डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद जब 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ और लगाने की घोषणा की गई तो पूरे भारत में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ नाराजगी दिखने लगी है. कई संगठन अमेरिकी सामानों के बॉयकाट की मांग करने लगे हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि अमेरिकी उत्पाद भारतीयों के जीवन में इस कदर गहरे घुसे हुए हैं. हमारा एक भी दिन उनके बगैर नहीं चल सका.
ये सामान तकनीक उत्पाद से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, पेटेंट, इंटरनेट, साफ्टवेयर जैसी तमाम चीजों से जुड़ा है. लिहाजा हमारा एक दिन भी उनके बगैर चल नहीं सकता. जिस तरह हमारा जीवन डिजिटल सेवाओं के जरिए ऑनलाइन हो गया है, उसमें तो हम बगैर इससे कुछ कर ही नहीं सकते.कामकाज ही रुक जाएगा.
टेक्नॉलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स
भले ही बहुत कुछ चीन और भारत में असेंबल होता है, लेकिन ज्यादातर ब्रांड ना केवल अमेरिकी हैं बल्कि उनकी टेक्नॉलॉजी भी अमेरिकी होती है. जिसमें ये सारी चीजें शामिल हैं
स्मार्टफ़ोन – आईफोन (एप्पल)
लैपटॉप/कंप्यूटर – डेल, एचपी, एप्पल मैकबुक
ऑपरेटिंग सिस्टम – माइक्रोसाफ्ट विंडोज, मैकोस (एप्पल)
सॉफ़्टवेयर – माइक्रोसाफ्ट ऑफिस, एडोब फोटोशॉप, गूगल ड्राइव, जूम
क्लाउड सेवाएं – एडबल्यूएस (अमेजन), गूगल क्लाउड, माइक्रोसाफ्ट एजुरे
भारत में आईफोन की बिक्री तेजी से बढ़ रही है. 2023–2024 में इसमें 40% की वृद्धि हुई. 2024 में भारत एप्पल का पांचवां सबसे बड़ा बाज़ार बन गया.
सोशल मीडिया और इंटरनेट सेवाएं
मैसेजिंग व सोशल मीडिया – वाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर, थ्रेड्स, मैसेंजर
वीडियो प्लेटफ़ॉर्म – यूट्यूब, नेटफिलिक्स, डिज्नी हाटस्टार
सर्च इंजन – गूगल, माइक्रोसाफ्ट,
ईमेल सेवाएं – जीमेल, आउटलुक
ऑनलाइन शॉपिंग – अमेजन, ईबे
खाने-पीने के सामान
सॉफ्ट ड्रिंक्स – कोकाकोला, पेप्सी, स्प्राइट
फास्ट फूड चेन – मैकडोनाल्ड, केएफसी, पिज्जाहट, डोमिनोज, स्टारबक्स
पैक किए हुए स्नैक्स – लेज, डोरिटोज, क्विकर ओट्स
चॉकलेट -बिस्किट – ओरयो, टोबलेरोन, हेर्शे
पर्सनल केयर और घरेलू उत्पाद
डेली यूज़ ब्रांड –कोलगेट, क्रेस्ट
साबुन-शैम्पू – हेड एंड शोल्डर्स, पेंटीन, ओले
क्लीनिंग प्रोडक्ट्स – टाइड, एरियल
हेल्थ सप्लीमेंट्स – सेंट्रम, नेचर मेड
ऑटोमोबाइल और मशीनरी
मोटरसाइकिल पार्ट्स/एक्सेसरीज़ – हार्ले डेविडसन
कृषि व औद्योगिक मशीनें – कैटरपिलर, जॉन डिएरे
मनोरंजन और पॉप कल्चर
फ़िल्म स्टूडियो – डिज्नी, वार्नर ब्रास, यूनिवर्सल
टीवी शो/सीरीज़ – नेटफिलिक्स ओरिजिनल, अमेजन प्राइम वीडियो
वीडियो गेम्स – फोर्टनाइट, कॉल ऑफ ड्यूटी, ग्रैंड थेफ्ट ऑटो
परदे के पीछे का अमेरिकी असर
कई बार सामान भारत में दिखने में भारतीय लगता है लेकिन टेक्नॉलॉजी, पेटेंट या ब्रांडिंग अमेरिकी होती है. यानि अमेरिकी पेटेंट वाली दवाइयां, भारतीय ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी में इस्तेमाल होने वाले अमेरिकी क्लाउड सर्वर.
मतलब ये है कि अगर अमेरिकी सामान या सेवाओं का बहिष्कार होता है, तो असर सिर्फ फास्ट फूड या सॉफ्ट ड्रिंक पर नहीं, बल्कि हमारे फोन, लैपटॉप, सोशल मीडिया, ईमेल, ऑनलाइन पेमेंट और रोज़मर्रा की एफएमसीजी वस्तुओं पर भी पड़ेगा.
भारत अमेरिकी सामानों पर कितना टैरिफ लगाता है
भारत पर अमेरिकी वस्तुओं पर सामान्य तौर पर 17फीसदी टैरिफ लगता है. हालांकि इसे दुनिया के प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ऊंचा माना जाता है. गैर कृषि वस्तुओं पर ये 13.5% है तो कृषि वस्तुओं पर ज्यादा यानि 39 फीसदी. घरेलू और खुदरा सामानों पर टैरिफ दरें अलग अलग हैं
मादक पेय (रम, व्हिस्की आदि) – 100 से 150फीसदी तक
सब्ज़ी तेल (जैसे नारियल, सोया, ज़ैतून आदि) – 37 से 45 फीसदी
मोबाइल फ़ोन पर इस्तेमाल कंपोनेंट्स – इस पर टैरिफ नहीं है. सरकार ने 2025 बजट में इन्हें हटा दिया
दवा, ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिज – 0% यानि कोई टैरिफ नहीं
डायमंड, केमिकल्स, मशीनरी आदि – करीब 10% तक टैरिफ
इलेक्ट्रॉनिक्स श्रेणी में भारत में अमेरिका से आयात पर 7.64 फीसदी टैरिफ लगता है, जबकि वही इलेक्ट्रॉनिक्स जब भारत अमेरिका को निर्यात करता है उस पर केवल 0.41% टैरिफ है.
क्या भारत में बढ़ी है विदेशी सामान इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति
भारत में विदेशी सामान इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. जनवरी 2025 में भारत के कुल आयात में 7.1% की वार्षिक वृद्धि हुई, जो दिसंबर 2024 की तुलना में अधिक तेज़ है.
2024–25 में भारत का माल आयात 720 अरब डॉलर का था, जबकि निर्यात 437 अरब डॉलर का रहा. यानी व्यापार घाटा 282 अरब डॉलर तक बढ़ गया.