अमेरिकी दबाव नाकाम, मोदी सरकार ने दुनिया को दिखाई ताकत, किसानों ने जताया आभार

9 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली के पूसा कैंपस के सुब्रमण्यम हॉल में मंगलवार को एक अलग ही नजारा था. देशभर से आए किसान नेताओं और खेती से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधि एक सुर में मोदी सरकार के फैसले की तारीफ कर रहे थे. वजह साफ थी, अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत ने अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को विदेशी दखल से बचा लिया. कार्यक्रम का माहौल एकजुटता और विश्वास से भरा था. किसान नेताओं ने साफ कहा कि वे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के खिलाफ सरकार के रुख के साथ हैं और भविष्य में भी रहेंगे.

किसानों की एकजुट आवाज

कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, ICAR के DG डॉ. एमएल जात समेत अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में मौजूद थे. किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘फार्मर-फ्रेंडली’ और ‘नेशन-फर्स्ट’ पॉलिसी के लिए धन्यवाद दिया.

भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ यूथ प्रोग्रेसिव फार्मर्स एसोसिएशन, और चौधरी चरण सिंह संगठन के नेताओं ने खुलकर कहा – यह फैसला सिर्फ खेती नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता की रक्षा का प्रतीक है.

‘अमेरिका की कंपनियों को खेतों में घुसने नहीं देंगे’

भारतीय किसान संघ के धर्मेंद्र चौधरी ने कहा, ‘PM मोदी ने साफ संदेश दिया है कि किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों पर कोई समझौता नहीं होगा. यह घोषणा करोड़ों अन्नदाताओं के लिए राहत लेकर आई है. इससे आने वाली पीढ़ियों को भी आत्मनिर्भर कृषि की प्रेरणा मिलेगी.’

छत्तीसगढ़ के किसान नेता वीरेन्द्र लोहान ने कहा, ‘अमेरिकी कंपनियों को हमारे एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर में घुसने न देने का साहसिक फैसला हर खेत और हर गौशाला में गूंज रहा है. आपने साबित किया कि भारतीय किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि इस देश की आत्मा हैं. और इस आत्मा को कोई विदेशी ताकत नहीं खरीद सकती.’

आज पूसा परिसर, नई दिल्ली में अपने अन्नदाता भाइयों-बहनों से संवाद का सौभाग्य मिला। मेरे घर और दिल के दरवाजे अपने किसान साथियों के लिए हमेशा खुले हैं।

हमारे किसान आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं। ‘स्वदेशी’ का संकल्प इन्हीं की समृद्धि और भारत की प्रगति का संकल्प है।

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में टैरिफ दबाव नाकाम

कार्यक्रम में कई नेताओं ने अमेरिकी दबाव का मुद्दा भी उठाया. उनका कहना था कि अगर अमेरिकी मांग मान ली जाती, तो सस्ते दाम पर उनका गेहूं, सोयाबीन, मक्का और चावल भारत में आ जाता. अमेरिका GM सीड्स और हाई-टेक मशीनरी के जरिए कम लागत में ज्यादा उत्पादन करता है, जबकि भारत में छोटे किसानों के पास 1-3 एकड़ ज़मीन है, कई के पास आधा एकड़ भी नहीं.

शिवराज सिंह चौहान ने भी इस खतरे को विस्तार से समझाया, ‘अमेरिका में 10,000-15,000 हेक्टेयर के फार्म होते हैं. हमारे किसान छोटे हैं, लागत ज्यादा है, उपज कम है. अगर उनकी फसलें खुले बाजार में आतीं, तो हमारे यहां फसल के दाम और गिर जाते. किसान कहाँ जाता? इसलिए हमने ठान लिया – किसान हितों पर कोई समझौता नहीं होगा.’

किसानों में गर्व और भरोसा

पंजाब के किसान नेता कृपा सिंह नत्थूवाला ने कहा, ‘हम सब चिंतित थे कि अमेरिकी दबाव में कोई समझौता न हो जाए. लेकिन PM और कृषि मंत्री ने मजबूत फैसला लिया. आज पंजाब से लेकर पूरे देश के किसान गर्व महसूस कर रहे हैं. अमेरिका कुछ भी कहे, भारत का किसान अपनी जमीन पर मालिक रहेगा.’

कुलदीप सिंह बाजिदपुर ने कहा, ‘सरकार किसानों की बेहतरी के लिए कई कदम उठा रही है. उम्मीद है आगे और भी सख्त कदम उठेंगे ताकि हमें अमेरिका जैसे देशों की तरफ देखने की ज़रूरत न पड़े.’

आज नई दिल्ली स्थित पूसा परिसर में माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने नकली बीज बेचने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के विषय पर चर्चा की तथा किसान हितैषी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर विशेष बल… pic.twitter.com/fp83kiEcuh

शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम में यह भी ऐलान किया कि नकली खाद, बीज और केमिकल बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानून लाया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए किसानों की सेवा भगवान की सेवा है. अन्न सिर्फ अनाज नहीं, यह जीवन है. और अन्नदाता ही जीवनदाता है.’

उन्होंने बताया कि सरकार किसान कल्याण की कई योजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है. 11 अगस्त को ही राजस्थान के झुंझुनू में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत डिजिटल पेमेंट के जरिए किसानों को बीमा राशि दी गई.

‘नेशन फर्स्ट’ का दोहराव

चौहान ने PM मोदी के ऐतिहासिक फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को खत्म करना भी ऐसा ही ‘नेशन फर्स्ट’ कदम था. उन्होंने कहा, ‘हमारे प्रधानमंत्री हमेशा मजबूत और साहसी फैसले लेते हैं. देश उनके इन फैसलों के लिए हमेशा आभारी रहेगा.’

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