अरावली पर SC के 5 सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक

2 hours ago

Last Updated:December 29, 2025, 12:41 IST

Aravalli Hills Controversy LIVE: अरावली हिल्‍स रेंज को लेकर लंबे समय से मामला चल रहा है. रेंज के अंतर्गत आने वाले इलाकों में माइनिंग को लेकर कोर्ट की ओर से फैसले भी आए हैं. अब अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर विव...और पढ़ें

अरावली पर SC के 5 सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक

Aravalli Dispute LIVE: अरावली से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 29 दिसंबर 2025 को अहम सुनवाई होगी. (फाइल फोटो/PTI)

Aravalli Hills Controversy LIVE: अरावली हिल्‍स की परिभाषा को लेकर उठे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत इस अहम मुद्दे पर सोमवार 29 दिसंबर 2025 को सुनवाई करेगी. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी. बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं. यह मामला ‘In Re: Definition of Aravalli Hills and Ranges and Ancillary Issues’ शीर्षक से लिस्‍टेड है. इससे पहले 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और श्रेणियों (रेंज) की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी. साथ ही दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्र में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक नई खनन लीज देने पर रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा था कि दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली की रक्षा के लिए स्पष्ट और वैज्ञानिक परिभाषा बेहद जरूरी है. समिति के अनुसार, अरावली जिलों में स्थित कोई भी भू-आकृति (landform), जिसकी ऊंचाई जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक हो, उसे अरावली पहाड़ी माना जाएगा. वहीं, 500 मीटर के दायरे में स्थित दो या उससे अधिक ऐसी पहाड़ियों को मिलाकर अरावली रेंज की श्रेणी में रखा जाएगा. समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि पहाड़ी के साथ उसकी सहायक ढलानें, आसपास की भूमि और संबंधित भू-आकृतियां, चाहे उनका ढाल कितना भी हो, अरावली का हिस्सा मानी जाएंगी. इसी तरह, दो पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र भी निर्धारित मापदंडों के अनुसार अरावली रेंज में शामिल होगा.

लंबे समय से चल रहा है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने इस स्वत: संज्ञान मामले में 29 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया था, जो लंबे समय से चल रहे टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपद मामले से जुड़ा है. फैसले में कहा गया कि कोर और अछूते (इनवायोलेट) क्षेत्रों में खनन पर प्रतिबंध रहेगा. हालांकि, समिति की रिपोर्ट में बताए गए कुछ अपवादों को स्वीकार किया गया है. अदालत ने सतत खनन (सस्टेनेबल माइनिंग) और अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने संबंधी सिफारिशों को भी मंजूरी दी. साथ ही संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे अरावली क्षेत्र में उन इलाकों की पहचान करें, जहां खनन पूरी तरह प्रतिबंधित होगा और किन क्षेत्रों में विशेष और वैज्ञानिक आधार पर ही इसकी अनुमति दी जा सकती है.

December 29, 202512:38 IST

Aravalli Hills Controversy LIVE: अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के 5 सवाल

अरावली पहाड़ विवाद LIVE: अरावली विवाद में सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत की अध्‍यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 5 सवाल फ्रेम किए हैं -:

क्या अरावली की परिभाषा को केवल 500 मीटर के क्षेत्र तक सीमित करना एक ऐसा संरचनात्मक विरोधाभास पैदा करता है, जिससे संरक्षण का दायरा संकुचित हो जाता है? क्या इससे गैर-अरावली क्षेत्रों का दायरा बढ़ गया है, जहां नियंत्रित खनन की अनुमति दी जा सकती है? यदि दो अरावली क्षेत्र 100 मीटर या उससे अधिक के हों और उनके बीच 700 मीटर का अंतर (गैप) हो, तो क्या उस अंतर वाले क्षेत्र में नियंत्रित खनन की अनुमति दी जानी चाहिए? पर्यावरणीय निरंतरता (इकोलॉजिकल कंटिन्यूटी) को सुरक्षित कैसे रखा जाए? यदि नियमों में कोई बड़ा कानूनी या नियामक खालीपन सामने आता है, तो क्या अरावली पर्वतमाला की संरचनात्मक मजबूती बनाए रखने के लिए विस्तृत आकलन की आवश्यकता होगी?

December 29, 202512:33 IST

Aravalli Hills Controversy LIVE: निष्‍पक्ष और स्‍वतंत्र एक्‍सपर्ट की राय पर विचार किया जाना चाहिए- CJI सूर्यकांत

अरावली पहाड़ विवाद LIVE: CJI सूर्यकांत ने अरावली पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘इस कोर्ट की रिपोर्ट या निर्देश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और स्वतंत्र एक्सपर्ट की राय पर विचार किया जाना चाहिए. यह कदम पक्की गाइडेंस देने के लिए ज़रूरी है कि क्या अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा से कोई स्ट्रक्चरल विरोधाभास पैदा होता है? यह तय किया जाना चाहिए कि क्या इससे गैर-अरावली इलाकों का दायरा उल्टा बढ़ गया है, जिससे बिना रोक-टोक के माइनिंग जारी रखने में आसानी हो रही है.’

December 29, 202512:30 IST

Aravalli Hills Controversy LIVE: अरावली विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू

अरावली पहाड़ विवाद LIVE: अरावली विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की पीठ इस संवेदनशील मामले पर सुनवाई कर रही है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष पहली दलील रखी. इसपर सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, ‘हमें लगता है कि जहां तक कमेटी की रिपोर्ट और इस मसले पर कोर्ट द्वारा पहले की गई कुछ टिप्पणियों का सवाल है, कुछ स्पष्टीकरण की ज़रूरत है.’

December 29, 202511:43 IST

Aravalli Dispute LIVE: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

अरावली विवाद LIVE: सुप्रीम कोर्ट में जल्‍द ही अरावली मामले पर सुनवाई शुरू हो सकती है. सॉल‍िसिटर जनरल कोर्ट रूम पहुंच चुके हैं. बता दें कि इस मामले की सुनवाई सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की पीठ करेगी. अरावली हिल्‍स रेंज की परिभाषा तय होनी है.

December 29, 202510:59 IST

Aravalli Dispute LIVE: हितेंद्र गांधी ने सीजेआई सूर्यकांत को लिखी थी चिट्ठी, क्‍या थी मांग?

अरावली विवाद LIVE: अरावली को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का लगातार विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. सीजेआई सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली स्पेशल पीठ आज 29 दिसंबर को सुनवाई करेगी. इससे पहले इसको लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता एवं वकील हितेंद्र गांधी ने सीजेआई सूर्यकांत को लेटर लिखा था और लेटर की एक कॉपी राष्ट्रपति को भेजा था. हितेंद्र गांधी ने अपने पत्र में अरावली क्षेत्र के संरक्षण से जुड़े 100 मीटर के नियम की समीक्षा की मांग की है. उनका कहना है कि केवल ऊंचाई के आधार पर तय किया गया यह नियम अरावली की कई पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण इकाइयों को संरक्षण से बाहर कर सकता है, जो भले ही संख्यात्मक ऊंचाई की सीमा पूरी न करता हो, लेकिन पर्यावरणीय दृष्टि से काफी अहम है.

December 29, 202509:53 IST

Aravalli Dispute LIVE: कांग्रेस नेता ने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखी चिट्ठी

अरावली विवाद LIVE: कांग्रेस नेता और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने रविवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर अरावली पहाड़ियों की हालिया नई परिभाषा पर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने दावा किया कि नई परिभाषा उनके क्लासिफिकेशन को 100 मीटर या उससे ज्यादा ऊंचाई वाले लैंडफॉर्म तक सीमित करती है. जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, ‘यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को मेरा सबसे नया लेटर है, जिसमें अरावली की विनाशकारी नई परिभाषा पर चार सवाल पूछे गए हैं.’

December 29, 202509:18 IST

Aravalli Dispute LIVE: अरावली पर केंद्र ने राज्‍यों को क्‍या दिया है निर्देश?

अरावली विवाद LIVE: अवैध खनन पर रोक लगाने और पर्यावरण सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक बड़े कदम के तहत केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्य सरकारों को अरावली में किसी भी नई माइनिंग लीज देने पर पूरी तरह से रोक लगाने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने कहा कि यह रोक अरावली के पूरे इलाके में समान रूप से लागू होगी, जिसमें दिल्ली से गुजरात तक की पर्वत शृंखला शामिल है. मंत्रालय ने कहा कि इसका मकसद इस पर्वत शृंखला की अखंडता को बनाए रखना और बिना रोक-टोक वाली खनन गतिविधियों को खत्म करना है. संरक्षण फ्रेमवर्क को और मजबूत करते हुए मंत्रालय ने इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन को पूरे अरावली रेंज में ऐसे और इलाकों और जोन की पहचान करने का निर्देश दिया है, जहां खनन पर रोक लगनी चाहिए.

December 29, 202509:17 IST

Aravalli Dispute LIVE: अरावली रेंज की क्‍या है परिभाषा...सुप्रीम कोर्ट करेगा तय

अरावली विवाद LIVE: अरावली पहाड़ियों की परिभाषा से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करेगा, जिसमें पर्यावरण के लिहाज से नाजुक इस पहाड़ी शृंखला की सुरक्षा को लेकर चिंताओं पर विचार किए जाने की उम्मीद है. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पब्लिश कॉजलिस्ट के मुताबिक, सीजेआई सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच सोमवार को ‘अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की परिभाषा और संबंधित मुद्दे’ टाइटल वाली स्वतः संज्ञान रिट याचिका पर सुनवाई करेगी. पर्यावरण के लिहाज से नाजुक अरावली रेंज की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं और इसे बचाने के लिए सरकार के बार-बार के आश्वासन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर खुद ही संज्ञान लिया है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 29, 2025, 09:13 IST

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