Last Updated:November 26, 2025, 09:50 IST
Indian Army News: ऑपरेशन सिंदूर के साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन के इस्तेमाल को पूरी दुनिया ने देखा. ऑपरेश सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से बड़ी तादाद में ड्रोन अटैक किया गया था. भारत ने देसी डिफेंस सिस्टम से इस हमले को पूरी तरह से नाकाम कर दिया था. इसके बाद ड्रोन स्पेसिफिक डिफेंस शील्ड की जरूरत महसूस हुई.
Indian Army News: ड्रोन हमले को बेअसर करने के लिए भारत बड़ी योजना पर काम कर रहा है. (फाइल फोटो) Indian Army News: भारत अपने डिफेंस सिस्टम को लगातार मजबूत करने के साथ ही उसे अपग्रेड भी कर रहा है. फाइटर जेट से लेकर मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम तक डेवलप किए जा रहे हैं. सुदर्शन चक्र मिशन और AMCA प्रोजेक्ट इसी अपग्रेडेशन का हिस्सा हैं. इसके अलावा भारत लगातार मिसाइल का ट्रायल भी कर रहा है, ताकि घर बैठे हजारों किलोमीटर दूर मौजूद दुश्मन को नेस्तनाबूद किया जा सके. मॉडर्न वॉरफेयर में युद्ध के तौर-तरीके लगातार बदल रहे हैं. स्टील्थ फाइटर जेट के साथ ही ड्रोन की भूमिका अहम हो चुकी है. ड्रोन बड़ा खतरा बनकर उभरा है. बिना पायलट के सैकड़ों किलो विस्फोटक के साथ टारगेट पर अटैक करना अब दूर कौड़ी नहीं रही. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से बड़ी तादाद में ड्रोन के जरिये भारत पर अटैक किया गया था. इंडियन आर्म्ड फोर्सेज ने देसी एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से दुश्मन देश की नापाक कोशिश को पूरी तरह से विफल कर दिया था. उसके बाद से ही एंटी ड्रोन स्पेसिफिक सिस्टम की जरूरत महसूस की जाने लगी थी. अब उसी कमी को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है. एंटी ड्रोन सिस्टम की खरीद प्रक्रिया तेज कर दी गई, जिसमें जर्मनी की एक डिफेंस कंपनी का नाम सामने आया है.
सीमा पर बढ़ते तनाव और ड्रोन हमलों की बढ़ती चुनौतियों के बीच भारतीय सेना अब आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की तलाश में तेजी ला रही है. इसी कड़ी में जर्मनी की कंपनी राइनमेटॉल का ओरलिकॉन स्काईशील्ड (Oerlikon Skyshield) सिस्टम एक प्रमुख दावेदार बनकर सामने आया है. यह सिस्टम खास तौर पर ड्रोन, क्रूज मिसाइल, हेलिकॉप्टर और निचली उड़ान वाले लड़ाकू विमानों से निपटने के लिए बनाया गया है. सेना के सूत्रों के मुताबिक, मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने 300 से 600 तक ड्रोन भारतीय सीमा में भेजे. इनमें तुर्की के बनाए कई हथियारबंद ड्रोन और आत्मघाती (Kamikaze) ड्रोन भी शामिल थे. भारतीय सेना ने पुराने लेकिन अपग्रेड किए हुए L-70 और Zu-23-2 एयर डिफेंस गन्स की मदद से 600 से ज्यादा ड्रोन मार गिराए. छोटे हथियारों से भी करीब 200 ड्रोन रोके गए, लेकिन ऑपरेशन के बाद यह साफ हुआ कि बड़ी संख्या में ड्रोन से निपटने के लिए और अधिक ऑटोमेशन और आधुनिक टेक्नोलॉजी की जरूरत है.
ड्रोन के लिए साक्षात काल है ओरलिकॉन स्काईशील्ड
मानवरहित खोज और ट्रैकिंग यूनिट: यह ओर्लिकॉन X-TAR3D रडार पर आधारित है, जो चारों तरफ 360 डिग्री निगरानी करता है. यह 50 किमी दूर तक खतरों का पता लगा सकता है और खुद-ब-खुद लक्ष्य पहचानकर सिस्टम को संकेत दे देता है. शुरुआती जांच में इंसानों की जरूरत नहीं होती. कमांड पोस्ट: स्काईमास्टर बैटल मैनेजमेंट सिस्टम पूरे ऑपरेशन को संभालता है. यह रडार, कैमरा-सेंसर और दूसरे स्रोतों से आने वाले डेटा को एक साथ मिलाकर 10 सेकंड के अंदर निर्णय लेने में मदद करता है. अनमैन्ड ऑपरेटेड गन: ओर्लिकॉन 35mm रिवॉल्वर गन Mk3 की दो गन लगी होती हैं, जो हर मिनट 1,000 गोलियां चला सकती हैं. ये पूरी तरह ऑटोमैटिक हैं और बिना किसी सैनिक के पास गए लक्ष्य को मार सकती हैं. खतरनाक क्षेत्रों के लिए बेहद उपयोगी होगी. VSHORAD मिसाइल सिस्टम: इसका ओपन आर्किटेक्चर भारत की Akash-NG या QRSAM जैसी बहुत कम दूरी की एयर डिफेंस मिसाइलों को जोड़ने की सुविधा देता है. इससे गन और मिसाइल दोनों मिलकर एक मजबूत और लेयर्ड डिफेंस तैयार करते हैं. AHEAD तकनीक: यही इसकी खासियत है। एडवांस्ड हिट एफिशियंसी एंड डिस्ट्रक्शन (AHEAD) तकनीक में गोलियां हवा में फटकर टंगस्टन के छोटे-छोटे टुकड़े छोड़ती हैं, जो ड्रोन को बीच हवा में ही काट देते हैं. माइक्रो-ड्रोन के खिलाफ 90% से ज्यादा हिट रेट माना जाता है, जिन पर सामान्य गोलियां असर नहीं करतीं.SHORAD सिस्टम पर फोकस
बदलते सामरिक हालात को देखते हुए सेना अब नए SHORAD (Short Range Air Defence) सिस्टम पर फोकस कर रही है. इसमें ओरलिकॉन स्काईशील्ड का नाम सामने आया है. यह एक ऑल-वेदर एयर डिफेंस सिस्टम है. यह 5 किमी की रेंज तक ड्रोन, मिसाइल और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान को निशाना बना सकता है. इसे ट्रक पर लगाया जा सकता है या कंटेनर में ले जाया जा सकता है. सबसे खास बात यह है कि इसे जल्दी तैनात किया जा सकता है और जरूरत के हिसाब से इसके मॉड्यूल जोड़े या हटाए जा सकते हैं. यह सिस्टम यूक्रेन में ईरानी ‘शहीद’ ड्रोन के खिलाफ इस्तेमाल होकर सफल साबित हुआ है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जरूरत क्यों बढ़ी?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने तुर्की की मदद से कई तरह के उन्नत ड्रोन का इस्तेमाल किया. भारतीय गनों ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन मैनुअल ऑपरेशन से सैनिकों को भारी दबाव झेलना पड़ा. ड्रोन के झुंड (Swarm) को रोकने के लिए तेज और ऑटोमेटेड सिस्टम की जरूरत महसूस हुई. स्थानीय उत्पादन की योजना भी है. ‘इंडिया डिफेंस रिसर्च विंग’ की रिपोर्ट के अनुसार, सेना चाहती है कि तकनीक भारत में ट्रांसफर हो और हथियारों और गोला-बारूद का निर्माण भी भारत में हो. बता दें कि राइनमेटॉल पर 2012 से भारत में प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन अब रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के स्तर पर बातचीत तेज हो रही है. यदि बैन हटता है तो साल 2026 की दूसरी तिमाही तक स्काईशील्ड के ट्रायल शुरू हो सकते हैं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 26, 2025, 09:40 IST

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