Last Updated:April 08, 2025, 11:27 IST
Amit Shah Kashmir Visit: गृहमंत्री अमित शाह के कश्मीर दौरे पर हुरियत कॉन्फ्रेंस को झटका लगा है, तीन बड़े संगठनों ने हुरियत का साथ छोड़ दिया है. अमित शाह ने इसे भारत के संविधान में विश्वास का प्रदर्शन बताया है.

अमित शाह ने एक्स पर जानकारी दी. (X/Amit Shah)
हाइलाइट्स
अमित शाह इस वक्त जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं.इसी बीच तीन बड़े संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़ लिया हैण्इन नेताओं ने भारत के संविधान में निष्ठा जताई.Amit Shah Kashmir Visit: गृहमंत्री अमित शाह इस वक्त कश्मीर दौरे पर हैं. उनके कश्मीर पहुंते ही अलगाववादी संगठन हुरियत कॉन्फ्रेंस को तगड़ा झटका लगा है. तीन बड़े संगठनों ने हुरियत का साथ छोड़ दिया है. गृह मंत्री ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी. अमित शाह ने एक्स पर लिखा, ‘जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी, जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग और कश्मीर फ्रीडम फ्रंट जैसे तीन और संगठनों ने हुर्रियत से खुद को अलग कर लिया है. यह घाटी में लोगों के भारत के संविधान में विश्वास का एक प्रमुख प्रदर्शन है. मोदी जी का एकजुट और शक्तिशाली भारत का सपना आज और भी मजबूत हो गया है, क्योंकि अब तक 11 ऐसे संगठनों ने अलगाववाद को त्याग दिया है और इसके लिए अटूट समर्थन की घोषणा की है.’
तीन वरिष्ठ अलगाववादी नेता मोहम्मद यूसुफ नकाश, हकीम अब्दुल रशीद और बशीर अहमद अंद्राबी ने सार्वजनिक रूप से अलगाववाद को त्याग दिया और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के विभिन्न धड़ों से खुद को अलग कर लिया. ये तीनों नेता मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत धड़े से संबंधित थे. मोहम्मद यूसुफ नकाश जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी के प्रमुख थे, हकीम अब्दुल रशीद जम्मू कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के अध्यक्ष थे, जबकि बशीर अहमद अंद्राबी कश्मीर फ्रीडम फ्रंट का नेतृत्व करते थे. इन नेताओं ने अलग-अलग लेकिन लगभग एकसमान बयानों में भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा जताई और अलगाववादी एजेंडे से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया.
1993 में हुआ था गठन
ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) का गठन 1993 में कश्मीर में उग्र आतंकवाद के दौर में हुआ था. यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर कश्मीर मुद्दे के समाधान की वकालत करता था. अपने शुरुआती दिनों में एपीएचसी 20 से अधिक राजनीतिक, धार्मिक, व्यापारिक और नागरिक समाज संगठनों का एक समूह था. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसकी प्रासंगिकता और प्रभाव में कमी आई है, और अब इसके कई सहयोगी संगठन और नेता इससे किनारा कर रहे हैं.
एक महीने में कई नेताओं का अलगाववाद से किनारा
पिछले एक महीने में कश्मीर में अलगाववादी नेताओं द्वारा इस तरह का सार्वजनिक त्याग लगातार देखा जा रहा है. 1990 में आतंकवाद शुरू होने के बाद यह पहली बार है जब अलगाववादी नेताओं ने इस तरह के बयान जारी किए हैं. इससे पहले भी कई संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़ा था, जिसे केंद्र सरकार की कश्मीर नीति की सफलता के रूप में देखा जा रहा है.
Location :
Srinagar,Srinagar,Jammu and Kashmir
First Published :
April 08, 2025, 11:27 IST