इटली की लड़की को हुआ हिंदी से प्यार..अब भारत में एंट्री हो गई बैन!

5 hours ago

Last Updated:October 23, 2025, 16:22 IST

Scholar story: दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एक विदेशी साहित्‍यकार को रोक दिया गया, जिसके बाद वह सुर्खियों में हैं.आइए जानते हैं कि ये महिला कौन हैं और क्‍यों चर्चा में हैं?

इटली की लड़की को हुआ हिंदी से प्यार..अब भारत में एंट्री हो गई बैन!who is Francesca Orsini, Francesca orsini deported, Francesca Orsini Age: कौन हैं फ्रांसेस्का ऑर्सिनी?

Who is Francesca Orsini: कहते हैं ना, प्यार सीमाओं को लांघ जाता है, लेकिन कभी-कभी सरकारी नियम भी बीच में आ जाते हैं. लंदन की मशहूर हिंदी विद्वान फ्रांसेस्का ऑर्सिनी के साथ यही हुआ. दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उन्हें रोक लिया गया और वहीं से उन्‍हें वापस भेज दिया गया.चीन के एक अकादमिक कॉन्फ्रेंस से लौटते हुए हॉन्गकॉन्ग से आईं फ्रांसेस्का को अधिकारियों ने तुरंत डिपोर्ट कर दिया.सोशल मीडिया पर ये खबर वायरल हो गई.साहित्‍यकार बिरादरी ने इसको लेकर सरकार की आलोचना की.जिसके बाद यह मामला काफी सुर्खियों में है.ऐसे में आइए जानते हैं फ्रांसेस्का कौन हैं? क्यों उनका दिल इलाहाबाद से जुड़ा? एक इतालवी लड़की को हिंदी से कैसे प्यार हो गया?

20 साल की उम्र में आईं थी भारत

फ्रांसेस्का ऑर्सिनी का जन्म इटली के वेनिस में हुआ लेकिन 41 साल पहले जब वे 20 साल की थीं, पहली बार भारत आईं. वाराणसी के नागरी प्रचारिणी सभा में एक महीना रहीं और वहां उनकी मुलाकात प्रेमचंद की पोती से हुई. इस तरह की मुलाकातों ने फ्रांसेस्का को हिंदी साहित्य का दीवाना बना दिया. घर में मां की वजह से साहित्य का माहौल था और किताबों से उनका पुराना नाता था.उन्‍होंने वेनिस यूनिवर्सिटी से हिंदी में ग्रेजुएशन कियाफिर भारत में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिंदी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में आगे की पढ़ाई. लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) से डॉक्टरेट यानी पीएचडी पूरी की. आज वे SOAS में हिंदी और दक्षिण एशियाई साहित्य की प्रोफेसर एमेरिटा हैं. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भी पढ़ा चुकी हैं. 2017 में उन्‍हें ब्रिटिश एकेडमी का फेलो चुना गया जो मानविकी में टॉप सम्मान है।

इलाहाबाद का प्यार: ‘मेरा दूसरा घर’

फ्रांसेस्का का भारत से प्यार सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मेरा दिल इलाहाबादी है. इलाहाबाद जिसे अब प्रयागराज कहा जाता है वह मेरा दूसरा घर है.वहां की गलियां, साहित्यिक माहौल और हिंदी की मिठास ने उन्हें बांध लिया. उनकी किताबें हिंदी साहित्य को दुनिया के सामने लाती हैं.उनकी प्रमुख किताबों में ईस्ट ऑफ दिल्ली, प्रिंट एंड प्लेजर,’द हिंदी पब्लिक स्फीयर आदि शामिल हैं जो हिंदी को ग्लोबल बनाती हैं और फ्रांसेस्का को ‘हिंदी की ब्रिज’कहा जाता है. वे इलाहाबाद को अपना दूसरा घर मानती हैं, क्योंकि वहां की साहित्यिक दुनिया ने उन्हें अपनाया.

क्या है पूरा विवाद? 

20 अक्टूबर की रात फ्रांसेस्का दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचीं, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया.उनका कहना है कि उनके पास 5 साल का ई-वीजा वैध था, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वीजा कंडीशंस के उल्लंघन के कारण वह मार्च 2025 से ब्लैकलिस्ट हैं. 2024 में वे टूरिस्ट वीजा पर आईं, लेकिन यूनिवर्सिटी में लेक्चर दिया और रिसर्च की जो टूरिस्ट वीजा के नियमों के खिलाफ था.हालांकि इस मामले में अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है बल्कि उन्‍हें डिपोर्ट कर हॉन्गकॉन्ग भेज दिया गया है.इस संबंध में फ्रांसेस्का का कहना है कि वह दोस्तों से मिलने आई थी, कोई अकादमिक इवेंट नहीं था.ये घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

उठे सवाल: ‘हिंदी प्रेमी को ही क्यों रोका?’

इसको लेकर विपक्ष ने ताबड़तोड़ सवाल किए.TMC सांसद सागरिका घोष ने ट्वीट किया कि यह घटना चौंकाने वाली और दुखद है. फ्रांसेस्का हिंदी की विश्व-प्रसिद्ध विद्वान हैं.वैध वीजा पर निर्वासित कर दिया गया.जाने माने साहित्‍यकार रामचंद्र गुहा ने कहा कि फ्रांसेस्का भारतीय साहित्य की महान विद्वान हैं. उन्हें बिना वजह डिपोर्ट करना सरकार की असुरक्षा, पैरानॉइया और मूर्खता दिखाता है.मुकुल केसवान ने लिखा कि हिंदी को बढ़ावा देने वाली सरकार ने ही हिंदी विद्वान को बैन किया-ये तो मजाक है!. ये घटना अकादमिक फ्रीडम पर सवाल खड़े कर रही है. पहले भी कश्मीरी ब्रिटिश अकादमिक निताशा कौल को 2024 में एंट्री नही मिली थी.

Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें

न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...

और पढ़ें

First Published :

October 23, 2025, 16:22 IST

homecareer

इटली की लड़की को हुआ हिंदी से प्यार..अब भारत में एंट्री हो गई बैन!

Read Full Article at Source