Last Updated:December 13, 2025, 03:31 IST
Assam Forest Diversion Project: केंद्र सरकार ने असम के मोरीगांव जिले में 299 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट को टनल आधारित अंडरग्राउंड हथियार भंडारण सुविधा के लिए इन-प्रिंसिपल मंजूरी दी है. बदलते भू-राजनीतिक माहौल और पूर्वी थिएटर की अस्थिरता को देखते हुए इस प्रोजेक्ट को रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है. यह भारत की रैपिड रिस्पॉन्स क्षमता को मजबूत करेगा. आइए पढ़िए इस खबर में इसके बारे में डिटेल में.
केंद्र ने असम में 299 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट को अंडरग्राउंड हथियार भंडारण सुविधा के लिए मंजूरी दी है. (AI फोटो)नई दिल्ली: भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं पर पहले हालात काफी नाजुक हुआ करते थे. लेकिन केंद्र में मोदी सरकार ने कई पहले की हैं. पूर्वोत्तर मौजूदा भू-रणनीतिक माहौल को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. असम के घने जंगलों में एक टनल-आधारित अंडरग्राउंड हथियार भंडारण केंद्र (underground weapon storage facility) बनाने के लिए 299 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट को डाइवर्ट करने की इन-प्रिंसिपल मंजूरी दी गई है. इस प्रोजेक्ट का सीधा संबंध उस बेहद संवेदनशील इलाके से है जिसे सामरिक भाषा में ‘चिकन नेक’ कहा जाता है. यह वह संकीर्ण गलियारा है जो पूर्वोत्तर भारत को पूरे देश से जोड़ता है और जिस पर किसी भी दुश्मन की नजर गंभीर खतरा बन सकती है.
सरकार ने साफ कहा है कि यह प्रोजेक्ट पूर्वी क्षेत्र में बदलते भूराजनीतिक माहौल और उससे जुड़ी अस्थिरता की वजह से अत्यधिक रणनीतिक महत्व रखता है. यानी पूर्वोत्तर में सेना की तेज प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाने के लिए अंडरग्राउंड स्तर पर ऐसा सुरक्षित भंडारण नेटवर्क बेहद जरूरी हो गया है. एयर फोर्स स्टेशन दिगारू द्वारा प्रस्तावित यह स्टोरेज सिस्टम भविष्य में चीन बॉर्डर और पूर्वी सेक्टर में भारत की सैन्य तैयारी को नई मजबूती देगा.
क्या है पूरा प्लान?
सोनैकुची रिजर्व फॉरेस्ट, मोरीगांव जिले के भीतर यह प्रोजेक्ट 299 हेक्टेयर क्षेत्र में बनना है. इसमें 265.513 हेक्टेयर अंडरग्राउंड हथियार भंडारण और 33.688 हेक्टेयर सतही ढांचे जैसे प्रशासनिक इमारतें, गार्ड पोस्ट, फेंसिंग, ऐप्रोच रोड आदि शामिल होंगे. पूरा इलाका किसी भी संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र या हेरिटेज साइट से 10 किमी दूर है और 203 पेड़ काटे जाने का अनुमान है. मंत्रालय की बैठक के मिनट्स में साफ लिखा गया है कि इस प्रोजेक्ट का मकसद पूर्वोत्तर में तैनाती की गति और सुरक्षा दोनों को बढ़ाना है.
राज्य सरकार ने बताया कि 85.75 हेक्टेयर जमीन पर कटे पेड़ों की भरपाई के लिए नए पेड़ लगाए जाएंगे. (फोटो AI)
क्यों जरूरी है ‘पाताल लोक’ जैसा यह सैन्य ढांचा?
समिति को दी गई जानकारी के मुताबिक, अंडरग्राउंड हथियार भंडारण से-
संवेदनशील सामग्री दुश्मन की नजर, सैटेलाइट सर्विलांस और संभावित हमलों से सुरक्षित रहेगी. संकट या युद्ध की स्थिति में हथियार तत्काल तैनात किए जा सकेंगे. पूर्वी थिएटर में अस्थिरता की स्थिति में भारत की तैयारी कई गुना बेहतर हो जाएगी. एयर फोर्स और आर्मी की लॉजिस्टिक शृंखला मजबूत होगी.यानी यह प्रोजेक्ट सिर्फ सैन्य संरचना नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत की दीर्घकालिक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
कैसे होगा निर्माण?
राज्य सरकार ने बताया कि 85.75 हेक्टेयर जमीन पर कटे पेड़ों की भरपाई के लिए नए पेड़ लगाए जाएंगे. इसमें 68 हेक्टेयर क्षेत्र को पौधारोपण के लिए उपयुक्त माना गया है और इसके लिए 10 साल की मेंटेनेंस योजना तैयार की गई है. निरीक्षण में कुछ जगह कच्चे रास्ते और खेती के निशान मिले. लेकिन राज्य ने स्पष्ट किया कि ये सिर्फ फॉरेस्ट पेट्रोल रूट हैं और किसी भी अवैध कब्जे को हटाया जाएगा.
कुल डाइवर्जन: 299 हेक्टेयर, अंडरग्राउंड क्षेत्र: 265.513 हेक्टेयर, सतही ढांचा: 33.688 हेक्टेयर, 203 पेड़ काटे जाने का अनुमान, संरक्षित क्षेत्र 10 किमी के भीतर नहीं, 85.75 हेक्टेयर में कटे पेड़ों की भरपाई के लिए नए पेड़ लगाने का प्लान, मानव-हाथी संघर्ष कम करने के उपाय अनिवार्य, वैज्ञानिक मलबा निपटान और ढलान स्थिरीकरण जरूरी, परियोजना को पूर्वी थिएटर की अस्थिरता के कारण रणनीतिक बताया गया.मंत्रालय ने कौन-कौन सी शर्तें लगाईं?
समिति ने कहा कि-
एक व्यापक वन्यजीव संरक्षण योजना बनाई जाए. मानव–हाथी संघर्ष रोकने के विशेष उपाय हों. प्राकृतिक जलाशयों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. जरूरत होने पर वैकल्पिक जलाशय तैयार किए जाएं. वन्यजीवों की आवाजाही किसी भी हालत में बाधित न हो.इसके साथ ही एक मंज़ूरशुदा मलबा निपटान योजना भी जरूरी की गई है, ताकि खुदाई से निकलने वाला मलबा वैज्ञानिक तरीके से डाला जाए और भू-संरचनात्मक खतरे न बढ़ें.
यह प्रोजेक्ट भारत के लिए क्यों गेम चेंजर है?
पूर्वोत्तर में बढ़ते तनाव, सीमा पर चीन की गतिविधियों और इंडो-पैसिफिक की अनिश्चितता के बीच भारत को अपनी वास्तविक सैन्य प्रतिक्रिया क्षमता मजबूत करनी ही थी. यह नया अंडरग्राउंड स्टोरेज-
सैटेलाइट निगरानी से बचाव देगा. युद्ध स्थिति में त्वरित लॉजिस्टिक सपोर्ट करेगा. हथियारों की सुरक्षा कई स्तरों पर बढ़ाएगा. पूर्वी थिएटर में स्थिरता लाने में बड़ी भूमिका निभाएगा. चिकन नेक के संवेदनशील इलाके को बैकअप सुरक्षा देगा.यही कारण है कि इसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का एक अहम स्तंभ माना जा रहा है.
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सुमित कुमार News18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे पिछले 3 साल से यहां सेंट्रल डेस्क टीम से जुड़े हुए हैं. उनके पास जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री है. News18 हिंदी में काम करने से पहले, उन्ह...और पढ़ें
First Published :
December 13, 2025, 03:31 IST

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