नई दिल्ली (Independence Day 2025). 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से आजादी पाई थी. लेकिन आजादी के साथ ही सबसे बड़ी चुनौती थी – एक मजबूत प्रशासनिक और कानूनी ढांचा तैयार करना. नए भारत को ऐसे कानूनों की जरूरत थी जो नागरिकों के अधिकार तय करें, सरकार की जिम्मेदारियां परिभाषित करें और देश में व्यवस्था बनाए रखें. यही कारण है कि आजादी के तुरंत बाद और संविधान लागू होने से पहले कई अहम कानून बनाए गए, जिन पर आज भी देश की व्यवस्था आधारित है.
1947 से 1955 के बीच बने ये कानून सामाजिक न्याय, श्रमिक अधिकार, प्रशासन, भाषा, नागरिकता और व्यक्तिगत कानून जैसे विषय कवर करते थे. इनमें से कुछ कानून ब्रिटिश काल के रिवाइज्ड रूप थे तो कुछ पूरी तरह नए थे. इन कानूनों ने भारत को लोकतांत्रिक ढांचे में ढालने में अहम भूमिका निभाई. 1947 में आजादी हासिल करने के बाद भारत को न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता मिली, बल्कि एक नए राष्ट्र के रूप में अपने सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने की चुनौती भी मिली.
देश की आजादी के बाद बने 10 कानून
संविधान के लागू होने (26 जनवरी 1950) से पहले और उसके बाद संसद ने ऐसे कई कानून बनाए, जिनका उद्देश्य नई गठित हुई लोकतंत्र में व्यवस्था, विकास और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था. ये कानून शिक्षा, श्रम, भूमि सुधार, नागरिक अधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्र कवर करते थे. जानिए, आजादी के तुरंत बाद कौन से 10 कानून बनाए गए थे.
1. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947
ब्रिटिश संसद का यह कानून भारत और पाकिस्तान को दो अलग-अलग डोमिनियन के रूप में स्थापित करता है. इसके तहत गवर्नर जनरल और प्रांतीय सरकारों की शक्तियों को परिभाषित किया गया.
2. औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947
श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच विवाद सुलझाने के लिए यह कानून बनाया गया. इसमें मध्यस्थता और लेबर कोर्ट का प्रावधान है.
3. फैक्ट्री अधिनियम, 1948
फैक्ट्री में काम की शर्तें, काम के घंटे, मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े नियम तय किए गए.
4. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
कामगारों को निर्धारित न्यूनतम वेतन दिलाने के लिए इसे लागू किया गया. इससे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी सुरक्षा मिली.
5. भाषा अधिनियम, 1948
सरकारी कामकाज के लिए हिंदी और अंग्रेजी को मान्यता देने वाला यह कानून अंतरिम व्यवस्था के रूप में लागू किया गया था.
6. नागरिकता संबंधी प्रारंभिक प्रावधान
आजादी के बाद नागरिकता तय करने के अस्थायी नियम बने, जिन्हें बाद में भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में स्थायी रूप दिया गया.
7. सार्वजनिक ऋण अधिनियम (संशोधित)
स्वतंत्र भारत में सरकारी उधारी, बॉन्ड और निवेश से जुड़े प्रावधान तय किए गए.
8. अवसर समानता के प्रारंभिक कानून
रोजगार में भेदभाव खत्म करने के लिए शुरुआती कानूनी ढांचा तैयार किया गया, जो बाद में संविधान में अधिकार के रूप में जोड़ा गया.
9. राष्ट्रपति और गवर्नर वेतन अधिनियम, 1951
उच्च संवैधानिक पदों के वेतन, भत्ते और सुविधाएं तय करने वाला कानून.
10. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
हिंदू विवाह, तलाक, पुनर्विवाह और दहेज जैसे मुद्दों के लिए आधुनिक कानूनी व्यवस्था.