Abdul Qadeer Khan: अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व अफसर जॉन किरियाकोउ ने कहा कि भारत के खिलाफ कोई भी परंपरागत युद्ध पाकिस्तान हार जाएगा. जॉन 15 साल तक सीआईए के लिए काम कर चुके हैं और वह पाकिस्तान में सीआईए काउंटरटेररिज्म ऑपरेशन के चीफ थे.
एएनआई को दिए इंटरव्यू में जॉन ने यह भी बताया कि अमेरिका अगर इजरायल वाला तरीका अपनाता तो पाकिस्तान के एटमी कार्यक्रम के जनक अब्दुल कदीर खान को मारा जा सकता था, जो न्यूक्लियर तस्करी के लिए बदनाम था. लेकिन उसके पास सऊदी सरकार का समर्थन था, जो चाहती थी कि उसे अकेला छोड़ दिया जाए.
'अमेरिका के हाथ में थे पाक के न्यूक्लियर हथियार'
आपको बता दें कि भारत कह चुका है कि वह पाकिस्तान की न्यूक्लियर धमकी नहीं रहेगा और किसी भी आतंकी हमले का सख्ती से जवाब दिया जाएगा. गौरतलब है कि जॉन साल 2002 में पाकिस्तान में पोस्टेड थे और उनको गैर-आधिकारिक रूप से बताया गया था कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार अमेरिका कंट्रोल करता है.
उन्होंने कहा, 'मुशर्रफ ने कंट्रोल अमेरिका को सौंप दिया था...लेकिन बीच के वर्षों में पाकिस्तानियों ने, और याद कीजिए, मैं 23 साल पहले वहां था...पिछले 23 सालों में, पाकिस्तानियों ने कहा है कि यह बिल्कुल सच नहीं है. अमेरिका का पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि पाकिस्तानी जनरल ही इसे कंट्रोल करते हैं. '
जॉन से जब उनके इस बयान के बारे में पूछा गया कि उन्हें अनौपचारिक रूप से बताया गया था कि उनके कार्यकाल के दौरान पेंटागन पाकिस्तानी परमाणु हथियारखाने को कंट्रोल करता था और क्या यह जानकारी भारत के साथ साझा की गई थी, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस पर संदेह है.
'मुझे नहीं लगता भारत को बताया होगा'
उन्होंने कहा, 'मुझे शक है कि अमेरिकियों ने भारत को कभी यह बताया होगा कि पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर भी अमेरिका का कंट्रोल है, क्योंकि पाकिस्तानियों ने सार्वजनिक रूप से जोर-शोर से कहा है कि उनके परमाणु हथियार उनके कंट्रोल में हैं, लेकिन मैं आपको पक्के तौर पर बता सकता हूं कि विदेश विभाग दोनों पक्षों से कह रहा था - अगर लड़ना है, तो लड़ो. इसे छोटा रखो और एटमी फ्री रखो. अगर परमाणु हथियार आ गए, तो पूरी दुनिया बदल जाएगी. इसलिए मुझे लगता है कि दोनों पक्षों ने संयम बरता.
जॉन ने कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच असली जंग से कुछ भी, सचमुच कुछ भी अच्छा नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तानी हार जाएंगे. यह इतनी सीधी बात है. वे हार जाएंगे और मैं परमाणु हथियारों की बात नहीं कर रहा हूं. मैं सिर्फ एक पारंपरिक जंग की बात कर रहा हूं, इसलिए भारतीयों को लगातार उकसाने का कोई फायदा नहीं है.'
'...तो हम AQ खान को मार सकते थे'
जॉन ने कहा कि जब वह खास तौर से काउंटरटेररिज्म पर काम कर रहे थे, तब उनके एक सहयोगी के पास AQ खान का मुद्दा था. उन्होंने कहा, 'अगर हमने इजराइली तरीका अपनाया होता, तो हमने उसे मार दिया होता. उसे ढूंढना आसान था. हमें पता था वह कहां रहता है. यह भी पता था कि वह दिन कैसे बिताता है. लेकिन उसको सऊदी सरकार का समर्थन था और सऊदी अरब की सरकार हमारे पास आई और कहा कि उसको अकेले छोड़ दो. हमें अब्दुल कदीर खान पसंद है. हम उसके साथ काम कर रहे हैं. हम पाकिस्तान के करीब है, उसे अकेला छोड़ दो'. यह गलती अमेरिकी सरकार ने की, जो AQ खान को अकेला छोड़ दिया.
सीआईए में जॉन ने अपना आधा करियर एनालिसिस और बाकी का काउंटरटेररिज्म ऑपरेशन्स में बिताया है.
साल 2007 में उन्होंने अमेरिका में नेशनल टेलिविजन पर सीआईए के टॉर्चर प्रोग्राम की कलई खोल दी थी. उन्होंने कहा था कि सीआई कैदियों को बुरी तरह टॉर्चर कर रही है. हालांकि जॉन पर सारे मुकदमे हटा दिए गए लेकिन उनको 23 महीने जेल में बिताने पड़े. उन्होंने कहा कि उन्हें इसका कोई खेद नहीं है क्योंकि उन्होंने जो किया सही किया.

12 hours ago
