देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के लिए आने वाले दिन बेहद मुश्किल भरे हो सकते हैं. बीते कुछ दिनों में हजारों फ्लाइट्स के रद्द होने से यात्रियों को हुई भारी परेशानी के बाद अब सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यानी डीजीसीए पूरी तरह एक्शन मोड में आ गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि, इंडिगो की उड़ानों के शेड्यूल में पहले चरण में 5 प्रतिशत की कटौती तय मानी जा रही है, जिसका मतलब है कि इंडिगो से रोजाना करीब 110 उड़ानें छिन सकती हैं. यही नहीं, हालात नहीं सुधरे तो आने वाले दिनों में एक और 5 प्रतिशत की अतिरिक्त कटौती भी की जा सकती है.
सरकार के इस रुख से साफ है कि अब सिर्फ चेतावनियों से काम नहीं चलेगा. यात्रियों की नाराजगी, सोशल मीडिया पर फूट रहा गुस्सा और हवाई अड्डों पर मचा अव्यवस्था का माहौल देखते हुए अब इंडिगो के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है. जिन उड़ानों की कटौती होगी, उन्हें उन दूसरी एयरलाइनों को दिया जाएगा जिनके पास अतिरिक्त संसाधन और क्रू की उपलब्धता है. इसका सीधा मतलब यह है कि इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी पर भी सीधा वार होने वाला है.
इंडिगो ने DGCA को क्या दिया जवाब?
दरअसल, दिसंबर के पहले सप्ताह में इंडिगो की हालत उस वक्त सबसे ज्यादा बिगड़ गई, जब 5 दिसंबर को एक ही दिन में 1,000 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हुईं, जो कि उसके रोजाना के कुल ऑपरेशन का लगभग आधा हिस्सा था. अचानक हुए इन कैंसिलेशन से लाखों यात्रियों की योजनाएं चौपट हो गईं. कई लोग घंटों एयरपोर्ट पर फंसे रहे, तो कई यात्रियों को न टिकट का पैसा वक्त पर मिला और न ही वैकल्पिक उड़ानों की सही व्यवस्था हो सकी.
इस पूरे मामले पर डीजीसीए ने इंडिगो को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसके जवाब में इंडिगो ने खुद को बेहद मजबूर और हालात का शिकार बताते हुए जवाब दिया. एयरलाइन ने डीजीसीए को भेजे अपने जवाब में इस पूरे संकट के लिए किसी एक कारण को जिम्मेदार ठहराने से इनकार किया और कहा कि यह ‘कई कारणों का दुर्भाग्यपूर्ण और अप्रत्याशित संगम’ था.
फ्लाइट कैंसिलेशन के क्या-क्या बताए कारण?
इंडिगो ने अपने जवाब में जिन पांच कारणों का जिक्र किया, उनमें मामूली तकनीकी खराबियां, विंटर शेड्यूल लागू होने से जुड़े बदलाव, खराब मौसम, हवाई यातायात में बढ़ी भीड़ और 1 नवंबर 2025 से लागू हुए नए क्रू ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियम यानी एफडीटीएल फेज-2 को जिम्मेदार ठहराया गया है. एयरलाइन का कहना है कि नए नियमों के तहत क्रू की रोस्टरिंग में अचानक बड़े बदलाव करने पड़े, जिससे पूरे नेटवर्क में ऑन-टाइम परफॉर्मेंस बुरी तरह प्रभावित हुई और इसके चलते क्रू की उपलब्धता और भी बिगड़ गई.
इंडिगो ने अपने जवाब में यह भी कहा कि उसके ऑपरेशन का पैमाना इतना बड़ा है कि दिए गए कम समय में किसी एक सटीक कारण की पहचान करना ‘यथार्थवादी रूप से संभव नहीं’ है. उसने डीजीसीए के मैनुअल का हवाला देते हुए 15 दिनों का अतिरिक्त समय भी मांगा है ताकि एक ‘व्यापक रूट-कॉज एनालिसिस’ किया जा सके. इंडिगो के इस जवाब पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह जरूर कहा है कि डीजीसीए द्वारा जवाब की समीक्षा की जा रही है और समय आने पर सख्त प्रवर्तन कार्रवाई की जाएगी.
हालांकि, मौजूदा हालात को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि इंडिगो को ज्यादा राहत मिलने की संभावना बेहद कम है. यात्रियों में जबरदस्त आक्रोश है और विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है. ऐसे में सरकार भी किसी तरह की नरमी दिखाने के मूड में नहीं है.
अब किस एक्शन की तैयारी में DGCA?
सूत्रों के मुताबिक, अब डीजीसीए इंडिगो की उड़ानों को उसके क्रू की वास्तविक उपलब्धता के अनुपात में सीमित करने की तैयारी कर चुका है. इसका सीधा असर आने वाले दिनों में टिकट बुकिंग, नेटवर्क प्लानिंग और राजस्व पर पड़ेगा. इसके साथ-साथ इंडिगो पर भारी आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इतना ही नहीं, डीजीसीए द्वारा अनुमोदित शीर्ष अधिकारियों, जिनमें खुद सीईओ पीटर एल्बर्स और सीओओ इसिद्रे पोरकेरास शामिल हैं, पर भी व्यक्तिगत कार्रवाई की तलवार लटक रही है. सीओओ इसिद्रे पोरकेरास ही एयरलाइन के ‘अकाउंटेबल मैनेजर’ भी हैं, ऐसे में उनकी जिम्मेदारी और भी ज्यादा बनती है.
सरकार के भीतर यह भी चर्चा चल रही है कि अगर लापरवाही और प्रबंधन की गंभीर चूक साबित होती है, तो इंडिगो के भीतर बड़े स्तर पर इस्तीफे या बर्खास्तगी भी हो सकती है. यानी जिस ‘खूब पछतावे’ की बात हेडलाइन में कही जा रही है, वह अब सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि हकीकत बनती दिख रही है.
क्यों कैंसिल करनी पड़ी इतने सारी फ्लाइट्स?
इंडिगो ने 5 दिसंबर के बड़े पैमाने पर हुए कैंसिलेशन को ‘कड़ा लेकिन जरूरी कदम’ करार दिया है. एयरलाइन का दावा है कि उसने यह फैसला पूरे नेटवर्क को ‘रीबूट’ करने के लिए लिया ताकि फंसे हुए यात्रियों को निकाला जा सके, हवाई अड्डों पर भीड़ कम की जा सके और क्रू व विमान को दोबारा सही जगह पर तैनात किया जा सके. लेकिन सवाल यह है कि क्या यात्रियों को हुई असहनीय परेशानी की भरपाई सिर्फ माफीनामे से हो सकती है?
इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए डीजीसीए ने चार सदस्यीय विशेष समिति भी बनाई है, जिसकी अध्यक्षता संयुक्त महानिदेशक संजय ब्रह्माने कर रहे हैं. यह समिति इंडिगो के मानव संसाधन नियोजन, क्रू रोस्टरिंग और नए एफडीटीएल नियमों को लागू करने की तैयारियों की गहन जांच करेगी. यह भी संभावना है कि समिति इंडिगो के सीईओ और सीओओ को व्यक्तिगत रूप से तलब कर सकती है और उनसे सीधे जवाब मांगा जा सकता है.
यात्रियों के भरोसे के लिहाज से यह मामला बेहद गंभीर माना जा रहा है. एक ऐसी एयरलाइन, जो समय की पाबंदी और बड़े नेटवर्क के लिए जानी जाती थी, उसी एयरलाइन की व्यवस्था इस तरह चरमरा जाना पूरे देश के नागरिक उड्डयन तंत्र पर भी सवाल खड़े करता है. सरकार को अब यह दिखाना होगा कि यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और भरोसे के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
कुल मिलाकर साफ है कि इंडिगो के लिए यह संकट केवल कुछ दिनों की अव्यवस्था तक सीमित नहीं रहने वाला. उड़ानों की कटौती, स्लॉट की जब्ती, भारी जुर्माना, शीर्ष अधिकारियों पर कार्रवाई और कंपनी के भीतर बड़े प्रशासनिक फैसले… यह सभी संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में इंडिगो को अपनी इस ‘गलती’ का बहुत बड़ा मूल्य चुकाना पड़ सकता है.

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