Last Updated:August 12, 2025, 14:15 IST
Mahabharata Katha: महर्षि भरद्वाज जाने माने ऋषि थे. उन्होंने अपने वीर्य से भरा कटोरा जतन से रखा था. और उससे एक ऐसा शख्स पैदा हुआ, जिसके नाम पर आजकल हर गुरु सम्मानित होता है.

प्राचीन काल में एक जाने माने महर्षि थे भरद्वाज. वह कहीं से निकले तो सरोवर में नहाती अप्सरा घृताची को देखा. ऋषि की दृष्टि उस पर पड़ी तो वह मोहित हो गए. अप्सरा को देखते रह गए. वीर्य स्खलित हुआ. उन्होंने इसे संभाल कर एक पात्र में रख दिया. इसी से कुछ दिनों बाद ऐसी हस्ती का जन्म हुआ, जिसके आगे कौरव और पांडव सिर झुकाते थे.
ये हस्ती थे आचार्य द्रोणाचार्य. वह प्रसिद्ध महर्षि भरद्वाज के अनियोजित पुत्र कहलाए. वैसे हम आपको बता दें साइंस भी कहती है कि मानव स्पर्म को 40 सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इससे बच्चा भी पैदा हो सकता है.
प्राचीन भारत में महर्षि भरद्वाज की बहुत ख्याति थी, महिमा ऐसी कि भगवान श्रीराम भी सलाह मानते थे. वह बृहस्पति के पुत्र और कुबेर के नाना थे. चरक संहिता के अनुसार, भरद्वाज ने इंद्र से आयुर्वेद और व्याकरण का ज्ञान पाया था. महाकाव्यों में भरद्वाज त्रिकालदर्शी, महान चिंतक तथा ज्ञानी माने गए.
रामायण काल की भांति महाभारत काल में भी भरद्वाज पूरे प्रभाव के साथ उपस्थित रहे. महाभारत में इन्हें सप्तर्षियों में एक बताया गया. महाभारत के प्रमुख पात्र आचार्य द्रोण इन्हीं के अयोनिज पुत्र थे. अब हम बताते हैं वो कहानी जो महाभारत समेत पौराणिक ग्रंथों में भी है.
महर्षि भरद्वाज का आश्रम (file photo)
महर्षि भरद्वाज अप्सरा को देख मोहित हो गए
कहा जाता है कि महर्षि भरद्वाज ने गंगा में स्नान करती अप्सरा घृताची को देखा. वह आसक्त हो गए. उन्होंने स्खलित वीर्य यज्ञकलश में रख दिया. यज्ञकलश को द्रोण भी कहा जाता है. इस वीर्य से कुछ समय बाद एक बालक का जन्म हुआ, जो द्रोण थे. बाद में जब वह जाने – माने आचार्य बने तो उन्हें दोणाचार्य के नाम से बुलाया जाने लगा. घृताची को उनकी मां के तौर पर जाना गया.
द्रोण से जन्म की दूसरी कहानी
वैसे द्रोण के जन्म का दूसरा मत ये भी है कि भरद्वाज जब अप्सरा घृताची पर आसक्त हो गए तो उन्होंने उनके साथ शारीरिक मिलन किया. उससे द्रोण का जन्म हुआ. द्रोण के नाम का अर्थ है बर्तन या बाल्टी या तरकश.
कौन थीं अप्सरा घृताची यानि द्रोण की मां
अब अप्सरा घृताची के बारे में भी जान लीजिए. घृताची प्रसिद्ध अपसरा थीं, जो कश्यप ऋषि तथा प्राधा की पुत्री थी. उनके जीवन में कई ख्यातिलब्ध पुरुष आए, जिनके मिलन से उन्होंने कई पुत्र-पुत्रियों को जन्म दिया.
महर्षि द्रोणाचार्य (Generated by Leonardo AI)
पौराणिक परंपरा के अनुसार घृताची से रुद्राश्व द्वारा 10 पुत्रों, कुशनाभ से 100 पुत्रियों, च्यवन पुत्र प्रमिति से कुरु नामक एक पुत्र तथा वेदव्यास से शुकदेव का जन्म हुआ. भरद्वाज से द्रोणाचार्य के जन्म का किस्सा तो ऊपर बता ही दिया गया है.
द्रोणाचार्य जबरदस्त धनुर्धर थे
द्रोणाचार्य संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे. वह पिता भरद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुए चारों वेदों तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गए. द्रोण का जन्म उत्तरांचल की राजधानी देहरादून में बताया जाता है, जिसे हम देहराद्रोण (मिट्टी का सकोरा) भी कहते थे. वेद-वेदागों में पारंगत तथा तपस्या के धनी द्रोण का यश थोड़े ही समय में चारों ओर फैल गया.
द्रोणाचार्य का विवाह कृपाचार्य की बहन कृपि से हुआ, जिससे उन्हें अश्वत्थामा नामक पुत्र पैदा हुए, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह आज भी जिंदा हैं. वह कौरव और पांडवों के गुरु थे. अर्जुन उनके प्रिय शिष्य थे.
युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े
द्रोणाचार्य यद्यपि मन से पांडवों के साथ थे लेकिन हस्तिनापुर सिंहासन से बंधे होने के कारण उन्हें कौरवों की ओर से महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेना पड़ा. युद्ध के 15वें दिन द्रोण और उनके बेटे अश्वत्थामा ने पांडव सेना पर कहर बरपा दिया. तब योजना बनाकर पांडवों द्वारा द्रोण को फंसाकर उनकी छल से हत्या कर दी जाती है.
क्योंकि गुरु द्रोण ने पांडवों और कौरवों के लिए गुडगांव में पढ़ने की व्यवस्था की तो इसका नाम पड़ गया गुरु ग्राम (Generated by Leonardo AI)
दरअसल भीम अश्वत्थामा नामक हाथी को मारने के लिए आगे बढ़ते हैं. फिर दावा करते हैं कि उन्होंने अश्वत्थामा को मार दिया. जब द्रोण इसकी पुष्टि युधिष्ठिर से करना चाहते हैं तो युधिष्ठिर ने जवाब देते हैं, “अश्वत्थामा मर चुका है, हाथी.” उनके हाथी बोलते ही इतना हल्ला किया जाता है कि द्रोण इस आखिरी शब्द को नहीं सुन सकें.
तब निराश द्रोण अपने रथ से उतरकर हथियार नीचे रखकर बैठ जाते हैं. पांडव इस अवसर का उपयोग उन्हें गिरफ्तार करने के लिए करना चाहते थे, लेकिन पिता और कई पांचाल योद्धाओं की मृत्यु से क्रोधित धृष्टद्युम्न ने इस अवसर का लाभ उठाया. युद्ध के नियमों का घोर उल्लंघन करते हुए उनका सिर काट दिया.
गुड़गांव से क्या नाता
ऐसा माना जाता है कि गुड़गांव शहर ( शाब्दिक रूप से ‘ गुरु का गांव ‘ ) की स्थापना द्रोणाचार्य ने राजकुमारों को युद्ध कलाओं की शिक्षा देने के लिए की थी. इसे शुरुआत उन्होंने गुरु ग्राम के रूप में की थी. गुड़गांव शहर के भीतर अब भी गुड़गांव नामक एक गांव मौजूद है. 12 अप्रैल 2016 को गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम करने का फैसला किया गया.
पुरुष के स्पर्म को करीब 40 सालों तक फ्रीज करके रखा जा सकता है और ये पूरी तरह सक्षम रहता है. (generated by deepai AI)
कितने सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है स्पर्म
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की साइट पर तमाम रिसर्च को जगह मिलती है. इसके अनुसार 20 सालों से कहीं ज्यादा समय मानव स्पर्म को सुरक्षित रखा जाता है. इन संग्रहीत स्पर्म से बच्चे पैदा होने की रिपोर्ट है. ये प्रयोग जानवर से लेकर मानव तक पर हुए हैं.
जनवरी और दिसंबर 1971 के बीच, 52 से 53 वर्ष की आयु के एक व्यक्ति ने अपने स्पर्म को लंबे समय तक संग्रहीत करने के लिए फ्रीज करने का अनुरोध किया. इसे जब एक महिला को उपलब्ध कराया गया तो उससे उसने दो स्वस्थ लड़कियों को जन्म दिया. एक रिपोर्ट ये भी कहती है कि करीब 40 वर्षों (39 वर्ष, 10 महीने और 40 वर्ष, 9 महीने के बीच) तक मानव स्पर्म को अगर संग्रहीत रखा जाए तो आईसीएसआई-आईवीएफ के माध्यम से इसमें बच्चे को जन्म देने की क्षमता रहती है.
Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
August 12, 2025, 14:15 IST