Last Updated:December 24, 2025, 19:49 IST
Aravalli Hills News: केंद्र सरकार ने अरावली पर्वत श्रृंखला में नए खनन पट्टों (Mining Leases) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. पर्यावरण मंत्रालय ने अवैध खनन रोकने के लिए राज्यों को सख्त निर्देश दिए हैं. हालांकि, इस फैसले पर सियासत गरमा गई है.
अरावली में नए पट्टों पर रोक (File Photo : Reuters)नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अरावली रेंज में नए खनन पट्टों (Mining Leases) को देने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. यह फैसला अवैध खनन को रोकने और पर्यावरण को बचाने के लिए लिया गया है. लेकिन इस फैसले के बीच राजनीति भी गरमा गई है. कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि सरकार अरावली की ‘परिभाषा’ बदलकर लोगों को गुमराह कर रही है. एक तरफ सरकार माइनिंग रोक रही है, तो दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि सरकार की नीतियां ही स्पष्ट नहीं हैं.
केंद्र का फरमान: अब अरावली में नहीं होगी नई खुदाई, राज्यों को सख्त निर्देश
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने सभी संबंधित राज्यों को निर्देश जारी कर दिए हैं. आदेश के मुताबिक, अरावली के पूरे लैंडस्केप में किसी भी नए खनन पट्टे को मंजूरी नहीं दी जाएगी.
इसका मकसद अरावली को एक ‘निरंतर भूवैज्ञानिक रिज’ (Continuous Geological Ridge) के रूप में बचाना है. सरकार चाहती है कि दिल्ली-एनसीआर से गुजरात तक फैली यह पर्वत श्रृंखला टूटे नहीं. अवैध और अनियंत्रित खनन ने इसे काफी नुकसान पहुंचाया है.
सरकार ने साफ किया है कि यह प्रतिबंध पूरे अरावली क्षेत्र पर समान रूप से लागू होगा. यानी अब पहाड़ों को चीरकर नए खदान बनाने की इजाजत नहीं मिलेगी.
वैज्ञानिक बनाएंगे प्लान, तय होंगे ‘नो-गो जोन’
सिर्फ प्रतिबंध ही नहीं, मंत्रालय ने ‘इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन’ (ICFRE) को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. ICFRE को पूरे अरावली क्षेत्र में ऐसे अतिरिक्त इलाकों की पहचान करनी होगी जहां खनन पूरी तरह वर्जित (Prohibited) होना चाहिए. यह काम इकोलॉजी और जियोलॉजी को ध्यान में रखकर किया जाएगा. ICFRE एक व्यापक और विज्ञान पर आधारित ‘सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान’ (MPSM) तैयार करेगा. इस प्लान में यह देखा जाएगा कि पर्यावरण कितना बोझ झेल सकता है. संवेदनशील इलाकों की पहचान की जाएगी. खास बात यह है कि इस प्लान को जनता के सामने भी रखा जाएगा ताकि लोग अपनी राय दे सकें. इसका मकसद उन जगहों को बढ़ाना है जहां खनन बिल्कुल नहीं हो सकता.पुराने खदानों का क्या होगा? क्या वे चलते रहेंगे?
सरकार ने फिलहाल चल रही खदानों को तुरंत बंद करने का आदेश नहीं दिया है, लेकिन उन पर लगाम कस दी है. आदेश में कहा गया है कि जो खदानें अभी ऑपरेशन में हैं, राज्य सरकारें वहां पर्यावरण के नियमों का सख्ती से पालन कराएंगी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक ही काम होगा. मौजूदा माइनिंग एक्टिविटीज पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो. सरकार का दावा है कि वह अरावली के इकोसिस्टम को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि यह रेगिस्तान को बढ़ने से रोकता है और वाटर रिचार्ज में मदद करता है.
कांग्रेस का हमला: ‘मंत्री जी झूठ बोल रहे हैं, परिभाषा में ही खोट है’
सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है.
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, ‘यह साफ हो गया है कि अरावली मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री सच नहीं बता रहे हैं.’ उनका कहना है कि सरकार अरावली की परिभाषा (Definition) में जो बदलाव कर रही है, उसमें बड़ी खामियां हैं.
कांग्रेस का दावा है कि भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI), सुप्रीम कोर्ट की कमेटी और न्याय मित्र (Amicus Curiae) ने इस नई परिभाषा का विरोध किया था. फिर भी सरकार इसे क्यों थोप रही है?
भूपेंद्र यादव का पलटवार: सिर्फ 0.19% हिस्से में है माइनिंग
इससे पहले सोमवार को भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ‘गलत सूचना’ फैला रही है. यादव ने तर्क दिया था कि अरावली पर्वत श्रृंखला के केवल 0.19 प्रतिशत हिस्से में ही कानूनी रूप से खनन हो रहा है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अरावली की सुरक्षा और उसे फिर से हरा-भरा करने के लिए पूरी तरह गंभीर है. सरकार का कहना है कि वह नियमों को आसान नहीं बल्कि सख्त कर रही है ताकि अवैध खनन को रोका जा सके.
विवाद की असली जड़ यह है कि ‘अरावली’ किसे माना जाए? विपक्ष का आरोप है कि सरकार परिभाषा बदलकर अरावली का दायरा कम कर रही है ताकि बाकी जगहों पर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी जा सके, जबकि सरकार इसे संरक्षण की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है.
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दीपक वर्मा (Deepak Verma) एक पत्रकार हैं जो मुख्य रूप से विज्ञान, राजनीति, भारत के आंतरिक घटनाक्रमों और समसामयिक विषयों से जुडी विस्तृत रिपोर्ट्स लिखते हैं. वह News18 हिंदी के डिजिटल न्यूजरूम में डिप्टी न्यूज़...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 24, 2025, 19:44 IST

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