उत्तराखंड में 2019 का रिजल्ट दोहराना मुश्किल, इन 2 सीट पर कांटे की टक्कर

1 week ago

देहरादून: उत्तराखंड की सभी पांच सीटों पर पिछले दो लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाली भाजपा के लिए इस बार राह पहले जितनी आसान नहीं होगी. चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को राज्य की पांच में से दो सीट पौड़ी गढ़वाल और हरिद्वार में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है. उत्तराखंड में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा. पांच सीट के लिए चुनाव प्रचार बुधवार को समाप्त हो गया.

पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल का मुकाबला भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी से है. वहीं, हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत का मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से है.

बलूनी पैराशूट उम्मीदवार
देहरादून के राजनीतिक विश्लेषक जयसिंह रावत ने कहा कि बलूनी की भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से निकटता जगजाहिर है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्र के लोग उन्हें ऊपर से थोपे गये उम्मीदवार (पैराशूट उम्मीदवार) के रूप में देख रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मतदाताओं के साथ उनका जुड़ाव गोदियाल जितना मजबूत नहीं है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘गोदियाल गढ़वाली में अपना भाषण देते हैं और स्थानीय लोगों से तुरंत जुड़ जाते हैं. उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक पैठाणी में एक डिग्री कॉलेज में भी योगदान दिया है.’’

राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, ‘‘पौड़ी शैक्षणिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण पलायन से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला है. गोदियाल ने स्थानीय लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हुए निर्वाचन क्षेत्र में कल्याणकारी गतिविधियों के लिए दान दिया है.’’

यद्यपि स्थानीय लोग सांसदों के अपने निर्वाचन क्षेत्रों की कथित उपेक्षा के कारण असंतुष्ट हैं लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बेहतर विकल्प नजर नहीं आता. पौड़ी के एक स्थानीय युवा कमल ध्यानी ने कहा, ‘‘वे चुनाव के समय वोट के लिए हमारे पास आते हैं और जीतने के बाद पांच साल के लिए गायब हो जाते हैं.’’

राष्ट्रहित में मोदी को वोट
पौड़ी गढ़वाल के चेलूसैण में लोगों को स्थानीय सांसद और विधायकों से शिकायत है लेकिन उनका मानना है कि उन्हें राष्ट्रहित में मोदी को वोट देना चाहिए. एक निवासी ने कहा, ‘‘लोग सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अल्पकालिक योजना ‘अग्निवीर’ और रिसॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या की जांच की धीमी गति से खुश नहीं हैं, लेकिन उनका मानना है कि नरेन्द्र मोदी का कोई मुकाबला नहीं है.’’

हरिद्वार में एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बलूनी की निकटता ने यह उम्मीद बढ़ा दी है कि अगर वह सीट जीतते हैं तो मोदी के अगले कार्यकाल में उन्हें कैबिनेट में जगह मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘‘यह बात उनके पक्ष में काम कर सकती है.’’

विश्लेषक जयसिंह रावत ने हरिद्वार सीट के संबंध में कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत अनुभव के मामले में निश्चित रूप से वीरेंद्र रावत से काफी आगे हैं लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत द्वारा अपने बेटे के लिए जोरदार प्रचार करना और इस सीट पर 30-35 प्रतिशत अल्पसंख्यक वोट होने से भाजपा उम्मीदवार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

कुछ विश्लेषकों का हालांकि मानना है कि वीरेंद्र रावत की तुलना में त्रिवेन्द्र रावत का अधिक अनुभवी होना और ‘‘मोदी फैक्टर’’ उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं. हरिद्वार के राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रदीप जोशी ने कहा, ‘‘मोदी एक बार फिर महत्वपूर्ण कारक हैं. लोग उनके नेतृत्व में केंद्र में एक स्थिर भाजपा सरकार के लिए वोट करेंगे और भाजपा उत्तराखंड में सभी पांच सीट बरकरार रखेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, इस बार हरिद्वार में जीत का अंतर पिछली बार से कम रह सकता है.’’

मोदी के नाम पर वोट
केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह, राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा जैसे पार्टी के ‘स्टार प्रचारक’ भी मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल विकसित भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा. कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष करन माहरा ने आदर्श गांव के रूप में विकास के लिए भाजपा सांसदों द्वारा गोद लिए गए गांवों की दुर्दशा का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है.

हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल दोनों ही प्रतिष्ठित सीट हैं जिन पर अतीत में भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों का कब्जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 2009 में हरिद्वार से जीते थे, वहीं एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता रमेश पोखरियाल निशंक ने 2014 में हरीश रावत की पत्नी रेणुका को हराकर कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी. तब से उन्होंने इसे अपने पास बरकरार रखा है.

भाजपा ने हालांकि इस बार निशंक के स्थान पर वीरेंद्र रावत के खिलाफ त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है. पौड़ी भी एक प्रतिष्ठित सीट है जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी और सतपाल महाराज जीत चुके हैं. यह सीट वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के पास है.

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Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections

FIRST PUBLISHED :

April 18, 2024, 19:48 IST

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