Last Updated:September 30, 2025, 07:18 IST

देश के अधिकतर इलाकों में इस साल हाड़ कपाऊ ठंडी पड़ने की संभावना है. खासकर उत्तर भारत के दिल्ली, एनसीआर और हिमालयी क्षेत्रों में. मौसम विशेषज्ञों के अनुसार प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति विकसित हो रही है. इसके अक्टूबर से दिसंबर तक हावी रहने की संभावना है. यह घटना वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित कर सकती है, जिससे सामान्य से कम तापमान और शीत लहर का खतरा बढ़ जाएगा. भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक एम. मोहपात्रा के मुताबिक अगले कुछ महीनों में ला नीना की स्थिति स्थापित होने की उम्मीद है. हम जल्द ही मानसून के बाद के मौसम के लिए तापमान पूर्वानुमान जारी करेंगे.
क्या ला नीना
ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु घटना है, जिसमें भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी भागों में समुद्री सतह के तापमान में बड़े पैमाने पर शीतलन होता है. इससे उष्णकटिबंधीय वायुमंडलीय परिसंचरण में बदलाव आता है. इससे हवाओं, दबाव और वर्षा पैटर्न प्रभावित होते हैं. यह अल नीना (समुद्रों के गर्म होने) के विपरीत प्रभाव पैदा करती है, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में. अमेरिकी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने पिछले सप्ताह अनुमान जारी किया था कि अक्टूबर-दिसंबर में ला नीना के विकसित होने की 71 प्रतिशत संभावना है. इसके बाद, दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 तक यह 54 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. पिछले साल दिसंबर में एक कमजोर ला नीना उभरी थी, लेकिन वह टिक नहीं पाई. दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक पूर्व-मध्य और मध्य प्रशांत में समुद्री सतह के तापमान औसत से नीचे रहे.
ठंडी तो पड़ेगी
उत्तर भारत के लिए ला नीना का मतलब सामान्य से ठंडी सर्दी हो सकता है. हिंदुस्तान टाइम्स ने स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट (क्लाइमेट एंड मेटियारोलॉजी) महेश पलावत के हवाले से रिपोर्ट छापी है. इसमें कहा गया है कि हम यह नहीं कह सकते कि सर्दी गंभीर होगी, लेकिन यह थोड़ी ठंडी हो सकती है. ला नीना और गंभीर सर्दियों के बीच कोई बड़ा संबंध नहीं है, लेकिन सर्दी गर्म नहीं होगी और तापमान ज्यादातर सामान्य से नीचे रहेंगे.
हाल के वर्षों में ला नीना ने उत्तर भारत में कोल्ड वेव्स को तीव्र किया है, जिससे दिल्ली-एनसीआर में न्यूनतम तापमान औसत से 2-3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. हालांकि, पूर्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने चेतावनी दी कि ला नीना का प्रभाव हमेशा अपेक्षित नहीं होता. उन्होंने कहा कि ला नीना के साथ ठंडी सर्दी की उम्मीद की जाती है, लेकिन वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण यह शीतलन प्रभावित हो रहा है. आजकल ग्लोबल वार्मिंग अल नीना और ला नीना के प्रभाव को ऑफसेट कर रही है.
ला नीना सामान्यतः ग्रह को ठंडा करती है, लेकिन पश्चिमी विक्षोभों की आवृत्ति बढ़ जाती है और वायुमंडलीय परिसंचरण बदल जाता है. विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने भी चेतावनी दी है कि मानव-जनित जलवायु संकट ला नीना जैसी प्राकृतिक घटनाओं के संदर्भ में वैश्विक तापमान बढ़ा रहा है, जिससे चरम मौसम की स्थिति बिगड़ रही है. वर्तमान में, उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में रात्रि तापमान सामान्य से 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक है, जो चार अक्टूबर तक बना रह सकता है. चार अक्टूबर से पश्चिमी विक्षोभ हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे शुरुआती वर्षा और बर्फबारी हो सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार ला नीना 2025-26 की सर्दी को दशकों की सबसे ठंडी बना सकती है, खासकर दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद जैसे क्षेत्रों में. यह कृषि पर असर डालेगी, जहां रबी फसलें ठंड से प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन मानसून को मजबूत बनाकर लाभ भी पहुंचा सकती है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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First Published :
September 30, 2025, 07:18 IST