'आप एक क्रांतिकारी को मार सकते हैं, क्रांति को नहीं...', लेबनान को क्यों याद आए महात्मा गांधी

1 month ago

Israel- Hezbollah War: इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जंग में अब तक 22 लाख लोग लेबनान में अपने घरों को छोड़ चुके हैं. इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू तो खुले तौर पर कह चुके हैं कि लेबनान को गाजा की तरह बनने से बचाने का सिर्फ एक मौका है कि लेबनानी हिजबुल्लाह को अपने देश से बाहर करें. इसी बीच दो घटनाएं ऐसी हुई है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है इजरायल ने हिजबुल्ला की कमर खूब अच्छे से तोड़ी है.

पहली घटना:- लेबनान का बिना शर्त सीजफायर की मांग
लेबनान में इजराइली हमले के बीच हिजबुल्लाह ने सीजफायर की मांग की है. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक ये पहली बार है जब हिजबुल्लाह ने सार्वजनिक तौर पर सीजफायर का समर्थन किया है और गाजा में जंग को रोकने की शर्त नहीं रखी है. हिजबुल्लाह ने पिछले साल 8 अक्टूबर को हमास का साथ देते हुए इजराइल पर हवाई हमला शुरू किया था. इस घटना के एक साल पूरे होने पर हिजबुल्लाह के डिप्टी चीफ नईम कासिम ने मंगलवार को भाषण दिया.

कासिम ने कहा कि हिजबुल्लाह सीजफायर के लिए लेबनान संसद अध्यक्ष नबीह बेरी की कोशिशों का समर्थन करता है. एक बार सीजफायर हो जाए तो फिर बाकी चीजों पर चर्चा की जाएगी. हिजबुल्लाह पहले कहता रहा है कि वह इजराइल पर हमले तभी रोकेगा जब गाजा में सीजफायर होगा. लेकिन अब वह बिना शर्त जंग को रोकने के लिए राजी है. 

दूसरी घटना:- लेबनान को क्यों याद आए महात्मा गांधी?
हिजबुल्ला के हसन नसरल्लाह के उत्तराधिकारियों को मार गिराए जाने के इजरायल के एलान के बाद भारत में लेबनान के राजदूत रबी नर्श ने बहुत बड़ी बात कही है. जंग के बीच उन्होंने महात्मा गांधी के कथनों का जिक्र करते हुए कहा है कि हिजबुल्ला एक वैध राजनीतिक दल है. इसे लोगों का समर्थन है. लोग इसे बहुत ही पसंद करते हैं. इसे खत्म नहीं किया जा सकता.

आप एक क्रांतिकारी को मार सकते हैं, लेकिन आप क्रांति को नहीं मार सकते
राजदूत ने एक इंटरव्यू में बताया कि ‘‘मुझे महात्मा गांधी के कथन याद आ रहे हैं. उन्होंने कहा था : आप एक क्रांतिकारी को मार सकते हैं, लेकिन आप क्रांति को नहीं मार सकते. आप हिजबुल्ला के नेताओं को खत्म कर सकते हैं, लेकिन आप हिजबुल्ला को खत्म नहीं कर सकते, क्योंकि ये छिपकर नहीं रहते हैं. यह कोई काल्पनिक संरचना नहीं है जो ‘पैराशूट’ से लेबनान में आई है.' नर्श ने कहा कि हिजबुल्ला ‘‘दुष्ट राष्ट्र’’ इजराइल के खिलाफ एक आंदोलन का प्रतीक है और इस आंदोलन को उसके नेताओं को खत्म करके कुचला नहीं जा सकता.

जानें कब बना हिजबुल्ला?
हिजबुल्ला औपचारिक रूप से ‘‘लेबनान पर इजराइली आक्रमण’’ का विरोध करने के लिए 1985 में अस्तित्व में आया. राजदूत ने कहा, ‘‘हिजबुल्ला लेबनान में स्थापित राजनीतिक व्यवस्था के अंतर्गत काम करता है. यह एक राजनीतिक दल है, जिसका प्रतिनिधित्व मंत्रिमंडल और संसद दोनों में है.’’ उन्होंने बताया कि हिजबुल्ला की एक सशस्त्र शाखा भी है.

लेबनान में इजरायल ने मचाया कोहराम
लेबनान के राजदूत ने कहा कि इजराइल द्वारा छेड़े गए युद्ध में उन्नत हथियार और प्रतिबंधित युद्ध सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है और इस युद्ध के कारण 2,100 से अधिक लोग मारे गए हैं, 11,000 घायल हुए हैं और 22 लाख लोग विस्थापित हुए हैं, जिससे लेबनान में गंभीर मानवीय स्थिति उत्पन्न हो गई है. राजदूत ने कहा, ‘‘स्थिति और बिगड़ती जा रही है और यह एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध की ओर बढ़ रही है. दुर्भाग्य से, हम संघर्ष के इस संकटपूर्ण चरण का सामना कर रहे हैं, क्योंकि इजराइल को उसकी आपराधिक नीतियों, युद्ध अपराधों और अपने पड़ोसियों के खिलाफ विस्तारवादी कार्रवाइयों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया गया है.’’

पूरी दुनिया की तरफ देख रहा लेबनान
नर्श ने कहा कि लेबनान पिछले वर्ष अक्टूबर से ही भारत सहित विश्व के देशों से आग्रह कर रहा है कि संघर्ष को क्षेत्रीय युद्ध में बदलने से रोका जाए. इजराइल के हमलों में वृद्धि के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि फ्रांस इस महीने लेबनान के लिए मानवीय सहायता जुटाने और उसके दक्षिणी क्षेत्रों में सुरक्षा में सुधार लाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करेगा.

भारत से मांग रहा लेबनान मदद, नेतन्याहू को रोक लो
राजदूत ने कहा, ‘‘हम वर्तमान में भारत से लेबनान के लिए चिकित्सा आपूर्ति की व्यवस्था कर रहे हैं, जिसमें दवाइयां और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं.’’ उन्होंने भारत से अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन करने के लिए इजराइल पर अधिक दबाव डालने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘‘नेतन्याहू नियंत्रण से बाहर हैं. वह हत्या और विनाश की होड़ में लगे हुए हैं, जो बहुत खतरनाक है. किसी को नेतन्याहू को रोकना होगा.’’ (इनपुट भाषा से भी)

Read Full Article at Source