय रूप से ठीक हो सकने वाली स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं हालांकि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कम है.

कैप्सूल की बोतलें वापस मंगाई

इसके अलावा, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज ने अमेरिका में अपने गैबापेंटिन कैप्सूल की करीब 13,700 बोतलें वापस मंगाई हैं. इन कैप्सूल का उपयोग मिर्गी के मरीजों में दौरे के उपचार और रोकथाम के लिए किया जाता है. यह रिकॉल क्लास III में किया गया है, जो सबसे कम गंभीर मानी जाती है.

जाइडस ने भी अमेरिका में अपनी दवा क्लोरप्रोमजाइन हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट की 3144 बोतलों को रिकॉल किया. इन गोलियों का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज के लिए किया जाता है. यह रिकॉल एन-नाइट्रोसो-डेसमेथिल क्लोरप्रोमजाइन नामक अशुद्धता के कारण किया गया जो स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया गया.

यूएसएफडीए नियमित रूप से अमेरिका में बेची जाने वाली दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी करता है. यह सुनिश्चित करता है कि दवा निर्माता सख्त मैन्युफैक्चरिंग मानकों का पालन करें ताकि किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या से बचा जा सके. यह घटनाएं फार्मा कंपनियों के लिए एक चेतावनी हो सकती हैं कि गुणवत्ता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है. एजेंसी इनपुट सांकेतिक फोटो 

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