Last Updated:December 29, 2025, 09:13 IST
Aravalli Dispute LIVE: अरावली हिल्स रेंज को लेकर लंबे समय से मामला चल रहा है. रेंज के अंतर्गत आने वाले इलाकों में माइनिंग को लेकर कोर्ट की ओर से फैसले भी आए हैं. अब अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर विवाद हो गया ...और पढ़ें

Aravalli Dispute LIVE: अरावली से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 29 दिसंबर 2025 को अहम सुनवाई होगी. (फाइल फोटो/PTI)
Aravalli Dispute LIVE: अरावली हिल्स की परिभाषा को लेकर उठे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत इस अहम मुद्दे पर सोमवार 29 दिसंबर 2025 को सुनवाई करेगी. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी. बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं. यह मामला ‘In Re: Definition of Aravalli Hills and Ranges and Ancillary Issues’ शीर्षक से लिस्टेड है. इससे पहले 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और श्रेणियों (रेंज) की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी. साथ ही दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्र में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक नई खनन लीज देने पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा था कि दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली की रक्षा के लिए स्पष्ट और वैज्ञानिक परिभाषा बेहद जरूरी है. समिति के अनुसार, अरावली जिलों में स्थित कोई भी भू-आकृति (landform), जिसकी ऊंचाई जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक हो, उसे अरावली पहाड़ी माना जाएगा. वहीं, 500 मीटर के दायरे में स्थित दो या उससे अधिक ऐसी पहाड़ियों को मिलाकर अरावली रेंज की श्रेणी में रखा जाएगा. समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि पहाड़ी के साथ उसकी सहायक ढलानें, आसपास की भूमि और संबंधित भू-आकृतियां, चाहे उनका ढाल कितना भी हो, अरावली का हिस्सा मानी जाएंगी. इसी तरह, दो पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र भी निर्धारित मापदंडों के अनुसार अरावली रेंज में शामिल होगा.
लंबे समय से चल रहा है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने इस स्वत: संज्ञान मामले में 29 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया था, जो लंबे समय से चल रहे टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपद मामले से जुड़ा है. फैसले में कहा गया कि कोर और अछूते (इनवायोलेट) क्षेत्रों में खनन पर प्रतिबंध रहेगा. हालांकि, समिति की रिपोर्ट में बताए गए कुछ अपवादों को स्वीकार किया गया है. अदालत ने सतत खनन (सस्टेनेबल माइनिंग) और अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने संबंधी सिफारिशों को भी मंजूरी दी. साथ ही संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे अरावली क्षेत्र में उन इलाकों की पहचान करें, जहां खनन पूरी तरह प्रतिबंधित होगा और किन क्षेत्रों में विशेष और वैज्ञानिक आधार पर ही इसकी अनुमति दी जा सकती है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 29, 2025, 09:13 IST

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